Assembly Election 2024 : जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद विधानसभा चुनाव की घोषणा, 114 सीटों में से 90 पर होंगे चुनाव, जानें क्या है कारण

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Jammu Kashmir Assembly Election, Assembly Election 2024, Section 370, Jammu Kashmir Election : भारतीय चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर में 10 साल के लंबे अंतराल के बाद विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा कर दी है। यह चुनाव तीन चरणों में होंगे, जिनकी शुरुआत 18 सितंबर से होगी और अंतिम मतदान 01 अक्टूबर को होगा। 14 दिनों की इस चुनावी अवधि में जम्मू-कश्मीर के लोगों को नए प्रतिनिधियों का चयन करने का मौका मिलेगा। हालांकि चुनावी क्षेत्र में कुछ खास बदलाव भी देखने को मिलेंगे।

खास बातें और परिसीमन के मुद्दे

जम्मू-कश्मीर में कुल 114 विधानसभा सीटें हैं, लेकिन चुनाव केवल 90 सीटों पर होंगे। इसका मुख्य कारण यह है कि 24 सीटें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के लिए आरक्षित हैं। भारत में पीओके को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के तौर पर जाना जाता है। वहां के क्षेत्र में चुनाव कराना संभव नहीं है। इस तरह जम्मू-कश्मीर में चुनावी सीटों की संख्या 90 पर सीमित हो गई है।

अनुच्छेद 370 के बाद का परिदृश्य

5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को समाप्त कर जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा हटा दिया गया और इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख में बांट दिया गया। इसके बाद से राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ आया है और विभिन्न प्रमुख दलों ने राज्य के विशेष दर्जे की बहाली की मांग की है।

पूर्व विधानसभा चुनाव और मौजूदा स्थिति

जम्मू-कश्मीर में अंतिम विधानसभा चुनाव नवंबर-दिसंबर 2014 में हुए थे। इस चुनाव के बाद जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) और भारतीय जनता पार्टी (BGP) के गठबंधन ने सरकार बनाई थी, जिसमें मुफ्ती मोहम्मद सईद मुख्यमंत्री बने। उनके निधन के बाद, महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री का पद संभाला। लेकिन जून 2018 में भाजपा ने पीडीपी से समर्थन वापस ले लिया। जिसके परिणामस्वरूप राज्यपाल शासन लागू हुआ और अंततः दिसंबर 2018 में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया।

पीओके में चुनावी स्थिति

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थानीय चुनाव आटोनोमस स्थानीय शासन के लिए होते हैं। इस क्षेत्र में एक विधानसभा है, जिसमें 53 सदस्य होते हैं। इनमें 45 सामान्य सीटें हैं जिन पर सीधे चुनाव होते हैं, जबकि 8 सीटें आरक्षित हैं, जिनमें 5 महिलाएं और 3 टेक्नोक्रेट और विदेशी कश्मीरियों के लिए होती हैं। यहां के चुनावों को अक्सर पारदर्शिता की कमी के कारण आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है।

जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक माहौल में बदलाव

अब जब जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित हो गई हैं, तो राजनीतिक माहौल गर्मा गया है। कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसी प्रमुख पार्टियों ने राज्य के पूर्ण दर्जे की बहाली की मांग फिर से उठाई है। चुनाव के परिणाम से यह स्पष्ट होगा कि जम्मू-कश्मीर की जनता की क्या राय है और राज्य की राजनीति में किस प्रकार का बदलाव आएगा।

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही राज्य की राजनीति में एक नया अध्याय शुरू होने वाला है। 10 साल बाद चुनाव की प्रक्रिया शुरू होने से न केवल राजनीतिक दलों के लिए बल्कि आम जनता के लिए भी कई नई संभावनाएं खुलेंगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव के परिणाम किस दिशा में जाती है और क्या जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली की मांग पूरी होती है या नहीं।