जांजगीर चाम्पा। जांजगीर-चांपा जिले में पोरा बाई का नाम हर किसी के जहन में याद है। आज से ठीक 15 साल पहले जिले के शिक्षा विभाग में सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया था। जिसकी चर्चा पूरे प्रदेश के अलावा अन्य प्रदेश में भी था। अब जब जांजगीर-चांपा जिला इस कलंक से बाहर आया है, वैसे ही एक बार फिर पोरा बाई का चर्चा फिर से सुनने को मिल रहा है, लेकिन अब यह चर्चा पोरा बाई के स्कूल को लेकर हो रहा है। जिस शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बिर्रा की पोराबाई छात्रा थी, वहां एक कमरा पिछले करीब 15 साल से बंद था। उसी केस में जिसमें दिसंबर, 2020 में फैसला आ चुका है। सारे आरोपी बरी हो चुके हैं। बिर्रा का वह स्कूल अब नवीन महाविद्यालय भी है। वहां अलग-अलग पालियों में स्कूल और कॉलेज संचालित हो रहा है। पिछले दिनों एनएसएस के कार्यक्रम में प्रिंसिपल ने एसपी एसपी विजय अग्रवाल को कमरे की कमी के बारे में बताया। एसपी ने कलेक्टर तारण प्रकाश सिन्हा से चर्चा की। आखिरकार प्रशासन के हस्तक्षेप से कमरा खोला गया। वहां टेबल कुर्सी और एक बॉक्स था, जिसमें कथित आंसरशीट रखा हुआ था।
क्या था बोरा बाई का पूरा मामला…
छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल ने मई 2008 में बारहवीं का रिजल्ट जारी किया। इसमें बिर्रा स्कूल की छात्रा पोराबाई ने टॉप किया था। पोराबाई मूलत: बलौदाबाजार जिले के सेमरा गांव की रहने वाली है। वह बिर्रा से परीक्षा में शामिल हुई। इन बातों से संदेह हुआ और माध्यमिक शिक्षा मंडल के तत्कालीन अध्यक्ष बीकेएस रे में जांच कराई। जब आंसरशीट से पोराबाई के हैंडराइटिंग का मिलान किया गया तो मिलान नहीं हुआ। इसके बाद पुलिस में मामला गया। पुलिस ने पोराबाई के साथ-साथ प्राचार्य एसएल जाटव, केंद्राध्यक्ष फुलसाय, सहायक केंद्राध्यक्ष बालचंद भारती, व्याख्याता टीआर खूंटे, उच्च वर्ग शिक्षक एमएल साहू, शिक्षाकर्मी गुलाब सिंह बंजारे, दीपक सिंह जाटव, एसएल जावेर, केंद्राध्यक्ष शाउमा विद्यालय एसएल तिवारी के खिलाफ बम्हनीडीह थाने में केस दर्ज कराया था। इस मामले की सुनवाई प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट सुबोध मिश्रा की अदालत में हुई। अभियोजन यह साबित करने में असफल रहा कि पोराबाई नकल कर टॉप आई थी और बाकी आरोपी इसमें शामिल थे।