
नई दिल्ली। देशभर में तेजी से बढ़ रहे डिजिटल अरेस्ट स्कैम पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस गंभीर साइबर अपराध पर तत्काल लगाम लगाने की जरूरत है और इसके लिए सभी मामलों की जांच अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) करेगी। कोर्ट ने CBI को विशेष अधिकार प्रदान करते हुए साफ किया कि साइबर अपराध में इस्तेमाल किए गए बैंक खातों और उनसे जुड़े बैंकरों की जांच करने के लिए एजेंसी को पूरी स्वतंत्रता होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को स्वतः संज्ञान में लेते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को भी पक्षकार बनाया है और नोटिस जारी कर पूछा है कि ऐसे खातों की पहचान करने और अपराध की कमाई को फ्रीज़ करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग कब तक लागू की जाएगी। अदालत का कहना है कि तकनीक के सहारे इस स्कैम को रोकने का सबसे प्रभावी समाधान खोजा जाना चाहिए।कोर्ट ने आईटी इंटरमीडियरी रूल्स 2021 के तहत सभी प्राधिकरणों को CBI के साथ पूरा सहयोग सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। जिन राज्यों ने अब तक CBI को मंजूरी नहीं दी है, उनसे भी स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए कहा गया है कि वे अपने क्षेत्राधिकार में साइबर अपराध की जांच के लिए CBI को अनुमति प्रदान करें, ताकि देशभर में एक समान और बड़े पैमाने पर कार्रवाई हो सके। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जरूरत पड़ने पर CBI इंटरपोल की मदद भी ले सकती है।
कोर्ट ने आईटी इंटरमीडियरी रूल्स 2021 के तहत सभी प्राधिकरणों को CBI के साथ पूरा सहयोग सुनिश्चित करने का आदेश दिया है। जिन राज्यों ने अब तक CBI को मंजूरी नहीं दी है, उनसे भी स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए कहा गया है कि वे अपने क्षेत्राधिकार में साइबर अपराध की जांच के लिए CBI को अनुमति प्रदान करें, ताकि देशभर में एक समान और बड़े पैमाने पर कार्रवाई हो सके। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जरूरत पड़ने पर CBI इंटरपोल की मदद भी ले सकती है।डिजिटल अरेस्ट की धोखाधड़ी में बड़ी भूमिका निभा रहे सिम कार्ड मुद्दे पर भी अदालत गंभीर दिखी। टेलीकॉम सेवाओं में एक ही नाम पर कई सिम जारी होने के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम विभाग से प्रस्ताव पेश करने को कहा है, ताकि सभी कंपनियों को सिम कार्ड के दुरुपयोग पर रोक लगाने हेतु बाध्यकारी आदेश जारी किए जा सकें।
डिजिटल अरेस्ट की धोखाधड़ी में बड़ी भूमिका निभा रहे सिम कार्ड मुद्दे पर भी अदालत गंभीर दिखी। टेलीकॉम सेवाओं में एक ही नाम पर कई सिम जारी होने के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम विभाग से प्रस्ताव पेश करने को कहा है, ताकि सभी कंपनियों को सिम कार्ड के दुरुपयोग पर रोक लगाने हेतु बाध्यकारी आदेश जारी किए जा सकें।सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि साइबर क्राइम सेंटर जल्द स्थापित किए जाएं। साथ ही FIR दर्ज होने पर मोबाइल फोन से प्राप्त डाटा को संरक्षित किया जाए और IT Act 2021 के तहत पंजीकृत हर FIR को आगे की जांच के लिए CBI को सौंपा जाए। अदालत ने कहा कि यदि किसी राज्य को इसमें बाधा होती है तो वह सीधे सुप्रीम कोर्ट को इसकी जानकारी दे सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि साइबर क्राइम सेंटर जल्द स्थापित किए जाएं। साथ ही FIR दर्ज होने पर मोबाइल फोन से प्राप्त डाटा को संरक्षित किया जाए और IT Act 2021 के तहत पंजीकृत हर FIR को आगे की जांच के लिए CBI को सौंपा जाए। अदालत ने कहा कि यदि किसी राज्य को इसमें बाधा होती है तो वह सीधे सुप्रीम कोर्ट को इसकी जानकारी दे सकता है।मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने टिप्पणी की कि इस मामले पर संज्ञान लेने के बाद बड़ी संख्या में पीड़ित सामने आए हैं और कई याचिकाएँ दायर की गई हैं। अलग-अलग राज्यों में दर्ज FIR यह दिखाती हैं कि अपराध का दायरा बेहद व्यापक और भयावह है। सबसे चिंताजनक तथ्य यह है कि धोखेबाजों ने अधिकतर वरिष्ठ नागरिकों को निशाना बनाया, जिन्हें अलग-अलग तरीकों से विश्वास में लेकर करोड़ों रुपए ठगे गए।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने टिप्पणी की कि इस मामले पर संज्ञान लेने के बाद बड़ी संख्या में पीड़ित सामने आए हैं और कई याचिकाएँ दायर की गई हैं। अलग-अलग राज्यों में दर्ज FIR यह दिखाती हैं कि अपराध का दायरा बेहद व्यापक और भयावह है। सबसे चिंताजनक तथ्य यह है कि धोखेबाजों ने अधिकतर वरिष्ठ नागरिकों को निशाना बनाया, जिन्हें अलग-अलग तरीकों से विश्वास में लेकर करोड़ों रुपए ठगे गए।अदालत ने स्पष्ट कहा कि साइबर अपराध के हर मामले की जांच बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन डिजिटल अरेस्ट स्कैम पर तत्काल और अत्यधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। इसलिए निर्देश दिए जाते हैं कि CBI तेजी और प्रभावी ढंग से कदम बढ़ाए। इस मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद निर्धारित है।
अदालत ने स्पष्ट कहा कि साइबर अपराध के हर मामले की जांच बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन डिजिटल अरेस्ट स्कैम पर तत्काल और अत्यधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। इसलिए निर्देश दिए जाते हैं कि CBI तेजी और प्रभावी ढंग से कदम बढ़ाए। इस मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद निर्धारित है।
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