Chhattisgarh News: झाड़फूंक के चक्कर में जान गवांने के बजाए चिकित्सालय में उपचार कराए सर्पदंश पीड़ित- डॉ कुशवाहा


सीतापुर (फटाफट न्यूज) | अनिल उपाध्याय

Surguja News: साँप काटने के बाद झाड़फूंक के चक्कर मे मरीज की जान जोखिम में डालने के बजाए हॉस्पिटल में लाकर उपचार कराए। इस संबंध में डॉ नीरज कुशवाहा एमडी मेडिसिन ने कहा कि इससे सर्पदंश से पीड़ित मरीज को समय पर उपचार मिल जाएगा और उसकी जान बच जाएगी।

गौरतलब है कि जशपुर जिले के बाद सरगुजा एक ऐसा जिला है जो नागलोक के रूप में विख्यात है। खासकर सरगुजा के सीतापुर विकासखंड में लोग सर्पदंश के ज्यादा शिकार होते हैं। जो अंधविश्वास के चक्कर में पड़कर अपनी जान गवा देते है। ऐसी सैकड़ो मामले है जिसमे प्रतिवर्ष सैकड़ो लोग साँप काटने के बाद झाड़फूंक के चक्कर मे अपनी जान गवा बैठे है।

इस संबंध में डॉ नीरज कुशवाहा एमडी मेडिसिन ने कहा कि लोगो मे जागरूकता का अभाव है। जिसकी वजह से साँप काटने के बाद अंधविश्वास के चक्कर मे लोग झाड़फूंक कराने लगते है। घँटों झाड़फूंक कराने के बाद भी जब मरीज की हालत बिगड़ने लगती है तब परिजन उसे लेकर हॉस्पिटल पहुँचते है। तब तक मरीज के शरीर मे साँप का जहर अपना असर कर चुका होता है। जिसकी वजह से मरीज की जान चली जाती है। ऐसे कई मामले है जहाँ साँप काटने के बाद झाड़फूंक के चक्कर में मरीज की जान चली गई है।

उन्होंने कहा कि साँप काटने के बाद पीड़ित व्यक्ति को झाड़फूंक कराने के बजाए तत्काल हॉस्पिटल लेकर आये। जहाँ पीड़ित व्यक्ति का समय पर उपचार कर उसकी जान बचाई जा सके। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि ग्राम रायकेरा निवासी 60 वर्षीय वृद्ध बरमन नागवंशी को घास काटने के दौरान करैत साँप ने काट लिया था। जिसे लेकर परिजन तत्काल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुँचे।जहाँ मेरे द्वारा उसका उपचार किया गया और पाँच दिन तक चले उपचार के बाद उसकी जान बच गई। अब वह बुजुर्ग पूरी तरह स्वस्थ है।

डॉ कुशवाहा ने कहा कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति के उपचार की पूरी व्यवस्था है। ऐसी स्थिति में साँप काटने के बाद पीड़ित का झाड़फूंक कराने के बजाए उसे लेकर सीधे हॉस्पिटल पहुँचे। जहाँ पीड़ित व्यक्ति का समय पर उपचार कर उसकी जान बचाई जा सके।