संजय यादव
जांजगीर चांपा। जिले में लगातार 28 दिनों से अटल बिहारी मडवा प्लांट में नियमितीकरण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे संविदा बिजली परिचालक कर्मचारियों द्वारा 2 जनवरी को उग्र आंदोलन एवं पुलिस बल पर पथराव आगजनी की घटना को लेकर शहर में अलग-अलग चर्चाओं का बाजार गर्म है । कोई किसी के ऊपर आरोप लगा रहा है तो कोई आंदोलन कर रहे हैं कर्मचारियों पर दोष मढ़ रहा है। लेकिन वास्तविक घटना के पीछे किसकी साजिश यह अभी तक कोई नहीं नहीं बता पाया है ? लेकिन एक बार सही है कि लगातार 28 दिनों तक प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारियों को संभालने में जिला एवं पुलिस प्रशासन नाकाम रही. वहीं प्रदर्शन के पीछे पुलिस एवं जिला प्रशासन का कुप्रबंधन देखने को मिला .जिसके चलते इतनी बड़ी घटना घटित हो गई । वही आंदोलन में शामिल दोषियों को तो पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन इसके पीछे निर्दोष लोगों को भी पुलिस द्वारा टारगेट किया जा रहा है ,जो उग्र आंदोलन में शामिल नहीं थे। जो उस वक्त अधिकारियों के साथ चर्चा में शामिल हुए थे। लेकिन उनकी और उनके परिवार की सुनने वाला कोई नहीं है। वही पुलिस की नाकामियों पर कोई चर्चा नहीं कर रहा है सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि आखिर 28 दिन तक प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों को प्लांट के मेन गेट के सामने क्यों बैठने दिया गया ? जबकि नियम में किसी भी औद्योगिक इकाइयों के सामने 100 मीटर की दूरी पर धरना प्रदर्शन करने की अनुमति होती है .लेकिन पुलिस प्रशासन लगातार हफ्तों तक गेट के सामने प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारियों को धरना प्रदर्शन करने के लिए छूट दिया गया . वही 2 दिन पहले मड़वा पावर प्लांट के मेन गेट पर तालाबंदी एवं झुमा झपटी घटना के बाद भी आंदोलन कर्मी संख्या के अपेक्षा पुलिस की संख्या बहुत ही कम थी जिसके चलते यह घटना घटित हुई है .वही पुलिस की खुफिया तंत्र पूरी तरह नाकाम रही जिसके चलते पुलिस समय पर यह नहीं पता लगा पाया कि ऐन मौके पर इस तरह की घटना भी हो सकती है ,और घटना बड़ा रूप ले सकता है .घटना में देखा गया है कि पुलिस गाड़ी के अलावा निजी लोगों के वाहनो को आग के हवाले कर दिया गया है. वहीं सरकारी पावर प्लांट को भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त कर आगजनी की घटना को अंजाम दिया गया है. फिलहाल इस पूरे घटना में राज्य सरकार ने जिले के पुलिस अधीक्षक व अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक का स्थानांतरण कर दिया गया है। हालांकि प्रशासनिक कारणों की वजह बता रही है ।लेकिन यह कोई आकस्मिक स्थानांतरण नहीं कहा जा सकता है। घटना को लेकर राज्य सरकार ने पुलिस एवं जिला प्रशासन से घटना की जानकारी मंगाई है। वही पुलिस प्रशासन की नाकामियों के चलते हैं पुलिस विभाग के दोनों बड़े अफसर का स्थानांतरण कर दिया है । भले ही लोग कुछ और समझ रहे हैं ,लेकिन स्थान तरण के पीछे मडवा पावर प्लांट में हुए उस दिन की घटना ही मुख्य वजह है । हालांकि इस घटना की पीछे कई कारण नजर आ रहे हैं इस प्रदर्शन को लेकर नेतृत्व कर रहे किसी राजनीति दल के नेताओं ने घटना के दिन नही दिखे ,वहीं जो 28 दिनों तक आंदोलन का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. आखिर ऐसी क्या बात उस दिन हुई कि अचानक प्रदर्शन कर्मी आक्रोशित हो गए और पथराव करने लगे। इस घटना के पीछे जरूर बहुत बड़ी साजिश नजर आ रही है हालांकि किसी एक को इसकी जिम्मेदार ठहराना ठीक नहीं होगा, लेकिन घटना के पीछे साजिश जरूर हुई थी।
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