Bharat bandh, Supreme Court Reservation Decision, SC-ST Creamy layer Reservation : अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) आरक्षण में क्रीमीलेयर पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के विरोध में देशभर के विभिन्न संगठनों ने आज ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है। इस बंद का समर्थन बहुजन समाज पार्टी (बसपा), भीम आर्मी, आदिवासी पार्टियों के नेताओं और कुछ कांग्रेस नेताओं ने किया है। इस विवाद ने न केवल राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि सार्वजनिक जीवन पर भी गहरा असर डाला है।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि सभी एससी और एसटी जातियां और जनजातियां एक समान नहीं हैं। कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हो सकती हैं, जैसे कि सीवर की सफाई करने वाले और बुनकर। कोर्ट ने राज्यों को निर्देश दिया कि वे इन जातियों का वर्गीकरण कर अलग से कोटा निर्धारित कर सकते हैं, लेकिन इसमें दो मुख्य शर्तें हैं:
- एससी के भीतर किसी एक जाति को 100% कोटा नहीं दिया जा सकता।
- एससी में शामिल किसी जाति का कोटा तय करने से पहले उसकी हिस्सेदारी का पुख्ता डेटा होना चाहिए।
यह फैसला उन याचिकाओं के संदर्भ में आया था जो कहती थीं कि एससी और एसटी आरक्षण का लाभ केवल कुछ जातियों को ही मिल रहा है, जबकि अन्य पिछड़ी जातियां मुख्यधारा से बाहर रह गई हैं।
भारत बंद का उद्देश्य और समर्थन
‘भारत बंद’ का आह्वान करने वाले दलित संगठनों की मुख्य मांग है कि सुप्रीम कोर्ट के कोटे में कोटा के फैसले को वापस लिया जाए या पुनर्विचार किया जाए। बसपा के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने सोशल मीडिया पर अपील की है कि बसपा के सभी कार्यकर्ता इस बंद में शामिल होकर दलित, शोषित, वंचित और न्याय पसंद लोगों को जागरूक करें।
इस बंद का समर्थन बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती, भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर आजाद, आदिवासी पार्टी के मोहन लात रोत और कांग्रेस समेत कई अन्य दलों के नेताओं ने किया है। राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ में भारत बंद के बारे में लोगों ने सक्रियता दिखाई है और इस पर सर्च कर रहे हैं।
भारत बंद के दौरान क्या खुलेगा और क्या बंद रहेगा?
भारत बंद के दौरान विभिन्न सेवाओं पर प्रभाव पड़ सकता है:
- सार्वजनिक परिवहन सेवाएं: बस, ट्रेन, और अन्य सार्वजनिक परिवहन सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं।
- निजी दफ्तर: कुछ जगहों पर निजी दफ्तर बंद हो सकते हैं।
- आपातकालीन सेवाएं: अस्पताल और एंबुलेंस जैसी आपातकालीन सेवाएं चालू रहेंगी।
- बैंक और सरकारी दफ्तर: अभी तक कोई आधिकारिक आदेश नहीं आया है, इसलिए बैंक और सरकारी दफ्तर भी खुले रहने की संभावना है।
लेटरल एंट्री पर विवाद
यूपीएससी में लेटरल एंट्री, यानी प्राइवेट सेक्टर से अधिकारियों की भर्ती का मुद्दा भी विवाद का कारण बना है। 17 अगस्त को केंद्र सरकार ने 45 अधिकारियों की भर्ती के लिए वैकेंसी निकाली थी। लेटरल एंट्री के तहत संयुक्त सचिव, निदेशक या उप-सचिव के पदों पर सीधी भर्ती की जाती है।
इस प्रक्रिया के तहत, सरकार में अनुभव और विशेषज्ञता लाने का उद्देश्य है। हालांकि, इस पर आरक्षण लागू नहीं होगा, जिसे लेकर भाजपा आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि यूपीएससी की परीक्षा में लागू होने वाले आरक्षण नियम लेटरल एंट्री में भी लागू होंगे।
वहीं, भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग ने एक आरटीआई के जवाब में बताया कि सरकारी नौकरियों में 13 रोस्टर पॉइंट के जरिए रिजर्वेशन लागू होता है। इसमें सरकारी नौकरी में हर चौथा पद ओबीसी, हर 7वां पद एससी, हर 14वां पद एसटी और हर 10वां पद ईडब्ल्यूएस के लिए रिजर्व होता है। हालांकि, तीन से कम पदों पर भर्ती के लिए रिजर्वेशन लागू नहीं होता है। इस तकनीकी वजह से, लेटरल एंट्री भर्ती में रिजर्वेशन लागू नहीं हो सका।
लेटरल एंट्री भर्ती रद्द
सरकार ने कानूनी कारणों का हवाला देते हुए अलग-अलग विभागों में तीन से कम पदों के लिए विज्ञापन जारी किए हैं, जिसमें रिजर्वेशन लागू नहीं होता है। इस विवाद के बीच, आज सरकार ने लेटरल एंट्री भर्ती को रद्द कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले और लेटरल एंट्री के मुद्दे पर जारी विवाद ने भारतीय राजनीति और समाज में नया मोड़ लाया है। ‘भारत बंद’ का आह्वान इस बात का संकेत है कि दलित संगठनों और अन्य समूहों की चिंताओं को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। सरकार और सुप्रीम कोर्ट को इन मुद्दों पर विचार करने की आवश्यकता है ताकि समाज में समानता और न्याय को सुनिश्चित किया जा सके।