
जांजगीर चांपा। जिला हॉस्पिटल जांजगीर के विवादित सिविल सर्जन डॉ दीपक जायसवाल को सरकार ने आखिरकार जिले से स्थानांतरित कर सारंगढ़ जिले भेज दिया. साथ ही विवाद में नेतागिरी कर रहे 3 डॉक्टरों को सजा मिली हैं. 5 मार्च 2025 को शुरू हुए सर्जन एवं डॉक्टरो के बीच विवाद आज थम गया. सिविल सर्जन पर डॉक्टर एवं नर्स स्टाफ को प्रताड़ित करने का आरोप था. तो सिविल सर्जन का कहना था कि डॉक्टर एवं नर्स सही समय पर ओपीडी में नहीं आते. यह विवाद दोनों के बीच महीने भर से चला रहा था। मामला विधानसभा से लेकर सरकार तक पहुंची तब जाकर इस पर सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है। 24 अप्रैल को जारी आदेश के अनुसार जिला अस्पताल के में पदस्थ सिविल सर्जन डॉक्टर दीपक जायसवाल को स्थानांतरित करके सारंगढ़ भेज दिया गया है तो जिले जिला अस्पताल के तीन डॉक्टर जो इस विवाद के मेन भूमिका पर थे उन्हें बस्तर स्थानांतरित कर सजा दिया गया है।
विवाद में शामिल जिला अस्पताल के तीन डॉ इकबाल हुसैन को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नारायणपुर, डॉक्टर दीपक साहू को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खड़गाव जीपीएम और डॉक्टर विष्णु पैगवार को जिला अस्पताल जांजगीर से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दोरनापाल सुकमा भेजा गया है। चार माह पहले डॉ. जायसवाल की सिविल सर्जन के रूप में नियुक्ति हुई थी। उन्होंने अस्पताल की व्यवस्था सुधारने के लिए कई आदेश जारी किए। डॉक्टरों की उपस्थिति और नर्सिंग स्टाफ पर कड़ाई शुरू की। उन्होंने जिला अस्पताल के कुछ डॉक्टरों को चांपा के बीडीएम अस्पताल भेज दिया।
विवाद 5 मार्च को उस समय शुरू हुआ, जब डॉ. जायसवाल ने एक सीनियर नर्स को सार्वजनिक रूप से फटकार लगाई। इस घटना के बाद डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ ने विरोध शुरू कर दिया। कलेक्टर ने तीन सदस्यीय जांच टीम बनाई। रायपुर से आई टीम ने भी जांच की। डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री से मिलकर मामले की जानकारी दी, जिन्होंने कार्रवाई का आश्वासन दिया था।