गांव की चौपाल हो या शहरों का कोई सरकारी दफ्तर आपने लोगों को अकसर कहते सुना होगा कि ‘अब वो ज़माना नहीं रहा, जब कोई किसी को देख कर खुश रहे या किसी की मदद के लिए आगे आये.’ हालांकि उनका ये कहना भी कुछ गलत नहीं है, पर शायद ऐसे लोगों ने दुनिया को ऐसी नज़रों से देखा ही नहीं कि उसमें अच्छाई तलाश सकें.
अब जैसे औरंगाबाद के उद्योगपति मनोज जैन का ही किस्सा ले लीजिये, जिनके बेटे बादल की शादी पास के ही एक व्यापारी अजय कुमार की बेटी श्रेया से हुई. चाहने को तो मनोज और अजय मिलकर अपने बच्चों की शादी पर बेतहाशा पैसे खर्च करके इसे शाही रूप दे सकते थे, पर दोनों ने इसके उलट इस शादी को यादगार बनाने के लिए दूसरा ही रास्ता चुना.
इसके लिए उन्होंने अजय के पास पड़ी ज़मीनों पर गरीबों के लिए घर बनाने का फैसला लिया. इसके लिए उन्होंने अक्टूबर में भूमि पूजन करवाया और दो महीने के इंतज़ार के बाद आख़िरकार घर बन कर तैयार हो गया. 12 दिसम्बर को हुई बच्चों की शादी में इन दोनों ने वो घर 90 गरीब परिवारों के बीच बांट दिये.
आज जहां लोग दुल्हन को लाने के लिए हेलिकॉप्टर का सहारा ले रहे हैं, करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं. ऐसे में दोनों सम्बन्धियों का यह फैसला काबिले तारीफ़ है.