[highlight color=”black”]रायपुर [/highlight]
सांसद रमेश बैस और पूर्व राज्य सभा सांसद नंद कुमार साय को राज्य की बीजेपी कोर ग्रुप से बाहर कर दिया गया है। बीजेपी के इस निर्णय से छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल आ गया है। रायपुर सांसद रमेश बैस ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की कार्यशैली पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। वहीँ बीजेपी के सबसे बड़े आदिवासी चेहरा माने जाने वाले नंद कुमार साय को भी प्रदेश बीजेपी के कोर ग्रुप से बाहर का रास्ता दिखाया गया है। यह दूसरी बार है जब इन दोनों वरिष्ठ नेताओं का कद कम किया गया है।
रमेश बैस छग की राजधानी रायपुर से सात बार चुनाव जीत कर बीजेपी सांसद हैं। अटल सरकार में बैस केंद्रीय मंत्री भी रहे। हमेशा से वो बीजेपी के राज्य कोर कमेटी के सदस्य रहे। 23 अगस्त को दिल्ली में होने वाली राज्य कोर कमेटी की बैठक से ठीक पहले रमेश बैस और नंद कुमार से को बाहर कर दिया गया। यह बैठक राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह लेने वाले हैं । ऐसे में बैस सीधे राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को ही उन्हें बाहर करने का दोषी मान रहे हैं। बैस ने अमित शाह की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा की पहले पार्टी में प्रदेश स्तर पर फैसले होते थे और केंद्रीय नेतृत्व समय-समय पर मॉनिटरिंग करता था। अब अमित शाह के आने के बाद हर चीज केंद्र से तय हो रही है। बैस ने कहा वो सच कहने से किसी से नहीं डरते और आने वाले समय में भी वो ऐसा कहते रहेंगे।
रमेश बैस ने यह भी कहा की राज्य की कोर कमेटी का गठन राज्य स्तर पर होता था। मुख्यमंत्री, राष्ट्रीय संगठन मंहामंत्री और वरिष्ठ नेता इस कमेटी को तय करते थे। लेकिन इस बार यह कमेटी केंद्रीय नेतृत्व ने बैठकर तय किया है। उन्होंने यहाँ तक कहा की उन्हें इस बात की जानकारी भी नहीं दी गई की ऐसा कुछ हो रहा है।
दरअसल रमेश बैस और नंद कुमार साय हमेशा राज्य सरकार और मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के खिलाफ मुखर होकर बोलते रहे हैं ! सरकार की गलत नीतियों पर इन दोनों नेताओं के बयानों की वजह से कई बार रमन सरकार मुश्किल में भी पड़ी है। दोनों ही बीजेपी नेता रमन सिंह की गुड बुक में कभी नहीं रहे। ऐसे में इन दोनों को बाहर करने की एक वजह यह भी मानी जा रही है। यह दूसरी बार है जब इन दोनों नेताओं का कद कम किया गया है। मोदी मंत्रिमंडल विस्तार में इस बात की चर्चा थी की बैस को मंत्री बनाया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वही नंद कुमार साय का अंतिम समय में राज्यसभा जाना कैंसिल हो गया। राज्य बनने के 16 साल बाद यह पहला मौका होगा , जब ये दोनों नेता राज्य की सबसे बड़ी कमेटी का हिसा नहीं होंगे।