जांजगीर चांपा । ज़िले में गिरदावरी के नाम पर जिला प्रशासन बड़े-बड़े दावे कर रही है. नई तकनीक( ड्रोन सिस्टम ) से गिरदावरी होने के बात कह रही है वहीं दावे तो यह भी कर रहे हैं कि इस वर्ष गिरदावरी मौके पर जाकर किया गया। राजस्व विभाग अभी तक हंड्रेड परसेंट गिरदावरी पूरे होने की जानकारी देे रही हैं लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही नजर आ रहा है। गिरदावरी के नाम पर काम सिर्फ कागजों में ही पूरे हो गए हैं। 1 अक्टूबर से गिरदावरी की फाइनल लिस्ट की प्रकाशन जारी होने के लिए तैयार हो गई है वहीं दावा आपत्ति के लिए भी समय दिया जा रहा है । लेकिन वर्ष 2020-21 में हुए समर्थन मूल्य में धान खरीदी को लेकर जिस तरह जिले की बदनामी हुई थी उसे यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस वर्ष भी गिरदावरी करने में ईमानदारी नहीं दिखाई गई है ना ही पटवारी, तहसीलदार मौके पर जाकर गिरदावरी किये है। सिर्फ कागजों में गिरदावरी दिखाया जा रहा है। आने वाले समय में धान खरीदी के समय यही विवाद फिर से उपजने वाला है। राजस्व विभाग द्वारा घर बैठे गिरदावरी करनेे का परिणाम पहले भी देखा जा चुुका है। शासकीय भूमि के रखबे खसरे को निजी बता कर किसान फर्जी पंजीयन कर करोड़ों का घोटाला किया था। जिसको लेकर अभी तक पूरी तरह से कार्यवाही नहीं हो पाई है। बावजूद इस बार जिला प्रशासन फिर से वही गलती दोहराने जा रहा है। राजस्व विभाग तो जरूर गिरदावरी मौके पर करने के दावे कर रहा हैं लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। जिला प्रशासन द्वारा तो इस वर्ष नई तकनीक ड्रोन सिस्टम से गिरदावरी करने की बात कह रही है। लेकिन यह सिर्फ एक-दो दिन ही ड्रोन से गिरदावरी कर प्रचार प्रसार किया गया। वर्ष 2020- 21 के समर्थन मूल्य में हुए धान खरीदी घोटाला पूरे प्रदेश में हलचल मचा दिया था। वही धान खरीदी में हुए घोटाले की गूंज विधानसभा में भी गूंजी थी। लेकिन जिला प्रशासन द्वारा इस वर्ष भी गिरदावरी करने में किसी प्रकार भी गंभीरता नहीं दिखाई है । फिर से वही पुराने ढर्रे में धान खरीदी होना दिख रहा है। अभी तक कई किसानों द्वारा पंजीयन कराया जा रहा है लेकिन अधिकारियों को पूछने पर यह नहीं बता पा रहे हैं कि इस वर्ष धान खरीदी पंजीयन में क्या कुछ नया होने जा रहा है। जिसको लेकर फर्जी पंजीयन को रोका जा सके । लेकिन अधिकारी कुछ बताने में असमर्थ है। वही पुराने सॉफ्टवेयर से ही इस बार भी धान खरीदी होना है। जिला प्रशासन द्वारा दावा किया जा रहा है कि 1 अक्टूबर से गिरदावरी का फाइनल प्रकाशन किया जाएगा उसके बाद कुछ दिनों तक दावा आपत्ति का भी समय किसानों को दिया जाएगा । जिले के तत्कालीन कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला ने भी खेत के मेड में जाकर फोटो खींचा कर वाहवाही लुटे थे वही काम इस बार कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा कर रहे हैं । जिला प्रशासन का दावा है कि पूरी ईमानदारी एवं प्रशासनिक कसावट के साथ गिरदावरी की जा रही है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही दिख रहा है आने वाले समय में जरूर इसका परिणाम नजर आएगा था।
किसानों के द्वारा किए गए फर्जी पंजीयन नहीं हुए निरस्त….
राजस्व विभाग दावा कर रही है कि पूर्व में किसानों द्वारा शासकीय भूमि के रकबा, खसरा को अपना बता बताकर फर्जी पंजीयन कर धान खरीदी किया गया था जिसे इस बार निरस्त कर दिया गया है। लेकिन नहीं लगता कि पूरी तरह सभी शासकीय भूमि में हुए फर्जी पंजीयन निरस्त हो गए होंगे। आने वाले समय में फिर से वही किसान अपने नाम से शासकीय भूमि के खसारा रखबा से धान की बिक्री करेंगे । हालांकि कई किसानों को चिन्हित कर बैंक अकाउंट को होल्ड कर दिया गया था लेकिन पूरी तरह यह काम नहीं हो पाया है । जिले के लगभग सभी ब्लाकों में फर्जी पंजीयन कर धान की बिक्री पूर्व में किया गया था । जिला प्रशासन दावे तो जरूर कर रहे हैं कि इस बार धान की खरीदी में किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं होगी और गड़बड़ी करने वाले पर सख्त कार्यवाही की जाएगी लेकिन देखना होगा कि यह दावे कितने सच साबित हो रहे हैं।