बस्तर काजू : राजनगर बकावण्ड काजू प्रसंस्करण केंद्र से बस्तर को मिला एक नई पहचान

लघु वनोपज के माध्यम से स्व-सहायता समूह की महिलाएं हुईं आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर

जगदलपुर। बस्तर जिले में महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने की एक नई गाथा रची जा रही है। महिलाओं को वनधन विकास योजना और मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना अंतर्गत बस्तर वनमण्डल के अंतर्गत 4 वनवृत में 614 महिला स्व-सहायता समूह द्वारा लघु वनोपज का संग्रहण और प्रसंस्करण कार्य किया जा रहा है। जिला यूनियन जगदलपुर एवं बस्तर वनमण्डल के अंतर्गत प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति विकासखण्ड बकावण्ड के ग्राम राजनगर में काजू प्रसंस्करण केंद्र की स्थापना छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ रायपुर द्वारा यूरोपियन कमीशन योजना के तहत् वर्ष 2013 में काजू संग्राहकों को उचित मजदूरी एवं प्रसंस्करण से स्व-सहायता समूह के महिला सदस्यों को प्रतिमाह निरंतर आमदनी का श्रोत मानते हुए स्वीकृति दी गई थी।

बस्तर क्षेत्र में काजू का वृक्षारोपण वर्ष 1979 से शासन के विभिन्न योजनाओं जैसे- सुनिश्चित रोजगार योजना, जलग्रहण क्षेत्र योजना, रोजगार गारंटी योजना के तहत् वन विभाग, राजीव गांधी जलग्रहण क्षेत्र योजना, हार्टिकल्चर विभाग, पंचायत विभाग द्वारा वन भूमि एवं राजस्व भूमि में लगभग 15 हजार हेक्टर क्षेत्र में काजू का वृक्षारोपण किया गया था। वृक्षारोपण क्षेत्रों से ग्रामीण प्रतिवर्ष 07 हजार से 10 हजार क्विंटल काजू संग्रहण कर अतिरिक्त आय अर्जित करते हैं।

जिला यूनियन जगदलपुर के अंतर्गत प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति के माध्यम से वर्ष 2013 से लगातार काजू फल का संग्रहण एवं प्रसंस्करण कार्य कराया जा रहा है। किंतु संग्रहण की अधिकतम मात्रा वर्ष 2013 में 491.64 रही, जबकि वर्ष 2016 में 68.00 क्विंटल, 2017 में 177.00 क्विंटल, 2018 में 129.00 क्विंटल एवं 2019 में 42.00 क्विंटल काजू का संग्रहण किया गया। काजू प्रसंस्करण केंद्र (राजनगर) बकावण्ड संचालन मां धारिणी करीन स्व-सहायता समूह द्वारा किया जा रहा है। वर्तमान में वैज्ञानिक द्वारा बताया जा रहा है कि काजू में गोले का प्रतिशत 26 प्रतिशत एवं नमी की मात्रा 5-8 प्रतिशत है। 

वर्ष 2020 में वन धन विकास योजनांतर्गत 13 प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति के 69 महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा कुल 4763.59 क्विंटल काजू का संग्रहण 10 हजार प्रति क्विंटल की दर से लगभग 06 हजार संग्राहको से ग्राम स्तर एवं हाट बाजार स्तर के संग्रहण केंद्रों में संग्रहण कर राशि 04 करोड़ 76 लाख 35 हजार से अधिक का भुगतान किया गया है। जिला यूनियन रायगढ़ से 357.20 क्विंटल एवं भानुप्रतापपुर से 390.79 क्विंटल प्राप्त काजू का भी प्रसंस्करण वनधन विकास योजना केंद्र बकावण्ड में किया जा रहा है।

आईसीएआर निर्देशालय काजू अनुसंधान पुत्तुर कर्नाटक द्वारा ऑनलाइन ट्रेनिंग के माध्यम से तकनीकी मार्गदर्शन में काजू प्रसंस्करण कार्य किया जा रहा है। वर्तमान में लगभग 6.79 क्विंटल प्रसंस्कृत काजू में से 1.45 क्विंटल विक्रय कर राशि 63 हजार 481 रूपए प्राप्त हुआ है। 21 जुलाई 2020 को मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के द्वारा बस्तर काजू के नाम से ऑनलाइन शुभारंभ किया गया। काजू प्रसंस्करण केन्द्र में वर्ष 2020 में 5511.580 क्विंटल काजू का प्रसंस्करण लगभग 300 महिलाओं द्वारा किया जाकर राशि 01 करोड़ 82 लाख 43 हजार रूपए से अधिक का रोजगार सृजित किया जाएगा एवं वनधन केंद्र लगातार स्व-सहायता समूहों के महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। जिससे उनके कार्य में दक्षता आने से आत्मविश्वास में वृद्धि हुई। 

कोरोना वायरस (कोविड-19) विश्व महामारी लाॅकडाउन के दौरान भी स्व-सहायता समूहों के द्वारा काजू का संग्रहण एवं प्रसंस्करण का कार्य किया जा रहा है। जिससे उनके आजीविका में वृद्धि हो रही है। बकावण्ड में स्थित प्रसंस्करण केंद्र के विकास से वन परिक्षेत्र के सभी काजू प्लाटेंशन वाले लोगों को आमदनी का माध्यम नज़दीक में प्राप्त हुआ है। इससे पूर्व इस क्षेत्र के काजू उत्पाद को पड़ोसी राज्य ओड़िसा में ले जाकर कम दाम में बेचा जाता था।

काजू प्रसंस्करण केंद्र से संबंधित सभी स्तर के महिला स्व-सहायता समूह को कुल संग्रहण का 2 प्रतिशत राशि का कमीशन दिया जाता है। पहली बार बस्तर के काजू को बस्तर काजू के नाम से ब्राॅडिंग किया जा रहा है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं प्रबंध संचालक छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ श्री संजय शुक्ला ने बताया कि महिला स्व-सहायता समूह ने इस वर्ष बस्तर से 600 करोड़ का राॅ काजू क्रय किया गया है। महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने कहा कि काजू प्रसंस्करण केंद्र में काम करने से उन्हें महीने में 3-4 हजार की आमदनी मिल जाती है।