- मैनपाट से लगे कंडराजा गांव में हाथियों ने बरपाया कहर
- पूरी बस्ती ही दी उजाड़, ग्रामीणों ने छोड़ा गांव
- दूसरे गांव में ली शरण, अब सिर छिपाने आशियाने की तलाश
अम्बिकापुर
छत्तीसगढ के शिमला कहे जाने वाले मैनपाट के ग्राम कंडराजा स्थित बैगापारा मेें रविवार की रात हाथियों के तांडव से पूरा गांव थर्रा उठा। हाथियों ने पूरी रात कहर बरपाते हुये पूरी बस्ती ही उजाड़ दी। हाथियों के डर से डरे स सहमे ग्रामीण अपनी जान बचाने के लिये घर छोड़कर भाग खड़े हुये। दहशत का आलम इस कदर छाया हुआ है कि ग्रामीणों ने गांव ही छोड़ दिया। उन्होंने दूसरे गांव में जाकर शरण ली है। इस भीषण गर्मी में उनके पास अब सिर छिपाने के लिये आशियाना भी नहीं बचा है। सूचना पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंच गई है। मैनपाट में 13 हाथियों का उत्पात अभी भी जारी है। कंडराजा गांव की बैगापारा बस्ती में मांझी व यादव समुदाय के लोगों की लगभग 20 से 22 घरों की बस्ती थी, जिसमें मांझी व यादव समुदाय के लोग अपने परिवार के साथ निवासरत थे, जिनके सामने अब सिर छिपाने से लेकर रोजी-रोटी तक की समस्या खड़ी हो गई है।
जानकारी के अनुसार रविवार की रात मैनपाट से लगे ग्राम कंडराजा स्थित बैगापारा मोहल्ले में 13 हाथियों का दल अचानक आ धमका। हाथियों की आमद से गांव के लोग घर से बाहर निकल गये और डर से अपने बच्चों को उठाकर इधर-उधर जान बचाने भागने लगे। रात में यहां की स्थिति ऐसी थी कि बस्ती का कौन सा ग्रामीण कहां जाकर छुपा है यह दूसरे तक को नहीं मालूम था। 20 से 22 घरों की बस्ती को पूरी रात हाथियों ने तांडव मचाते हुये ढहा दिया। सुबह बस्ती का नजारा उजाड़ नजर आया। हाथियों ने 13 माझियों व एक यादव परिवार का घर पूरी तरह तोड़ डाला। हाथियों के गांव से लगे जंगल में ही डटे रहने से ग्रामीणों में दहशत का आलम है, वहीं सूचना पर वन विभाग की टीम ने गांव में पहुंचकर नुकसान का जायजा ले रही है। उनके द्वारा मुआवजा प्रकरण बनाया जा रहा है। हाथियों द्वारा घर तोड़े जाने के बाद अधिकांश ग्रामीण जहां दूसरे गांव या रिश्तेदारों के घर चले गये, वहीं कुछ लोग परिवार सहित गांव में ही पेड़ के नीचे दिन गुजारने विवश हैं। हाथियों ने उनका जीवन फिलहाल खानाबदोश सा कर दिया है।
दूसरे गांव में कर रहे पलायन
हाथियों के कहर ने गामीणों को कहीं का नहीं छोड़ा है। पूरी बस्ती उजड़ जाने से ग्रामीणों को दोहरी मार झेलनी पड़ रह है। एक तो भीषण गर्मी से वे पहले से ही तबाह थे, ऊपर से हाथियों ने उनका आशियाना ही छीन लिया। घर उजड़ जाने से ग्रामीण अपने बच्चों व वृद्धों, महिलाओं को लेकर रिश्तेदार व दूसरे गांव में जाकर पनाह ले रहे हैं। भरी दोपहरी में आज टै्रक्टर में सवार होकर सामान सहित ग्रामीण पलायन करते दिखे।
इन ग्रामीणों के तोड़े घर
हाथियों ने जिन ग्रामीणों के घर तोड़े हैं उनमें रतन पिता मतवार, कुंवर साय पिता ननकू, सूखन पिता मंगल, मंगलसाय,कुंवर साय पिता झब्बू, उमेश पिता बाबा अहिर, जगेश्वर पिता नानसाय, रामनाथ पिता मंगलसाय, सुधन पिता रामधनी, नानसाय पिता मंगल साय, सूखन पिता सांझू व विजय पिता नान्ही शामिल हैं।
दो दिन पूर्व ली थी एक ग्रामीण की जान
कंडराजा मे दो दिन पूर्व दो हाथियों ने रामधनी नामक एक ग्रामीण की जान ले ली थी। इस दौरान रामधनी गांव के ही एक अन्य ग्र्रामीण के साथ सुबह टहलने निकला था। हाथियों ने उसकी जहां पटक-पटक कर जान ले ली थी, वहीं शव को फुटबल बनाकर काफी देर तक खेला था।
कोरवा परिवार पहले से विस्थापित
पिछले ढाई माह से ग्राम कंडराजा, उरंगा व बरिमा के तराई इलाकों में हाथियों के स्थाई डेरे व रोज-रोज की दहशत के कारण लगभग दो दर्जन पहाड़ी कोरवा परिवार उरंगा से विस्थापित होकर बरिमा में निवासरत है। चूंकि उरंगा धरमजगढ़ ब्लाक अंतर्गत आता है। इस कारण से पहाड़ी कोरवाओं को शासन से मिलने वाला लाभ पूरी तरह से नहीं मिल पा रहा है।