गाजीपुर:@आशीष कुमार राय_ जिला सहकारी बैंक के पूर्व चेयरमैन अरुण सिंह की पत्नी शीला सिंह गाजीपुर नगर पालिका चेयरमैन के चुनाव मैदान से अपना कदम खींच लीं। गुरुवार को उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया। हालांकि इस बात का फैसला बुधवार की देर शाम उनके आवासीय परिसर में समर्थकों की चली लंबी बैठक में हो गया था लेकिन तब इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई थी। उस बैठक की अध्यक्षता वरिष्ठ एडवोकेट रणजीत सिंह ने की।
अरुण सिंह के प्रतिनिधि एडवोकेट गौतम मिश्र ने कहा कि बैठक में समर्थकों की यही राय आई कि मौजूदा सियासी तकाजा यही है कि नगर को गलत हाथों में जाने से बचाने के लिए खुद त्याग किया जाए।क्या सिंह परिवार इस चुनाव में किसी दल को समर्थन देगा कि तटस्थ रहेगा। इस सवाल पर अरुण सिंह के प्रतिनिधि एडवोकेट गौतम मिश्र ने कहा कि चुनाव में अपनी भूमिका पर बाद में विचार होगा। उन्होंने कबूला कि भाजपा और सपा के लोग उनके संपर्क में हैं। यह भी माने कि सपा के लोग दो बार नैनी जेल पहुंच कर एक हत्या के मामले में निरुद्ध अरुण सिंह से मिल चुके हैं लेकिन अरुण सिंह ने उनको कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। वह उन्हें यह जरूर कहे कि समर्थन के मामले में उनके समर्थक बाद में फैसला लेंगे। उधर अरुण सिंह का समर्थन लेने की जुगत में लगी भाजपा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर के करीबियों तक को लगा दी है। वह लोग भी नैनी जेल पहुंच कर अरुण सिंह से पार्टी के लिए समर्थन का आग्रह कर आए हैं। मालूम हो कि गाजीपुर के जनाधार वाले नेताओं में शुमार अरुण सिंह कभी भाजपा के कद्दावर चेहरा थे लेकिन लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर वह पार्टी से बगावत कर चुनाव लड़ गए थे। बावजूद भाजपा के लोग शायद यह नहीं भूले हैं कि गाजीपुर नगर पालिका चेयरमैन के पिछले चुनाव में पार्टी की जीत सुनिश्चित करने में अरुण सिंह की कितनी अहम भूमिका थी। हालांकि अरुण सिंह की पत्नी शीला सिंह के नाम वापसी के बाद सपा समर्थक भी कम उत्साह में नहीं हैं। वह मान रहे हैं कि शीला सिंह के मैदान से हटने के बाद प्रेमा सिंह इकलौती राजपूत उम्मीदवार रह गई हैं। उसका लाभ उन्हें मिलेगा। राजपूत वोट का ध्रुवीकरण उनके पक्ष में होगा।