मुख्यमंत्री ने पूर्व राष्ट्रपति की पहली पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि दी
[highlight color=”black”]रायपुर[/highlight]
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कल 27 जुलाई को देश के पूर्व राष्ट्रपति ‘भारत रत्न डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम’ की प्रथम पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की है। डॉ. सिंह ने ‘मिसाईल मेन’ की पुण्यतिथि की पूर्व संध्या पर आज यहां जारी संदेश में कहा है कि ‘भारत रत्न’ डॉ. कलाम सचमुच भारत माता के अनमोल रत्न थे।
मुख्यमंत्री ने देश के विकास में स्वर्गीय डॉ. कलाम के ऐतिहासिक योगदान को याद करते हुए कहा है कि कलाम साहब की जीवनगाथा प्रत्येक भारतवासी के लिए प्रेरणादायक है। वह भारत के महान अंतरिक्ष वैज्ञानिक, शिक्षाविद, गंभीर लेखक, संवेदनशील कवि और चिन्तक थे। देश की नयी पीढ़ी में भी वह काफी लोकप्रिय थे। उनकी यह भी इच्छा थी कि जीवन के अंतिम क्षण तक उन्हें एक शिक्षक के रूप में पहचाना जाए और वास्तव में भारतीय प्रबंधन संस्थान (आई.आई.एम.) शिलांग में छात्र-छात्राओं के बीच व्याख्यान देते हुए दिल का दौरा पड़ने पर उनका निधन हुआ। डॉ. रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ राज्य की जनता के साथ डॉ. कलाम के वर्षों पुराने आत्मीय संबंधों को भी याद किया है। उन्होंने कहा है कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डी.आर.डी.ओ.) के प्रमुख वैज्ञानिक के रूप में उनका छत्तीसगढ़ हमेशा आना-जाना होता था। यहां के सहज-सरल जन-जीवन से वह काफी प्रभावित थे। विशेष रूप से यहां के बस्तर अंचल का प्राकृतिक परिवेश उन्हें हमेशा आकर्षित करता था। राष्ट्रपति के रूप में रायपुर प्रवास के दौरान एक बार उन्होंने ‘छत्तीसगढ़ के जन-गण’ के गौरव की जय हो’ शीर्षक से एक कविता की भी रचना की थी। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति बनने के बाद भी उन्होंने कई बार छत्तीसगढ़ का दौरा किया। वह 28 जनवरी 2004 को पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में रायपुर आए थे। उन्होंने उसी दिन यहां विधानसभा में भी अपना प्रेरणादायक भाषण और ऐतिहासिक भाषण दिया था। डॉ. कलाम ने 03 जून 2004 को बस्तर जिले के सरगीपाल का दौरा किया था। छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर 07 नवम्बर 2006 को राज्य अलंकरण समारोह में भी वे मुख्य अतिथि के रूप में रायपुर आए थे और उसी दिन उन्होंने यहां पुरखौती मुक्तांगन का लोकार्पण किया था और ग्राम सुन्दरकेरा में वृक्षारोपण कार्यक्रम में भी शामिल हुए थे। डॉ. कलाम ने 22 नवम्बर 2010 को रायपुर के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में सिकलसेल एनिमिया पर आयोजित चौथे अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ किया था। वे इसके बाद 12 सितम्बर 2013 को राज्य के जिला मुख्यालय बेमेतरा में आयोजित जिला स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे।
गौरतलब है कि डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम कस्बे में हुआ था। जीवन में कई तरह के कठिन संघर्षों का सामना करते हुए वह अंतरिक्ष वैज्ञानिक, रक्षा वैज्ञानिक बने और वर्ष 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007 तक भारत के राष्ट्रपति के शीर्षस्थ पद को सुशोभित किया। भारतीय प्रबंध संस्थान शिलांग (मेघालय) में व्याख्यान देते समय 27 जुलाई 2015 को हृदयाघात से उनका निधन हो गया।