फ़टाफ़ट डेस्क। दिवाली पर आतिशबाजी की परंपरा है। लोग पटाखे जलाकर खुशियां मनाते हैं। पटाखा जलाते समय विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है। थोड़ी-सी असावधानी दिवाली की खुशी को परेशानी में बदल सकती है। डॉक्टरों की मानें, तो पटाखा चाहे जैसा भी हो, उससे सेहत को नुकसान पहुंचने की आशंका बनी रहती है, इसलिए पटाखा जलाते समय विशेष सावधानी बरतनी जरूरी है।
इसलिए है नुकसानदेह : स्वास्थ्य के जानकारों के अनुसार पटाखे में हानिकारक रसायन का इस्तेमाल किया जाता है। जलने के बाद पटाखा का धुंआ स्वास्थ्य के नुकसान का बड़ा कारण है। इसके अलावा तेज आवाज से भी नुकसान की आशंका बनी रहती है। पटाखा जलाते समय हाथ, पैर या शरीर के अन्य हिस्से कई बार जल जाते हैं।
क्या पहुंच सकता है नुकसान
हाथ, पैर या अन्य अंग : पटाखा जलाने के दौरान कई बार पटाखे से निकलनेवाली चिंगारी या आग हाथ-पैर या शरीर के अन्य अंगों में लग जाती है। बारूद से निकलनेवाली आग के कारण काफी अधिक जलन होती है।
कान : मनुष्य के सुनने की क्षमता का मानक स्तर 60 डेसिबल है। बाजार में कई पटाखे की आवाज अधिक होती है। 140 डेसिबल या उससे अधिक आवाज से कान को नुकसान पहुंच सकता है। कान के पर्दे फट सकते हैं या सुनने की क्षमता कम या खत्म हो सकती है।
आंख : दिवाली में आंखों का विशेष ख्याल रखने की जरूरत है। पटाखे के धुंए आंखों के लिए हानिकारक हैं। इससे गंभीर समस्या हो सकती है। इसके अलावा तेज रोशनी के कारण भी आंखों को परेशानी हो सकती है।
सांस लेने में परेशानी : दिवाली की रात आतिशबाजी के कारण होनेवाले प्रदूषण से सांस लेने में परेशानी हो सकती है। सांस के मरीज, अस्थमा के मरीज, छोटे बच्चों और वृद्ध को उससे बच कर रहना चाहिए।
यह बरतें सावधानी
– पटाखा जलाते समय हमेशा सूती वस्त्र पहनें।
– खुले में आतिशबाजी करें।
– घर के बड़े लोग पटाखा जलाते समय बच्चों के साथ रहें।
– आतिशबाजी स्थल पर हमेशा बाल्टी या टब में पानी भरकर रखें। जलने की स्थिति में शरीर के जले अंग को ठंडा पानी कुछ समय तक डालते रहें।
– हमेशा दूर से पटाखे जलाएं।
– अस्थमा, सांस की समस्या आदि से परेशान लोग आतिशबाजी स्थल से दूर रहें और मास्क लगाकर रखें।
– जितना संभव हो कम बाहर निकलें।
– स्वास्थ्य संबंधी परेशानी होने पर तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें। घरेलू उपचार के भरोसे ज्यादा देर तक न रहें।