Big Exclusive: ED के रडार में जांजगीर-चांपा कलेक्टोरेट, DMF में हुए भ्रष्टाचार के काले कारनामे के खुल सकते हैं पोल…

जांजगीर-चांपा- कोयला सहित अन्य घोटालों को लेकर प्रदेशभर में एक ओर जहां ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की ताबड़तोड़ कार्यवाही लगातार जारी हैं। तो वहीं दूसरी ओर अब जांजगीर-चांपा कलेक्टोरेट भी ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के रडार में आ गया हैं। बताया जा रहा हैं कि, जांजगीर-चांपा जिले में डीएमएफ मद में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ हैं। जिसकी शिकायत राज्य से लेकर केन्द्र तक पहुंची हैं। हालांकि, राज्य एवं केन्द्र सरकार ने इस मामले में अब तक सीधे तौर पर किसी भी उच्चाधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की हैं। लेकिन, ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने इस मामले में अब गंभीरता दिखाते हुए बारीकी से छानबीन प्रारंभ कर दी हैं।

दरअसल, जांजगीर-चांपा जिले को कोरबा एवं रायगढ़ से बड़े पैमाने पर राजस्व की प्राप्ति होती हैं। इसके साथ ही, जिले में संचालित पावर प्लांट, डोलोमाइट खदान एवं क्रशर उद्योग से भी भारी-भरकम राजस्व मिलता हैं। जिसका उपयोग प्रभावित क्षेत्रों में विभिन्न विकास कार्यों में किए जाने का प्रावधान हैं। इसके लिए शासन ने जिला खनिज न्यास मद (डीएमएफ) का गठन कर कई नियम-कायदे भी बना रखे हैं। जिसके अंतर्गत ही डीएमएफ की राशि की मंजूरी दी जानी हैं। लेकिन, जांजगीर-चांपा जिले में आंख मूंदकर इस मद की राशि जारी कर दी जा रही हैं। सूत्रों के अनुसार, जिन कार्यों की वास्तविक लागत लाखों में है, उसके लिए डीएमएफ मद से करोड़ों रूपए फूंक दिए गए हैं। जिले में डीएमएफ मद की राशि में फर्जीवाड़े का यह खेल पिछले तीन-चार वर्षों से धड़ल्ले से चल रहा है, जिसकी शिकायत समय-समय पर होती रही है परन्तु, शासन स्तर से इस मामले में अब तक किसी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई है।

बता दें कि, तत्कालीन कलेक्टर यशवंत कुमार एवं तत्कालीन कलेक्टर जितेन्द्र कुमार शुक्ला ने अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न कार्यों के लिए इस मद से भारी-भरकम राशि की मंजूरी दी है। जिस पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। हालांकि, तत्कालीन कलेक्टर जितेन्द्र कुमार शुक्ला के कार्यकाल में इस मद से स्वीकृत करोड़ों के कार्यों में गड़बड़ी की पुख्ता शिकायत के बाद शासन स्तर से कई कार्यों की मंजूरी को रद्द कर दिया गया। लेकिन, इस मामले में संलिप्त तत्कालीन कलेक्टर शुक्ला सहित अन्य जिम्मेदारों के खिलाफ अब तक किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं हुई हैं।

इधर, तत्कालीन कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा के कार्यकाल में भी विभिन्न कार्यों के नाम पर डीएमएफ मद से अनाप-शनाप राशि स्वीकृति की शिकवा-शिकायतें अब शुरू हो गई हैं। इस बीच एक बड़ी खबर आ रही है कि इस पूरे मामले को लेकर ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने अब जांजगीर-चांपा कलेक्टोरेट को अपने रडार में ले लिया है।

सूत्रों की मानें तो पिछले तीन-चार वर्षों के भीतर जिले में डीएमएफ मद से स्वीकृत तमाम कार्यों सहित उन कार्यों में खर्च की गई राशि की बारीकी से जांच-पड़ताल शुरू हो गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की धमक बहुत जल्द ही जांजगीर-चांपा कलेक्टोरेट में हो सकती है। इस बात की खबर जिला प्रशासन तक पहुंच गई है, जिसके चलते वर्तमान में डीएमएफ मद की राशि का उपयोग सोच-समझ कर किया जा रहा है ताकि, मौजूदा अधिकारी किसी तरह ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के शिकंजे से बच जाएं। बहरहाल, ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) यदि इस मामले की बारीकी से छानबीन करके कार्यवाही करती है तो जिले में पदस्थ रहे तीन-चार कलेक्टर सहित कई प्रशासनिक अफसरों के काले कारनामे उजागर हो सकते हैं।

ईडी के कब्जे में डीएमएफ का समस्त दस्तावेज…

बताया जा रहा हैं कि, ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के कुछ वरिष्ठ अधिकारी पिछले दिनों यहां पहुंचे हुए थे। जिन्होंने जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों से डीएमएफ मद के संदर्भ में विस्तृत पूछताछ की हैं। साथ ही साथ डीएमएफ मद से संबंधित समस्त दस्तावेजों को अपने कब्जे में ले लिया हैं। ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के इस रूख से जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ हैं। सूत्रों की मानें तो ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की टीम बहुत जल्द ही जांजगीर-चांपा जिले में आकर डीएमएफ मद में हुए भ्रष्टाचार के मामले की बारीकी से जांच एवं कार्यवाही प्रारंभ करने वाली हैं।

खनिज अधिकारी भी निशाने पर…

ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की पैनी नजर खनिज विभाग पर भी हैं। चूंकि, प्रभारी जिला खनिज अधिकारी आरके सोनी के तार कोरबा जिले से जुड़े हुए हैं। जहां ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की जांच एवं कार्यवाही इन दिनों व्यापक पैमाने पर चल रही हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि, जांजगीर-चांपा जिले में खनिज विभाग के अधिकारियों पर ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) सबसे पहले शिकंजा कस सकती हैं। यही वजह हैं कि, प्रभारी जिला खनिज अधिकारी सहित अन्य कई अधिकारी बीच-बीच में अवकाश पर चले जा रहे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) का नाम सुनकर ही डीएमएफ शाखा के अधिकारी-कर्मचारियों की धड़कनें तेज हो गई हैं।