
घंटों वर्कआउट से पसीना बहाया और अपनी पसंदीदा खाने की चीजों से समझौता भी किया। हर उस डाइट को अपनाने की कोशिश की जो कुछ दिनों में काया पलटने के दावे करती थी। इन सबके बाद भी वजन कम न हो तो प्रश्न उठता है कि आखिर करें तो क्या? विशेषज्ञ कहते हैं कि यह एक दिन की दौड़ नहीं मैराथन है। अच्छे नतीजों के लिए लंबे समय तक तैयारी जारी रखनी होती है। विशेषज्ञों से बात करके बता रही हैं पूनम जैन
वजन बढ़ना और तमाम प्रयास के बावजूद वजन कम न कर पाना कई बातों पर निर्भर करता है। तनाव, आनुवंशिक कारण, नींद पूरी न होना, थाइरॉएड या मेनोपॉज के दौरान होने वाले हार्मोनल बदलाव वजन बढ़ने का कारण हो सकते हैं। लेकिन यह भी संभव है कि जानकारी के अभाव में आप ऐसी गलतियां कर रहे हों, जो आपकी सभी कोशिशों पर भारी साबित हो रही हैं। ऐसा भी होता है कि शरीर वजन घटाने के आपके पुराने तरीके से तालमेल बिठा लेता है, जिससे एक सीमा के बाद वजन कम होना बंद हो जाता है। ऐसे में आहार व व्यायाम में बदलाव करना जरूरी होता है।
लक्ष्य हो व्यावहारिक
मुबंई स्थित न्यूट्रिशनिस्ट माधुरी रुइया के अनुसार, ‘एक हफ्ते में 5 किलो या एक माह में 20 से 25 किलो वजन कम करने जैसे अव्यावहारिक लक्ष्य न बनाएं। धीमी गति से लंबे समय तक वजन कम करने के लिए खुद को तैयार करें। अपने वजन का एक प्रतिशत हर सप्ताह कम करें। अगर आप पुरुष हैं और कद 180 सेमी व वजन 95 कि.ग्रा. है, तो अपना आदर्श वजन निकालने के लिए कद में से 100 घटा दीजिए। इस मामले में यह 80 कि.ग्रा. होगा। अब अगर15 किलोग्राम वजन कम करना है, तो एक हफ्ते में 950 ग्राम वजन कम करने का लक्ष्य बनाएं। अगले हफ्ते 900 ग्राम, उसके बाद 850 ग्राम। महिलाओं को कद में से 105 कि.ग्रा. घटाना चाहिए। पुरुषों की कमर 36 इंच व महिलाओं की 31.5 इंच से कम होनी चाहिए।’
अपने शरीर को समझें
वेलनेस एक्सपर्ट डॉ. शिखा शर्मा अपनी पुस्तक ‘आर यू फीडिंग योर हंगर ऑर योर इमोशंस’ में लिखती हैं, ‘जीन के कारण शरीर के मेटाबॉलिज्म, संरचना व भावनात्मक प्रतिक्रिया पर असर पड़ता है, पर यह भूमिका केवल 30% होती है। दृढ़ इच्छाशक्ति, सही डाइट व उचित व्यायाम का चुनाव करके वजन कम किया जा सकता है।’ शरीर के कुल वजन में मांसपेशी, वसा, हड्डी और पानी का वजन शामिल होता है। डॉ. माधुरी कहती हैं, ‘जब सही तरीके से वजन कम करते हैं तो सबसे अधिक वसा कम होती है। मांसपेशियां मजबूत होती हैं। पर लंबे समय तक लो कैलोरी डाइट से मांसपेशियों का द्रव्यमान तो कम होता ही है, वसा का स्तर भी बढ़ता है। पर्याप्त पोषण के अभाव में कमजोरी व थकावट होती है। शरीर का आकार बिगड़ने लगता है। साथ ही वसा व शरीर के आपसी तालमेल में भी गड़बड़ी उत्पन्न होती है।’
टॉक्सिन पैदा करने वाली चीजें और अपचा भोजन शरीर में विषाक्त तत्वों को बढ़ाते हैं। आयुर्वेद के अनुसार इससे ऊर्जा का प्रवाह पूरे शरीर में नहीं हो पाता। लिवर कमजोर होता है। बार-बार खाने की इच्छा होती है। डॉ. शिखा कहती हैं, ‘कम खाने पर भी अगर वजन बढ़ता है तो यह देखना भी जरूरी है कि क्या खा रहे हैं। यह एक या दो दिन की प्रक्रिया नहीं है।’
वजन कम न होने की वजह
