महिला नक्सलियों ने ह्त्या के बाद 6 जवानो के काटे गुप्तांग

सुकमा

सुकमा जिले के बुरकापाल में नक्सली हमले में शहीदों के शवों से अमानवीयता की बात भी सामने आई है। घटनास्थल से बरामद शवों में से करीब 6 शहीदों के गुप्तांग महिला नक्सलियों ने काट दिए हैं। दरअसल सीआरपीएफ 74वीं बटालियन के जवानो पर नक्सलियों ने एंबुश में फंसाकर अंधाधुंध फायरिंग की थी और 10 राउंड यूबीजीएल भी दागे गए थे,  जिसमें 25 जवान व अधिकारी शहीद हो गए और 6 घायल हुए हैं। इस बीच लगभग पौने दो घंटे महिला नक्सलियों ने धारदार हथियार से शहीदों के अंग काटने की वारदात को अंजाम दिया। बुरकापाल हमले में शामिल नक्सलियों में लगभग एक तिहाई महिला नक्सली शामिल थीं, यही कारन है की शहीदों के गुप्तांगो को महिला नक्सलियों द्वारा काटे जाने की आशंका को बल मिल रहा है।

पहली भी देखी जा चुकी है क्रूरता 

गौरतलब है की वर्ष 2007 में बीजापुर जिले के रानीबोदली में सीएएफ कैंप पर हमले में 55 जवान व एसपीओ शहीद हुए थे। तब नक्सलियों ने धारदार हथियार से कुछ जवानों के सिर धड़ से अलग कर दिए थे। झीरम-2 नाम से चर्चित टाहकवाड़ा मुठभेड़ में शहीद जवानों के शवों को टंगिए व धारदार हथियारों से गोदा गया था। शहीद जवान के शव में बम लगाने करने की घटना को भी अंजाम दिया गया था।

 

हमले में तीर बम का हुआ इस्तेमाल

मौके पर बिना फटे व फटे हुए तीर बम समेत खाली कारतूस के खोखे चारों ओर नजर आए। मालूम हो, 12 मार्च को कोत्ताचेरू में हुए हमले के दौरान भी नक्सलियों ने तीर बम का इस्तेमाल किया था। बताया जाता है कि तीर के अगले हिस्से में नक्सली आईईडी लगा देते हैं। इसके लगते ही विस्फोट हो जाता है। इस प्रकार के तीर बम का नक्सलियों ने पहले भी कई बार इस्तेमाल किया है।

तीन नक्सलियों के मारे जाने का दावा करने वाले आईजी विवेकानंद सिन्हा ने बताया कि ग्राम लिंपा के ग्रामीणों ने नक्सलियों द्वारा तीन शवों के जलाए जाने की पुष्टि की है। वहीं कई नक्सलियों के घायल होने की जानकारी भी मिली है। घटनास्थल पर खून के छींटे भी मिले हैं। सिन्हा ने खुफिया तंत्र की नाकामी की बात से इंकार करते कहा कि नक्सलियों के मुकाबले जवानों की संख्या काफी कम थी, इसलिए नुकसान उठाना पड़ा।