अम्बिकापुर..(बतौली:प्रशांत खमरिया)..मानव जीवन में शिक्षक का महत्वपूर्ण स्थान है.. शिक्षक बुनियाद मजबूत करता है.. शैक्षणिक योग्यता हासिल करने के अलावा व्यक्तित्व विकास में शिक्षकों की भूमिका निर्णायक होती है..शिक्षक वह जौहरी होता है..जो बच्चों के भविष्य को तराशते हुए उन्हें जीवन के नये आयामो को स्थापित करने का काम करता है..यही वजह है कि शिक्षक दिवस के दिन शिक्षकों को सम्मानित कर धन्यवाद ज्ञापित करने की परंपरा रही है..
वैसे प्रदेश के सरकारी स्कूलों में कही ना कही पर अध्ययन-अध्यापन कार्यो में कई रोड़े आती है..इन सबके बीच दिलचस्प यह है की.. सरगुजा के बतौली क्षेत्र के मंगारी संकुल के प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों की तस्वीर शिक्षकों ने मिलकर बदल दी है..यह एक अद्भुत उदाहरण है और ऐसे शिक्षक प्रेरणा स्रोत बन रहे हैं..इसी नवाचार का परिणाम है कि अब मंगारी संकुल के 14 प्राथमिक स्कूलों और 6 माध्यमिक स्कूलों के बच्चे बेझिझक सवालों के जवाब देते हैं..
बतौली क्षेत्र के मंगारी संकुल अंतर्गत 14 प्राथमिक और 6 माध्यमिक स्कूल है.. संकुल समन्वयक लव गुप्ता सहित सभी शिक्षकों ने बीते एक साल में अथक मेहनत से स्कूलों में विभिन्न नवाचार किए हैं.. इसका परिणाम यह हुआ है कि अब बच्चे हर क्षेत्र में उम्दा प्रदर्शन कर पा रहे हैं..इन नवाचारों में लगातार प्रयोग भी किए जा रहे हैं .. इसके अलावा माध्यमिक स्कूल के बच्चे राज्यों के नाम और राजधानियों के नाम कहते हैं ..बकायदा प्रत्येक बच्चे के लिए राज्य और राजधानी के नाम दीवारों पर चस्पा किए गए हैं ..इसी तरह उपस्थिति के दौरान बच्चे संभाग के नाम और संभाग के जिलों के नाम भी बताते हैं ..बच्चों को महत्वपूर्ण राजनीतिक पदों पर आसीन व्यक्तियों के नाम याद कराए गए हैं ..स्थानीय स्तर पर जिले के महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त लोगों के नाम बच्चे कंठस्थ करते हैं.. उपस्थिति के दौरान ही बच्चे गणित के फार्मूला और विज्ञान के सूत्र ,शब्द और परिभाषाएं बेझिझक कहते हैं..
मंगारी संकुल के शिक्षक बताते हैं कि लगातार अभ्यास से बच्चे इन सभी सामान्य ज्ञान की बातों में पारंगत हो चुके हैं.. वर्तमान में अब्दुल कलाम गुणवत्ता अभियान के तहत सर्वे कार्य कराया जा रहा है जिसमें मंगारी संकुल के स्कूलों का प्रदर्शन काफी बेहतर बताया जा रहा है..
शनिवारिय प्रशिक्षण में किया गया नया प्रयोग..
गौरतलब है कि हर शनिवार को संकुलों में शिक्षकों के लिए नवाचार के तहत विशेष प्रशिक्षण आयोजित होते हैं ..प्रत्येक शिक्षक को साल में कम से कम ऐसे 10 प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होना पड़ता है.. मंगारी संकुल के लिए इस कार्यक्रम के तहत विशेष व्यवस्था बनाई गई है..अब सभी शिक्षक मिलकर बारी-बारी से प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं.
कई पुरस्कार मिल चुके हैं मंगारी संकुल को
कबाड़ से जुगाड़ के अलावा नवाचार के क्षेत्र में लगातार हो रहे प्रयोग का नतीजा है कि मंगारी संकुल के स्कूलों को क्षेत्र में विशेष पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं..पिछले वर्ष मंगारी संकुल का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था और जिला शिक्षा अधिकारी की उपस्थिति में स्कूलों को पुरस्कृत किया गया था..
स्वच्छता के क्षेत्र में दे रहे विशेष योगदान
मंगारी संकुल के स्कूलों में हाथ सफाई अभियान के लिए विशेष पहल की गई है.. स्कूलों में निर्मित शौचालयों में जब टंकियों की सप्लाई की गई और उन्हें शौचालय के ऊपर लगाया गया तो टंकियां पानी की उचित सप्लाई नही होने की वजह से व्यर्थ साबित होने लगी..तब शौचालय के ऊपर पानी की सप्लाई के लिए स्कूलों के नलकूपों से ही पाइप जोड़कर व्यवस्था की जाती थी ..जैसे ही नलकूप चलाया जाता था पानी अपने आप टंकियों में भरता जाता था.. लेकिन मंगारी संकुल के स्कूलों में यह व्यवस्था विभिन्न पंचायतों के माध्यम से स्थापित नहीं हो पाई..लिहाजा इन टंकियों को पंचायत के ही मदद से स्कूलों में मंच बनाकर स्थापित किया गया है.. इन टंकियों में बकायदा नल लगाए गए हैं और उनका उपयोग बच्चों द्वारा हाथ धोने के लिए किया जाने लगा है..इस नए प्रयोग से बच्चों में सफाई के प्रति जागरूकता उत्पन्न हुई और लगातार बच्चे हाथ धुलाई अभियान से जुड़ते चले गए..
बता दे की बयान बंगाली संकुल की स्कूलों में लगातार नवाचार किए जा रहे हैं जिसका फायदा भी देखने को मिल रहा है स्कूल पुरस्कृत भी हो रहे हैं और बच्चे बेझिझक आपसे बात कर सकते हैं पूरा पाठ्यक्रम कंठस्थ सुना सकते हैं सामान्य ज्ञान के कई सवालों के जवाब बच्चे बहुत अच्छी तरह से दे सकते हैं इसकी जांगडे खंड शिक्षा अधिकारी बतौली