
जांजगीर चांपा। जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) जांजगीर-चांपा ने पामगढ़ स्थित जी.एल.डी. हॉस्पिटल के संचालक के विरुद्ध नर्सिंग होम एक्ट एवं पी.सी.पी.एन.डी.टी. अधिनियम के प्रावधानों के उल्लंघन के आरोप में कारण बताओ नोटिस जारी किया है। स्वास्थ्य विभाग की इस कार्रवाई से जिले के निजी स्वास्थ्य संस्थानों में हड़कंप मच गया है।
ज्ञात हो कि जी.एल.डी. हॉस्पिटल का संचालन गोरेलाल डाहीरे द्वारा किया जाता है, जो तत्कालीन ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर (बीएमओ) के ससुर भी हैं। इस अस्पताल में कार्यरत चिकित्सकों में स्वयं पामगढ़ की बीएमओ डॉ. रश्मि डाहीरे तथा उनके पति डॉ. कमल कुमार डाहीरे भी शामिल हैं। डॉ. कमल वर्तमान में जशपुर जिले में शासकीय सेवा में पदस्थ हैं। यह परिस्थितियाँ इस बात की ओर संकेत करती हैं कि शासकीय स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावित कर मरीजों को निजी अस्पताल में भेजे जाने की आशंका से विभाग पूरी तरह से चिंतित है।
इसी बीच, पिछले माह अस्पताल में इलाज के दौरान एक मरीज की मृत्यु के बाद परिजनों द्वारा असंतोष जताए जाने पर भारी विवाद की स्थिति निर्मित हो गई थी। देखते ही देखते हालात बिगड़ने लगे, जिसे प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद नियंत्रित किया गया। इस घटना ने भी अस्पताल के कार्यप्रणाली को लेकर संदेह और गहरा कर दिया था।
सीएमएचओ कार्यालय द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि अस्पताल संचालन हेतु प्रस्तुत आवेदन में डॉ. रश्मि डाहीरे को पर्यवेक्षी चिकित्सक के रूप में दर्शाया गया था। आवेदन प्रस्तुत किए जाने के समय वे शासकीय सेवा में नहीं थीं, किंतु वर्तमान में पुनः शासकीय पद पर पदस्थ होकर अपने पदीय दायित्वों का निर्वहन कर रही हैं। नियमों के अनुसार, पर्यवेक्षी चिकित्सक के सेवा पद, स्थिति अथवा उपलब्धता में कोई भी परिवर्तन होने पर इसकी तत्काल सूचना संबंधित कार्यालय को देना अनिवार्य है। यह जानकारी अस्पताल प्रबंधन द्वारा आज दिनांक तक उपलब्ध नहीं कराई गई, जिसे विभाग ने गंभीर लापरवाही माना है।
नोटिस में हॉस्पिटल संचालक को तीन दिवस के भीतर स्वयं उपस्थित होकर संतोषजनक स्पष्टीकरण देने के निर्देश दिए गए हैं। पत्र में स्पष्ट चेतावनी दी गई है कि यदि निर्धारित समयावधि में जवाब संतोषजनक नहीं पाया जाता, तो संस्थान के विरुद्ध नर्सिंग होम एक्ट और पी.सी.पी.एन.डी.टी. अधिनियम के तहत कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी अस्पताल प्रबंधन की होगी।
इस नोटिस की प्रतिलिपि स्वास्थ्य सेवाएं, स्वास्थ्य भवन रायपुर, कलेक्टर जांजगीर-चांपा सहित सभी संबंधित अधिकारियों को भेजी गई है, ताकि प्रकरण की निगरानी उच्च स्तर पर भी रहे।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि निजी स्वास्थ्य संस्थानों में पर्यवेक्षी चिकित्सकों की नियुक्ति, सेवा परिवर्तन और उपलब्धता से संबंधित सूचनाएँ पारदर्शी रूप से उपलब्ध कराना अत्यंत आवश्यक है। यह न केवल नियमों का पालन सुनिश्चित करता है, बल्कि मरीजों की सुरक्षा एवं गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था के लिए भी अनिवार्य है।
सीएमएचओ डॉ. मरकाम ने स्पष्ट किया कि अस्पताल प्रबंधन द्वारा प्रस्तुत उत्तर की समीक्षा की जाएगी, और यदि जवाब संतोषजनक नहीं पाया जाता है, तो संबंधित नियमों के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी उन्होंने यह भी कहा कि प्रारंभिक जांच में पामगढ़ बीएमओ की ओर से लापरवाही प्रतीत होती है, जिसकी जिम्मेदारी तय करने हेतु अलग से जांच प्रस्तावित की गई है। विभागीय स्तर पर आगे की कार्यवाही नियमों के अनुरूप सुनिश्चित की जाएगी।



