सतना: नहर नहीं तो बोट नहीं यह नारा रैगांव विधानसभा के 25 से ज्यादा पंचायतों में गूंज रहा है,, किसान बाहुल्य इस क्षेत्र में ग्रामीणों ने विधानसभा चुनाव के बहिस्कार का फैसला लिया है,, 27 सालों से बरगी नहर के इंतजार में लोगो की आँख पथरा गई और अब लोग लामबंद होकर मतदान जैसे मौलिक अधिकार को त्यागने का निर्णय ले लिया,, हर घर की दीवारों में नहर नहीं तो वोट नहीं के नारे लिख दिए गए है,, और एक स्वर में चुनाव के बहिष्कार का एलान ग्रामीणों ने किया है,, ग्रामीडो के निर्णय से जिला प्रशासन के माथे पर चिंता की लकीरें है,, प्रशासन जागरूकता रथ गांव-गांव भेज कर ग्रामीणों को मतदान के लिए जागरूक करने की क़वायत सुरु किया है ।
सतना के रैगांव विधानसभा क्षेत्र में पानी की भीषण समस्या है,,, जिसके चलते यहाँ के किसानो को हर वर्ष सूखे की मार झेलनी पड़ती है,, पानी की समस्या को देखते हुए 27 साल पहले बरगी नहर लाने का एलन तत्कालीन कांग्रेस की सरकार ने किया था,, 27 साल गुजर गए ,न तो कोंग्रस और न ही मौजूदा भाजपा सरकार इस मांग को पूरा कर सकी,, यही नहीं क्षेत्र के लोग साल दरसअल आंदोलन धरना प्रदर्सन करते चले आ रहे लेकिन, शासन प्रशासन के कान में जूं तक नहीं रेंगी,, झूठे दावे झूठे वादों से थक हार चके सूबे की किसानो ने अब विधानसभा चुनाव के बहिस्कार का फैसला किया है,, रामपुर चौरासी, हटी, नकटी, गाँधी गांव, भुम्कहर, गुलुआ, खामखुजा, कुड़िया और भुम्कहरा समेत 25 से जादा पंचायतों ने चुनाव बाहिसकर का फैसला लिया है,, 2018 के विधानसभा चुनाव में नाराज किसानो का सिर्फ एक ही कहना है ”नहर नहीं तो, वोट नहीं” !
ग्रामीणों के चुनाव बहिस्कार के फैसले ने प्रसासन के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी है,, जिसे लेकर प्रशासन अब ग्रामीणों को मानाने की जुगत में है,, बहिस्कार कर रहे गांवो में टीम भेज कर मतदाल के लिए लोगों को जगरूख करने की बात प्रशासन कर रहा,, चुनावी वर्ष है अठारह के अखाड़े के एलान हो चुका भाजपा और कांग्रेस के अलग अलग दावे है भाजपा विकास के मुद्दे को लेकर चुनाव मैदान में है,, तो कांग्रेस सरकार की झूठी घोषणाओं को चुनावी हथियार बना कर इस्तेमाल कर रही, ऐसे में चुनाव का बहिष्कार राजनैतिक पार्टियों के मंसूबों में पानी फेर सकता है,, वही प्रशासन भी ग्रामीणों के इस फैसले से पैसोपेक्ष में है !