जांजगीर-चाम्पा: आदिवासी विकास विभाग के अधिकारी अपने पुराने कारनामें को फिर दोहरा रहे है. पूर्व की भांति इसबार भी बिना टेंडर निकाले करोड़ों रूपयों का कार्य अपने चहेते ठेकेदारों को गुपचुप तरीके से दे दिया है. जिससे विवाद खड़ा हो गया है पूरे मामले को लेकर भाजयुमो और ठेकेदारों ने कलेक्टोरेट में ज्ञापन सौंपा है.
दरअसल, जिले के छात्रावासों के मरम्मत कार्य के लिए डीएमएफ से आदिवासी विकास विभाग को चार करोड़ की राशि स्वीकृत हुई है जिसके लिए टेंडर निकाला जाना है. लेकिन विभाग के अफसर बिना टेंडर निकाले गुपचुप तरीके से अपने खास ठेकेदारों को काम दे दिया है. जिसको लेकर विवाद खड़ा हो गया है. भाजयुमो का आरोप है कि अधिकारी द्वारा बिलासपुर और जांजगीर के अपने खास ठेकेदारों को कार्य दिया है. निविदा की सूचना न ही विभाग के नोटिस बोर्ड में चस्पा किया गया है न ही जांजगीर-चांपा के दैनिक अखबारों में टेंडर का प्रकाशन किया गया है. इस प्रकार की विवाद की स्थिति पहले भी हो चुकी है. लाखों का टेंडर बिना किसी निविदा प्रकाशित या सूचना के बिना निविदा आमंत्रित कर लिया जाता है. फिर अपने चहेते ठेकेदारों को काम दे देते है. मामले को लेकर भाजयुमो द्वारा सहायक आयुक्त से मुलाकात की गई तो अधिकारी का जवाब संतोष जनक नहीं था. उनका कहना था इस विषय पर मुझे कुछ पता नहीं है और न ही किसी भी प्रकार का कार्य निकाला गया है. इन्हीं सब बातों को लेकर भाजयुमो जांजगीर-नैला के द्वारा एडीएम से मिलकर ज्ञापन सौंपा गया है. जिसमें भाजयुमो नगर मंडल अध्यक्ष दिनेश राठौर, सोनू यादव महामंत्री, गोलू दूबे, प्रदीप राठौर, हरी ,अमीत, प्रकाश उपस्थित रहे।
फर्जी अखबार तक छाप दिए
आदिवासी विभाग में टेंडर विवाद नया नहीं है पिछले वर्ष भी टेंडर का मामला खूब गरमाया हुआ था दरअसल, तत्कालीन सहायक आयुक्त द्वारा दैनिक अखबार छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस का फर्जी अखबार निकाल 30 लाख का टेंडर निकाल दिया गया था आरटीआई से जानकारी निकालने के बाद मामले का खुलासा हुआ. जिसपर काफी बवाल मचा था।
ठेकेदारों ने की शिकायत
आदिवासी विभाग के खिलाफ ठेकेदारों ने कलेक्टोरेट में शिकायत की है. उन्होेंने अपने शिकायत में कहा है कि अफसर द्वारा चहेतो ठेकेदारों को काम दिया गया है जिसपर तत्काल रोक लगाई जाए साथ ही दैनिक अखबारों में निविदा प्रकाशित कराकर निविदा आमंत्रित की जाए. ताकि अन्य ठेकेदारों को भी काम मिल सके.
रंग रोगन और मरम्मत कार्य
जिले के कई छात्रावास जर्जर हालत में है जिसके लिए डीएमएफ से चार करोड़ की राशि स्वीकृत हुई है. इससे 100 से अधिक छात्रावासों में रंग-रोगन और मरम्मत कार्य होना है. ताकि छात्रों को राहत मिल सके. लेकिन कार्य से पहले ही विवाद खड़ा हो गया है.