हमारा देश दुनिया में सबसे ज़्यादा मजबूत अर्थव्यवस्था वाले देशों में से एक है. हमारी GDP घोड़े पर सवार होकर इकॉनोमी की रेस में तेजी से दौड़ रही है. लेकिन जिस तरह सिक्के के हमेशा दो पहलू होते हैं, उसी तरह देश की अर्थव्यवस्था का भी दोहरा चेहरा है. देश में पैसा तो बहुत है, मगर इसके वितरण में काफ़ी असमानता नज़र आती है. इसी आर्थिक असमानता के शिकार एक शख्स का नाम है, मोहम्मद इमरान.
मोहम्मद इमरान पूर्व हॉकी कोच रह चुके हैं. इन्होंने अपनी कड़ी मेहनत के दम पर भारत को 6 इंटरनेशनल हॉकी प्लेयर दिए हैं. वो 6 खिलाड़ी हैं- रीटा पाण्डेय, रजनी चौधरी, संजीव ओझा, प्रतिमा चौधरी, जनार्दन गुप्ता और सनवर अली. यही नहीं, इमरान 50 से ज़्यादा नेशनल प्लेयर्स को भी कोच कर चुके हैं. लेकिन आज सरकार की उदासीनता और किस्मत की बेरुखी की वजह से इमरान गोरखपुर की गलियों में साइकिल पर कपड़े बेचने को मजबूर हैं.
62 साल के इमरान के बैंक खाते में केवल 5,000 रुपये हैं. इन्हें रात-दिन अपनी बेटी की शादी की चिंता सताती रहती है. इनकी बेटी की शादी इसी साल नवम्बर के महीने में होनी वाली है.
सरकारी मदद के नाम पर इमरान को हर महीने सिर्फ़ 973 रुपये मिलते हैं. इमरान पहले ‘Fertilisation Corporation of India’ में नौकरी करते थे. 2002 में सरकार ने अपने इस उपक्रम को बंद कर दिया. उसके बाद से ही इतिहास के महान हॉकी प्लेयर ध्यानचंद के इस शिष्य के लिए ज़िन्दगी मुश्किल होती गई.
कुछ समय बाद इन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिल कर स्पोर्ट्सवेयर की एक यूनिट खोली. उस समय इनकी मासिक कमाई 6,000 रुपये प्रतिमाह तक हो गई थी, लेकिन कुछ समय बाद ही आर्थिक तंगी की वजह से इसे भी बंद करना पड़ा.
आज अपने जीवनयापन के लिए इमरान साइकिल पर घर-घर जाकर कपड़े बेचने को मजबूर हैं. सरकार हमारे देश में धीरे-धीरे खिलाड़ियों की सुविधाओं और खेलों में जीत जाने पर उनकी इनामी राशि में तो बढ़ोतरी कर रही है लेकिन उन खिलाड़ियों को तराशने वाले अनेक कोच आज भी तकलीफ़ भरे हालातों में ज़िन्दगी गुजारने को मजबूर हैं. उम्मीद करते हैं, जल्द ही सरकार खिलाड़ियों के कोच के लिए भी कोई कारगर नीति लेकर आयेगी.