शहडोल (अजय) मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए कई योजनाएं बना रही है। केंद्र सरकार भी हर साल करोड़ों रुपये बेसिक शिक्षा पर खर्च करती है। लेकिन स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों की लापरवाही और अज्ञानता से निपटना उनके लिए टेढ़ी खीर बनता जा रहा है। तभी तो शहडोल जिले के प्राथमिक स्कूलों में कुछ शिक्षकों को जिले के कलेक्टर , कमिश्नर, जिला शिक्षा अधिकारी का नाम तक नही मालूम , इनको देश के राष्ट्रपति का नाम तक नही मालूम । ऐसे में सरकार का बेहतर शिक्षा का सपना भी अंधेरे में दिख रहा है।
बेसिक शिक्षा की यह बदहाल तस्वीर मध्य प्रदेश के शहडोल जिले ब्यौहारी ब्लाक के टिकुरी टोला स्थित प्राथमिक पाठशाला टिकुरी टोला में शिक्षा ग्रहण करा रहे देश के भविष्य रचयिता शिक्षक को जिला के कलेक्टर कमिश्नर का नाम तो छोड़िए देश के राष्ट्रपति का नाम भी नही मामलूम । हैरानी तो तब हुई जब इनको इनके विभाग के जिला शिक्षा अधिकारी का नाम भी नही मालूम जिनसे ये दिन भर में कई बार बात चीत मुलाकात भी होती है।
प्राथमिक पाठशाला टिकुरी टोला के शिक्षक राम दास से जब भारत के राष्ट्रपति का नाम पूछा तो उन्हें दिन में तारे दिखाई देने लगे । बार बार अपना सर पकड़ मस्तिष्क में जोर देने लगे लेकिन असफल रहे । आलम यह था की जिला कलेक्टर कमिश्नर का नाम तो छोड़िए जिला शिक्षा अधिकारी का भी नाम नही बता पाए इतना ही नही मास्साब अपनी कमी छपाने के लिए कैमरे के सामने फफक फफक कर रोने लगे । ऐसा ही कुछ हाल उसी विधायलय के शिक्षक सरदार प्रसाद प्रजापति , राम स्वरूप नापित समेत राम नरेश कोल का भी था ।
विधायलय में पदस्त राम नरेश कोल नशे में धुत्त होकर छात्रों को शिक्षा ग्रहण करा रहे थे । इस दौरान जब उनसे देश के राष्ट्रपती का नाम पूछा गया तो उन्होंने कैमरे के सामने बोलने के बजाय ब्लैक बोर्ड पर लिखना ज्यादा मुनासिब समझा लेकिन वहां भी विफल रहे देश के राष्ट्रपति का नाम राम नाथ कोविंद की जगह वेंकैया नायडू को राष्ट्रपति बना डाला इस दौरान कक्षा में मौजूद छात्र उनकी इस अज्ञानता को ज्ञान स्वरूप ग्रहण कर रहे थे।
टिकुरी टोला विधायलय का हाल बद से बदतर है । इस विधायलय में कुत्ते घूमते नजर आ रहे थे तो वही विधायलय में छात्राये साफ सफाई कर झाड़ू लगते नजर आई । इस दौरान शिक्षक अपना समय पास करते एक दूसरे से गप्प मारते नजर आए । वही स्कूल के छात्रों का कहना था की कभी भी समय पर स्कूल नही खुलता पहले छात्र स्कूल आते है जिसके कई घंटों के बाद शिक्षक आते है । इतना ही नही छात्रों ने तो यह भी बताया की उन्हें पढ़ाने की बजाय शिक्षक आपस मे गप्प सप्प मरते रहते है । ऐसा ही कुछ हाल मध्यान भोजन का भी है । छात्रों को सुचारू रूप से भोजन भी नही मिलता ।
वही इस पूरे मामले में जब जिला शिक्षा अधिकारी से चर्चा की गई तो उन्होंने इस संबंध में मुझे कुछ नही कहना है कहते हुए अपना पल्ला झाड़ लिया ।
जिले बैठे अधिकारियों की लापरवाही और शहडोल के सुदूर अंचल स्थित स्कूलों के शिक्षकों मनमानी से छात्रों के भविष्य में ग्रहण लगा रहे है । ऐसे में देश का भविष्य माने जाने वाले छात्रों का भविष्य क्या होगा..?