अम्बिकापुर …घर घर शौचालय बनाकर स्वच्छ, भारत स्वच्छ भारत का सपना लगता है सपना ही रह जाएगा… क्योंकि आदिवासी बाहुल्य सरगुजा जिले मे अधिकारियो और भ्रष्ट सिस्टम की बदौलत प्रधानमंत्री का ये सपना चकनाचूर होता दिखाई दे रहा है… मौजूदा मामला जिले के सीतापुर जनपद पंचायत के बेलजोरा का है.. जहां एक तरफ कई हितग्राही शौचालय के लिए खोदे गए गड्ढो मे पौधारोपण कर रहे है और दूसरी तरफ ,, जो गुणवत्ता विहीन शौचालय बने भी है तो उसके मटेरियल सप्लाई और मजदूरी करने वाले लोग अपने रुपए के लिए जनपद और पंचायत कार्यालय की परिक्रमा करने को मजबूर है…
वैसे तो आदिवासी बाहुल्य सरगुजा जिला सरकारी फाईलो मे पूर्ण ओडीएफ जिला बन चुका है.. लेकिन कडवी हकीकत ये है कि यहां शौचालयो के नाम पर सिर्फ और सिर्फ रुपयों का बंदरबाट हुआ है.. और इस पूरी कहानी को समझने के लिए जिले का एक गांव ही काफी है.. दरअसल जिले के सीतापुर जनपद पंचायत के बेलजोरा गांव के कई घरो मे अब तक शौचालय नही बने है जिसके कारण लोगो ने शौचालय के लिए खुदे गए गड्ढो मे पौधारोपण कर दिया है.. आलम ये है कि बरसात के दिनो मे भी इन लोगो को शौच के लिए खुले मे जाना पडता है..
बेलजोरा के हीरालाल को जहां खुले मे शौच जाना पड रहा है तो वही माली हालत खराब होने के बावजूद लीला कुजूर जैसे बहुत से लोग है जिनको घर मे शौचालय ना बनने के कारण उन लोगो ने अपने 12-12 हजार रुपए खर्च करके शौचालय बनवा लिया है .. इतना ही नही गांव के पंच कुंवर मिंज की माने तो ये सब मामला गांव की महिला सचिव पूर्णिमा गुप्ता के काऱण उत्पन्न हो रहा है क्योकि वो गांव कभी आती नहीं है औऱ अपना दफ्तर ब्लाक मुख्यालय सीतापुर स्थित अपने घर मे लगाती हैं….
किसी भी ग्राम पंचायत के विकास के लिए ग्राम सचिव की भूमिका काफी अहम होती है.. तो आप समझ सकते हैं कि जिस पंचायत की सचिव गांव के लोगों को दर्शन ही नही देती है तो फिर वहां शौचालय क्या कई निर्माण मे घपला हुआ होगा.. खैर शौचालय निर्माण की ही बात करें तो गांव मे पहले किश्त मे जो घटिया स्तर के शौचालय बनावए गए थे.. उनके मजदूर और मटेरियल स्पलायर भी दो साल से अपने हक के रुपयो के लिए भटक रहें हैं….
अधिकारियों को पूरी है जानकारी…
ऐसा नहीं है ओडीएफ का तमगा लेकर अपने दफ्तरो मे फाईल निपटाने वाले सीतापुर जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी संजय सिंह को बेलजोरा के इस मामले की जानकारी है .. लेकिन वो कहते हैं कि जब कोई निर्माण होता है तो उसमे एक दो साल मे दिक्कत आ ही जाती है…उसकी जांच कराई जाएगी… मतलब भ्रष्टाचार को छूट देने वाले अधिकारी अपने सचिव औऱ सिस्टम के पक्ष मे है.. ना कि उन हितग्राहियो को जिनको या तो शौचालय मिला नही या फिर उन्होने अपने रुपए से बना लिया…
सिस्टम मे मिस्टेक तो चल जाता है .. लेकिन शौचालय के मामले मे तो यहां का सिस्टम फेल और सेट नजर आ रहा है… खैर सरगुजा जिले के बेलजोरा गांव मे शौचालय निर्माण पूरी तरह विवाद के घेरे मे हैं… जिसकी मुख्य वजह यहां की वो सचिव है जिसका दर्शन गांव के लोग दिपावली और दशहरे मे भी नही कर पाते है… बहरहाल इस पूरे मसले मे अब भी कार्यवाही हो पाती है या फिर शौचालय के लिए बने गड्ढो मे लगे पौधो के पेड बनने का इंतजार होता है…… ये देखना दिलचस्प होगा….