रायपुर/भाजपा विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने रायपुर में बढते कोरोना के भयावह स्थिति को देखते हुए मुख्यमंत्री स्वास्थ्य मंत्री व अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य से चर्चा की व तत्काल आवश्यक कदम उठाने की मांग की उन्होंने कोरोना को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कुछ सुझाव भी दिए है जिससे प्रदेश भर में मरीजों के ईलाज के लिए बिस्तरों की कमी को दूर किया जा सके व सक्रंमण को रोका जा सकें।
बृजमोहन अग्रवाल ने पत्र में कहा कि राजधानी रायपुर सहित पुरे छत्तीसगढ़ में कोविड-19 ने सभी 28 जिलों में अपना पैर पसार लिया है। दिन ब दिन कोविड-19 पर नियंत्रण के बजाय ये स्थिति भयावह एवं विकराल होते जा रही है। मरीजो की संख्या जहाँ लगातार गुणात्मक वृद्धि होती जा रही है, वहीं मौत का आकड़ा भी रूकने का नाम नही ले रहा है। कोविड-19 के मरीज अब अस्पतालों में बेड न होने के कारण ईलाज के लिए भटक रहे है। अब तो कोविड-19 को रोकने के लिए अभियान में लगे शासकीय कर्मचारी/अधिकारी भी कोविड-19 से पीड़ित होकर अपनी जान गवा रहे है।
बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि राजधानी रायपुर सहित छत्तीसगढ़ में लगातार कोविड-19 संक्रमण को देखते हुए शासकीय अस्पतालों एवं निजी अस्पतालों में बेड की कमी को देखते हुए व लोगों में भय एवं निराशा के वातावरण को दूर करने हेतु मेरे मत से रायपुर एवं छत्तीसगढ़ के जनता के हित में तुरन्त निम्न निर्णय लिया जाना आवश्यक है।
(1) रायपुर में 500 बिस्तर कर 1 विशेष कोविड-19 हाॅस्पिटल निर्माण करने का निर्णय लिया गया था, मेरी जानकारी में रिम्स मेडिकल कालेज/ हॉस्पिटल परिसर को ही अस्पताल बनाना था, जिसे बाद में प्राईवेट काॅलेज/हाॅस्पिटल होने के कारण खर्च करने के निर्णय को वापस ले लिया गया था। इस कालेज/ हॉस्पिटल में पूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्मित, मौजुद है। इसे तुरन्त निर्माण किया जाना चाहिए। जिससे रायपुर के लोगों को 500 बिस्तर की सुविधा तत्काल मिल सकेंगी।
(2) रायपुर के अलावा दुर्ग, भिलाई, राजनांदगांव, रायगढ़, बिलासपुर, कोरबा, अंबिकापुर, जगदलपुर जैसे बड़े-बड़े शहरों सर्वसुविधा युक्त नर्सिंग होम, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल उपलब्ध है, जहाँ पर आक्सीजन एवं वैंटिलेंटर की सुविधाएं भी उपलब्ध है। ऐसे अस्पतालों से तत्काल बातचीत कर एक निर्धारित रेत में कोरोना मरीजों के ईलाज के लिए इन्हें अनुमति दी जाये, जिससे राजधानी रायपुर के अस्पतालों में पड़ने वाली भार को कम किया जा सके।
(3) प्रदेश में जितने छोटे सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल या नर्सिंग होम है जहाँ 25 बेड से अधिक की सुविधा आक्सीजन सहित है, जहां पर 2000-3000 से 5000 रूपये तक की प्रतिदिन में ईलाज की सुविधा उपलब्ध हो सकती है। उन सभी अस्पतालों में शासकीय खर्च पर कोरोना संक्रमित मरीजों का ईलाज करवाया जाये व पूरा खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जावें। देश के अनेक राज्यों में ऐसी व्यवस्थाएं की गई है। अगर ऐसी व्यवस्थाएं कर दी जाती है तो गंभीर किस्म के मरीजों के लिए अस्पतालों में बिस्तर की कमी नही होगी।
(4) रायपुर एवं प्रदेश के अन्य बड़े शहरों में स्थिति 25 कमरे से अधिक के धर्मशाला, सार्वजनिक भवन, सामाजिक भवनों को भी समाजो/ट्रस्टों से चर्चा कर अधिग्रहित किया जाना चाहिए। इसमें सम्पुर्ण व्यवस्था कर ए सिम्टम्स मरीजों को जिसमें किसी प्रकार के लक्षण नही दिख रहे है उनको वहां पर आइशोलेट/क्वारांटिन किया जाना चाहिए। जिससे जिनके घरों में सुविधा नही है। उन सब मरीजों को इन स्थानों पर लाकर रखकर ईलाज किया जा सके व संक्रमण को बड़ने से रोका जा सकें।
(5) बहुत से राज्यों ने व्यापक स्तर पर इसके बचाव के लिए दवाईयाँ/ काढ़ा/आयुर्वेदिक-होम्योपेथिक/इन्जेक्शन बड़े स्तर पर वितरण भी किया है। छत्तीसगढ़ में भी उन शहरों में जहां कोरोना के प्रकरण भारी संख्या में निकल रहे है। वहाँ पर इस प्रकारण का वितरण का अभियान चलाया जाना चाहिए।
(6) सभी शासकीय जिला अस्पतलों/प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के साथ ही निजी छोटे अस्पतालों को भी मास्क, हेंड ग्लब्स, पी.पी.ई.किट, सेनेटाईजर व कोडिव-19 के मरीजों से संबंधित दवाएं भी उपलब्ध कराये जायें जिससे की प्रारंभिक रूप से प्रारंभिक लक्षण वाले मरीजों को वे दवाएं दे सके एवं देख सकें।
(7) प्रदेश के स्वास्थ्य कर्मियों को एम्स एवं अन्य हॉस्पिटलों के विशेषज्ञों से आनलाईन ट्रेनिंग की व्यवस्था की जानी चाहिए जिससे वे भी अपने स्तर पर सावधानी पूर्वक लोगो के ईलाज में हाथ बटा सकें।
उन्होंने राजधानी रायपुर सहित छत्तीसगढ़ में बड़ रहे भयावह कोविड-19 के मरीजों को देखते हुए उपरोक्त बिन्दु के साथ अन्य विषयों पर तत्काल कदम उठाना की मांग की है।
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