व्यायाम अधिक और खाना कम: शुरुआती उत्साह में लोग व्यायाम अधिक करते हैं और खाते कम हैं। नतीजा होता है कि शुरुआत के दो सप्ताह बाद ही शेड्यूल पर कायम नहीं रह पाते। पर्याप्त डाइट के अभाव में मेटाबॉलिक रेट कम होने लगती है। शुरू में तो वजन कम होता है, पर धीरे-धीरे बढ़ने लगता है। डॉ. माधुरी कहती हैं, शुरुआत आसान व्यायाम से करें। कई तरह के व्यायाम करें, एरोबिक व्यायाम, स्टेमिना बढ़ाने वाले व्यायाम और क्रॉस ट्रेनिंग। कार्डियो और और वेट ट्रेनिंग दोनों में संतुलन बनाएं। कम से कम सप्ताह में तीन बार वेट ट्रेनिंग करें और नियमित 20 मिनट कार्डियो व्यायाम करें।
वसा और कार्बोहाइड्रेट दोनों से परहेज: कार्बोहाइड्रेट वे पोषक तत्व हैं जो ऊर्जा में सबसे बेहतर तरीके से परिवर्तित होते हैं। ऐेसे में आहार से कार्बोहाइड्रेट को बहुत कम करना यानी कार को बिना ईंधन के चलाना। पूरी तरह कार्बोहाइड्रेट बंद करने की जगह रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट जैसे ब्रेड, क्रेकर्स, सफेद चावल, बिस्कुट व मैदा से बनी चीजों को कम करें। घर का बना संतुलित आहार खाएं।
भोजन से पूरी तरह वसा यानी चिकनाईयुक्त पदार्थ हटाने से बार-बार खाने की इच्छा बढ़ जाती है। शरीर पोषक तत्वों को ढंग से ग्रहण नहीं करता। वसा में घुलनशील विटामिन ए, डी व कैल्शियम शरीर को नहीं मिल पाते। इसी तरह पूरी तरह ग्लूटन फ्री डाइट यानी गेंहू, जौ व साबुत अनाज न खाना शरीर में फोलेट व फाइबर तत्वों की कमी करता है। प्रोटीन प्रोडक्ट्स व सलाद खाना अच्छा है, पर अनाज भी जरूरी हैं।
भोजन न करना: यह सही है कि दोपहर में भोजन न करके सीधे रात में भोजन करना आपकी कैलोरी की मात्रा को घटा सकता है। पर भूख और तृप्ति का एहसास कराने वाले ग्रलिन और लैप्टिन हार्मोन तभी ढंग से काम करते हैं जब हम हर चार घंटे बाद कुछ न कुछ खाते हैं। खान-पान और व्यायाम से जुड़े अधिक प्रतिबंध भूख लगने की प्रक्रिया को बाधित करते हैं। दिसंबर 2015 में हुए एक शोध में चूहों के खाने में लंबे अंतराल रखने पर उनमें तृप्ति का एहसास कराने वाले ग्रलिन हॉर्मोन के स्तर में कमी देखने को मिली। जिससे उन्होंने बाद में पहले से अधिक खाया। इससे शरीर की हानिकारक वसा को लाभदायक वसा में बदलने की क्षमता भी कम होती है।
गलत डाइट का चुनाव: हर शरीर की डाइट संबंधी जरूरत अलग होती है। बिना जाने कोई भी डाइट अपनाने से डाइट या तो जेब पर भारी पड़ती है या फिर शरीर को पर्याप्त पोषण नहीं मिलता। लंबे समय तक सूप व सलाद पर आधारित क्रेश डाइट अपनाने से शुरुआत में वजन कम होता है, पर ये स्थायी नहीं रह पाता। डाइट में से पूरी तरह प्रोटीन यानी अंडा, दूध, पनीर और मुर्गी उत्पादों को हटाने से कमजोरी महसूस होती है, मांसपेशियों में अनियमितता आती है, बाल व नाखून टूटते हैं, असमय बुढ़ापा नजर आने लगता है। पोषण व जेब दोनों के अनुकूल डाइट ही स्थायी रह पाती है। हफ्ते में एक दिन कुछ मनपसंद भी खाएं।
सेहत भी जरूरी
इस बात में कोई तुक नहीं कि आप वजन कम करने के लिए सेहत और शरीर के लिए जरूरी ऊर्जा से समझौता करें। सही तरीके से वजन कम करें। वजन कम करने में बढि़या डाइट और व्यायाम का तालमेल बेहद जरूरी है। सभी समूह का भोजन करें यानी ज्वार बाजार आदि साबुत अनाज लें, तो ब्राउन राइस, पनीर, दूध आदि भी लें। कम स्टार्च वाली सब्जियां काली मिर्च, गोभी, ब्रोकली व मशरूम भी खाएं, तो कुछ मात्रा में वसा उत्पाद भी। वजन कम करने की प्रक्रिया आसान लगेगी। ऊर्जा का स्तर बना रहेगा।




