रामानुजगंज (पृथ्वी लाल केसरी) बलरामपुर जिले के महावीरगंज आदिम जाति सेवा सहकारी समिति भँवरमाल पंजीयन क्रमांक 484 प्लास्टिक एवं सुतरी घोटाला को लेकर एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गई है। गौरतलब कि आदिम जाति सेवा सहकारी समिति भँवरमाल का उप केंद्र महावीरगंज में वर्ष 2017-18 में हुए धान खरीदी में लगभग 14.5 लाख रु की वित्तीय अनियमितता के आरोप में सहायक पंजीयक सहकारी संस्थाए बलरामपुर के द्वारा उक्त संचालक मंडल को भंग कर दिया गया है, एवं तात्कालिक कम्प्यूटर ऑपरेटर एवं प्रबंधक के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कर ली गई है, ये बात अलग है कि अभी तक किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कि गई है, परंतु उसी समिति में एक और वित्तीय अनियमितता का आरोप लगा है। ग्रामीणों ने बताया कि जब धान का उठाव नहीं हुआ था और एक दिन हल्की सी बारिस होने लगी तो प्रबंधक ने आसपास के ग्रामीणों से तिरपाल एवं प्लास्टिक मांगकर स्टेक लगा हुआ धान को ढंकने का व्यवस्था बना रहे थे, जबकि प्लास्टिक खरीदी के नाम पर प्रस्ताव के माध्यम से 146000 रु (एक लाख छ्यालिस हजार रु) समिति के खाते से आहरण किया गया है, एक तरफ मौशम खराब होने पर ग्रामीणों से प्लास्टिक मांगकर धान की सुरक्षा करना और दूसरे तरफ 146000 रु का प्लास्टिक खरीदी दिखाना काफी संदेहास्पद है सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस समिति में 72000 (बहत्तर हजार रु) की सिर्फ सुतली की खरीदारी भी हुई है जो संदेहास्पद है, विभिन्न प्रकार की वित्तीय अनिमितता को लेकर हमेशा सुर्खियों में रहने वाला यह समिति एक बार फिर प्लास्टिक घोटाला के आरोपों में घिरता हुआ नजर आने लगा है, स्थानीय कार्यकर्ताओं ने बताया कि उक्त सभी प्रकार के खरीदारी एवं भुगतान तथा समिति के खाते से आहरण की गई राशि के संबंध में एक वृहद जांच कराने कलेक्टर से मांग की जाएगी, स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि जिस दिन अच्छे से जांच हो जाएगी लगभग 5 लाख रु की वित्तीय अनियमितता का उजागर होना तय है। वहीं एक और सनसनीखेज मामले का खुलासा करते हुए ग्रामीणों ने बताया कि जिस प्रस्ताव से प्लास्टिक घोटाला का पोल जनता के सामने आया है उसी प्रस्ताव के प्रस्ताव क्रमांक 05 भी बेहद चौंकाने वाला है, दरअसल महावीरगंज में धान खरीदी में शासकीय राशि के गबन के मामले में कलेक्टर के निर्देशानुसार संबंधित केंद्र के प्रबंधक एवं कम्प्यूटर आपरेटर पर धारा 409 के तहत अपराध पंजीबद्ध भी किया गया था मगर आज तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई क्योंकि पुलिस प्रशासन हमेशा ये कश्मकश में था कि प्रबंधक तो एक है मगर खरीदी के दौरान अलग अलग समयांतराल में दो कम्प्यूटर आपरेटर काम किए हैं, एक ऑपरेटर को कलेक्टर ने 16 जनवरी 2018 को सहायक प्रबंधक एवं कम्प्यूटर ऑपरेटर के पद से सेवा से पृथक कर दिया है उसके पृथक किये जाने के बाद अंतिम 15 दिनों के लिए एक दूसरा लड़का कम्प्यूटर आपरेटर का कार्य किया है, ऐसे में पुलिस प्रशासन के लिए एक चुनौती ये भी थी कि पुलिस किस आपरेटर को दोषी मानें जो 15 दिन कार्य किया है उसे या जिसे कलेक्टर ने बीच मे ही सस्पेंड कर दिया है उसे…? लेकिन अब सब कुछ आईने के तरह साफ हो गया है अब पुलिस प्रशासन के लिए उलझन खत्म होता दिखाई दे रहा है। कार्यालय कलेक्टर (खाद्य शाखा) जिला बलरामपुर-रामानुजगंज छ.ग. आदेश क्रमांक/152/खाद्य/2018 दिनांक 16/01/2018 के अनुसार कलेक्टर ने तात्कालिक कम्प्यूटर आपरेटर को सहायक प्रबंधक एवं कम्प्यूटर आपरेटर के पद से बर्खास्त कर दिया था लेकिन संचालक मंडल ने कलेक्टर के उक्त आदेश को महज एक कागज का टुकड़ा समझकर उसे कूड़ेदान में फेंक दिया, और प्रस्ताव क्रमांक 05 के माध्यम से सस्पेंडेड ऑपरेटर को माह सितंबर 2017 से माह मार्च 2018 तक मानदेय भुगतान कराया है जिससे स्पष्ट हो गया है कि सस्पेंड होने के बावजूद भी संचालक मंडल के संरक्षण में यह शख्श लगातार उपार्जन केंद्र महावीरगंज में सक्रिय रहा है और जिसे 15 दिन के लिए आपरेटर बनाया गया था, जो महज एक दिखावा था. 15 दिन के लिए दैनिक भत्ता में कार्य करने वाले आपरेटर का भी व्यान यही है कि भले ही मैं कार्य कर रहा था लेकिन कई दिनों तक मुझे पासवर्ड भी नहीं बताया गया था, मुझे कम्प्यूटर लॉगिन करके दिया जाता था और मुझसे सिर्फ किसानों के धान का पावती प्रिंट करवाया जाता था, शाम को 5 बजे मैं वापस घर आ जाता था मेरे आने के बाद भी ऑफिस में संचालक मंडल के कुछ सदस्य एवं पूर्व ऑपरेटर देर रात तक कार्य करते रहते थे। नए आपरेटर का व्यान और समिति द्वारा जारी प्रस्ताव जिसमे सस्पेंडेड आपरेटर को मार्च तक का मानदेय भुगतान किया गया है वास्तव में सब कुछ आईने की तरह स्पष्ट करता है कि अब कौन आपरेटर दोषी है ये जानने के लिए पुलिस प्रशासन के लिए उलझन खत्म हो चुकी है।