सावन आते ही श्रर्दालुओ मे भगवान शंकर के प्रति आस्था का सैलाब उमडने लगता है, और भोले बाबा के भक्त अपने अपने तरीके से कैलाशपति की आराधना मे लीन हो जाते है, ऐसा ही नजारा हर वर्ष की तरह इस बार भी अम्बिकापुर मे देखने को मिला, जब हजारो कांवरियो का जत्था आज शंकरघाट से जल उठाकर कैलाशगुफा के लिए रवाना हुआ।
भगवा परिधान पहने और हाथ मे कांवर लिए श्रर्दालुओ की चहलकदमी का ये नजारा अम्बिकापुर का है, जंहा आज तडके से ही भगवान शंकर के भक्त पहले तो अपने कांवर मे जल लेने के लिए शहर के शंकरघाट स्थित बांक नदी पंहुचा। इसके बाद सुबह से ही अलग अलग जत्थो मे कंवारियां कैलाशपति भगवान के शंकर को जल चढाने के लिए जशपुर जिले मे स्थित कैलाश गुफा के लिए रवाना हुए। पिछले दो दशको से शुरु इस धार्मिक यात्रा मे प्रति वर्ष श्रर्दालुओ की संख्या बढती जा रही है। अब तो शिव भक्ति का ये आलम है कि महिलाए और बालिकाएं भी बढी संख्या मे इस 75 किलो मीटर की कांवर यात्रा मे शामिल होने लगी है।
ऊंची पहाडियो और कठिन रास्ते से होकर गुजरने वाले श्रर्दालू आज बुधवार को शंकर घाट से जल उठाकर शुक्रवार को कैलाशगुफा मे जल चढाएगे,, इधर श्रर्दालुओ की इस यात्रा के दौरान कई समाजसेवी और समाज के लोग कांवरियो के खाने पीने की भी व्यवस्था करते है। इतना ही नही ये पद यात्रा तकरीबन 40 किलोमीटर अम्बिकापुर बतौली मुख्य मार्ग से होकर गुजरती है, लिहाजा किसी भी दुर्घटना की आंशका से शहर के सभी मार्गो मे भारी वाहन प्रतिबंधित भी कर दिए जाते है, प्रशासन के मुताबिक इस बार 30 से 40 हजार कांवरिया कैलाश गुफा के लिए रवाना हुए है।
सावन की हरियाली और हरी भरी पहाडियो के बीच भगवा कपडो मे श्रर्दालुओ का जत्था खुद बखुद भक्तिमय वातावरण की दास्तां बयां कर देता है….बहरहाल रोमांच भरे सफर और रास्ते मे मनोरंजन और भोजन की व्यवस्था के साथ कांवरियो का ये विंहगम दृश्य कैलाशपति भगवान शंकर की आस्था से सराबोर रहता है, तो भक्त झूमते गाते अपने 75 किलोमीटर के सफर को बिना किसी थकान के पूरा कर कैलाश गुफा मे जल भी चढा देते है।