रिश्ते कच्चे धागों के समान होते हैं। जो सालों में प्रगाढ़ होते हैं और एक छोटी सी गलती से पलभर में टूटकर बिखर जाते हैं। जब रिश्ते टूटते हैं तब बहुत दर्द होता है। आशा से निराशा का यह संक्रमणकाल बहुत ही तकलीफों भरा होता है। दर्द और आँसू मिलने से पहले ही वक्त रहते यदि समझदारी से काम लिया जाए तो रिश्तों की यह डोर मजबूत बनी रह सकती है।





