जांजगीर चांपा। छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा कैबिनेट में धान खरीदी 15 नवंबर से जारी करने का निर्णय ले लिया है। इधर पिछले साल हुई धान खरीदी का प्रदेश के कई सोसाइटी में भी आज उठाव हेतु धान शेष है.एवं समय पर समानुपात में सभी समितियों से धान उठाव नहीं होने से समितियां को करोड़ों का नुकसान भी हुआ है। जिसका सीधा असर कर्मचारियों के वेतन पर पड़ी है । गत वर्ष भी प्रदेश संगठन ने संभाग स्तरीय आंदोलन 12 दिनों तक किया था । मुख्यमंत्री ने भी प्रदेश संगठन से मिलकर मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया था। यहां तक खाद्य सचिव एवं सहकारिता पंजीयक ने भी लिखित में मागौं के संबंध में लिखित पत्र जारी किया था । फिर भी परिणाम शून्य निकला। आज प्रदेश के आधे से अधिक सहकारी समितियां की आर्थिक स्थिति धान में सुखद के कारण बदहाल हो गई है । कई जगह इसके कारण प्रबंधक एवं ऑपरेटर को कोर्ट और जेल भी जाना पड़ गया है। इससे आक्रोशित प्रदेश के लगभग 15,000 कर्मचारियों ने 12 अक्टूबर को रायपुर में प्रदेश कार्यकारिणी एवं समस्त 33 जिला अध्यक्षों की बैठक और कंप्यूटर ऑपरेटर महासंघ को भी आमंत्रित कर आगे अनिश्चितकालीन आंदोलन करने के लिए फिर मजबूर होना पड़ेगा। किसानों की समिति धान के सुखद से बर्बाद हो गई है। ऐसी स्थितियां रही तो धीरे-धीरे समितियां बंद हो जाएगी। प्रबंधकीय अनुदान लेने ,बैंकों में भर्ती करने ,धान की सुखद एवं शून्य शॉर्टेज प्रोत्साहन राशि लंबित मांगों को लेकर एक बार फिर कर्मचारी आर पार की सड़क की लड़ाई लड़ने कमर कस लिए हैं । साल भर पत्राचार, भेंट मुलाकात के बावजूद भी सरकार ने अनसुनी कर दी है। अब समिति कर्मचारी अपने परिवार सहित समिति को बचाने अंश धारी किसानों को लेकर एक बार मजबूती के साथ अंतिम लड़ाई लड़ने मजबूर होने जा रहे हैं। जिससे आक्रोशित कर्मचारियों ऑपरेटर संघ एक साथ मिलकर अब सड़क पर उतरने मजबूर होने जा रहे हैं। प्रदेश संगठन के द्वारा 10 दिनों के अंदर मांगों की पूर्ति नहीं होने पर आंदोलन करने फिर मजबूर होने बैठक बुलाने की अंतिम स्मरण पत्र छत्तीसगढ़ शासन को भेज दिए थे। छत्तीसगढ़ सरकार वादा निभाओ, समिति को डूबने से बचाओ,एवं सहकार से समृद्धि लाने शासन को अपना ध्यान आकर्षण करेंगे। उक्त जानकारी प्रदेश ध्यक्ष नरेंद्र कुमार साहू ने दिया।
