कोरबा . चुनाव हो और नेता, नेतागिरी वाला दिमाग ना लगाए ऐसा शायद मुमकिन नहीं है. विधानसभा चुनाव के दौरान कोरबा जिले मे भी ऐसा ही एक दिलचस्प मामला सामने आया है यहां की 4 में से 3 विधानसभा क्षेत्रों में राष्ट्रीय पार्टियों के प्रत्याशी के हमनाम भी चुनावी मैदान में हैं. ऐसे में ये हमनाम और निर्दलीय राष्ट्रीय दलों के प्रत्याशियों का चुनावी समीकरण बिगाड सकते हैं. हालांकि राष्ट्रीय दल के प्रत्याशी इस संभावना से अलग अपनी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. लेकिन फिर भी राजनैतिक विश्लेषक इसे विरोधी राजनीतिक दलों का षडयंत्र मान रहे है।
पालीतानाखार विधानसभा क्षेत्र
कोरबा जिले मे 4 विधानसभा सीट है . इन सीटो में भाजपा, कांग्रेस, बसपा जेसीसी गठबंधन के साथ ही अन्य राजनीतिक दल के उम्मीदवार अपनी किश्तम आजमा रहें हैं. जिसमे रामपुर विधानसभा क्षेत्र को छोडकर बाकी तीनो विधानसभा सीटो मे प्रमुख प्रत्याशियो के साथ उनके हमनाम प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं. इनसे पालीतानाखार विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप मे रामदयाल उईके निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में ताल ठोक रहे हैं जबकि इसी विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की टिकट पर भी रामदयाल उइके चुनाव लड रहें हैं. गौरतलब है कि भाजपा वाले रामदयाल उइके कुछ दिन पहले ही कांग्रेस का हाथ छोडकर भाजपा का फूल थामा है. लेकिन अब जब वो भाजपा की टिकट पर चुनाव लड रहें है तो विपक्षा दलो के साथ उनके हमनाम भी उनके लिए चुनौती बन गए . हालांकि रामदयाल उइके ऐसा नहीं मानते उनका कहना है कि उनके नाम के लोग तो बहुत हो सकते हैं मगर उनके गुण वाला व्यक्ति दूसरा नहीं हो सकता
कोरबा विधानसभा क्षेत्र
जिले के पालीतानाखार विधानसभा क्षेत्र के बाद अगर हम कोरबा विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यही हाल कोरबा विधानसभा क्षेत्र का भी है यहां से भाजपा ने विकास महतो को अपना प्रत्याशी बनाया हैं तो एनसीपी ने भी यहां से विकास कुमार महतो नाम के व्यक्ति को अपना प्रत्यशी बनाया है. इसी विधानसभा क्षेत्र से लखन लाल देवांगन भी सपा प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं जबकि लखन लाल देवांगन कटघोरा विधानसभा से भाजपा के प्रत्याशी बनाए गए हैं
कटघोरा विधानसभा
अब कोरबा जिले की तीसरी विधानसभा कटघोरा विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां से कांग्रेस ने पुरुषोत्तम कंवर को अपना प्रत्याशी बनाया हैं तो वहीं कटघोरा विधानसभा क्षेत्र से ही एक दूसरे पुरुषोत्तम सिंह कंवर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं . ऐसे में माना जा सकता है कि राजनीतिक दल अपने अपने तरीके से चुनाव जीतने के लिए ऐसा दांव खेल रहें है. क्योकि हकीकत ये है कि बहुत ज्यादा ना सही लेकिन प्रमुख दलो के प्रत्याशी के हमनाम के चुनाव लडने वोट तो कटते हीं है. और ऐसे हमनाम प्रत्याशी प्रमुख दलो की सियासी शतरंज मे खलल भी डाल सकते हैं ..
कांग्रेस की परिपाटी. सांसद
भाजपा सांसद बंशीलाल महतो का कहना है कि कांग्रेस इस तरह की परिपाटी चलाती आ रही है मगर इससे नुकसान उनका ही होगा और भाजपा के हम नाम प्रत्याशियों के बाद भी भाजपा की जीत होगी. अब नतीजो मे हमनाम के वोटो की संख्या तो देखना दिलचस्प तो होगा ही.. लेकिन उससे ज्यादा दिलचस्प बात ये होगी कि जनता किस पर भरोसा करती है.