
जांजगीर-चांपा। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के उद्देश्य से लागू की गई ‘उत्कृष्ट जांजगीर योजना’ अब विवादों और आलोचनाओं के घेरे में है। इस योजना के माध्यम से जिले को प्रदेश के टॉप-10 जिलों में स्थान दिलाने का सपना दिखाया गया था, लेकिन नतीजे इसके ठीक विपरीत सामने आए हैं।
इस वर्ष 12वीं बोर्ड परीक्षा में केवल एक छात्रा खुशी देवांगन ने 9वां स्थान प्राप्त किया, वहीं 10वीं में केवल दो छात्र – अदिति देवांगन (97.87%) और उपेन्द्र साहू (97.83%) – ही टॉप-10 में जगह बना पाए। जबकि करोड़ों रुपए खर्च कर जिलेभर में ‘उत्कृष्ट’ का झुनझुना बजाया गया था।
तत्कालीन कलेक्टर आकाश छिकारा द्वारा संचालित इस योजना को लेकर शिक्षकों और पालकों में भारी असंतोष है। आरोप है कि इस योजना के तहत छात्रों को भ्रमित कर, शिक्षकों पर कागजों में फर्जी प्रगति दिखाने का दबाव बनाया गया। बाकायदा नोडल अधिकारियों की नियुक्ति कर योजना को “दिखावे का अभियान” बनाया गया, जिससे शिक्षा का स्तर जिले में अब तक के सबसे खराब स्तर पर आ गया।शिक्षक संगठनों ने बताया कि योजना के दौरान विषयवार शिक्षकों की घोर कमी रही। कई शिक्षक अटैचमेंट और अन्य प्रशासनिक आदेशों के तहत इधर-उधर किए गए, जिससे स्कूलों में नियमित पढ़ाई बाधित रही। परिणामस्वरूप समय पर कोर्स पूरा नहीं हुआ और छात्र-छात्राएं परीक्षा की तैयारी भी ढंग से नहीं कर पाए।
मांग: एक वर्ष ‘नि:शुल्क सेवा’ दें जिम्मेदार
अब पालक और शिक्षक संगठनों की मांग है कि ‘उत्कृष्ट योजना’ का ढोल पीटने वाले अधिकारी, कर्मचारी और शिक्षकों को कम से कम एक वर्ष तक नि:शुल्क सेवा देनी चाहिए ताकि वे समझ सकें कि कागजों की योजना और ज़मीनी हकीकत में कितना अंतर होता है।
निजी स्कूल भी निशाने पर
सिर्फ सरकारी नहीं, निजी स्कूल भी इस गिरावट से अछूते नहीं रहे। पालकों से मोटी फीस वसूलने के बावजूद कई निजी स्कूलों में छात्रों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। पालकों का आरोप है कि न तो पढ़ाई का स्तर सुधरा, न ही शिक्षक बच्चों में गुणवत्ता विकसित कर सके।
सूत्रों का खुलासा: भारी भरकम राशि, परिणाम शून्य
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, ‘उत्कृष्ट जांजगीर योजना’ पर शासन और जिला प्रशासन द्वारा बड़ी राशि खर्च की गई, लेकिन उसका परिणाम लगभग शून्य रहा। ना तो जिले की रैंकिंग सुधरी, ना ही बच्चों के भविष्य में कोई सकारात्मक बदलाव आया।
अब जिले के लोग, शिक्षक और पालक सभी इस योजना की निष्पक्ष जांच और जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।