वीसी, रजिस्ट्रार से सीधे नहीं मिल सकेंगे स्टूडेंट्स, पहले करने होगी एचओडी से मुलाकात

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बिलासपुर। गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी में छात्र अब सीधे तौर पर कुलपति, उपकुलपति या कुलसचिव से नहीं मिल सकेंगे। पहले उन्हें अपनी समस्याएं एचओडी के पास निपटानी होगी। यूनिवर्सिटी के इस आदेश के बाद छात्रनेताओं ने नाराजगी जाहिर करते हुए इसे तुगलकी फरमान बताया है।

यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव के ठीक पहले यूनिवर्सिटी ने एक निर्देश जारी किया है। इस निर्देश के मुताबिक छात्र-छात्राओं को कोई भी समस्या होने पर सबसे पहले उन्हें एचओडी के पास अपनी समस्या का हल ढूंढना होगा। यदि यहां भी बात नहीं बनी तो इस समस्या के निपटारे के लिए स्पेशल टीप के साथ अधिष्ठाता छात्र कल्याण के पास जाकर उन्हें अपनी समस्या बतानी होगी।यदि यहां भी समस्या का निपटारा नहीं हुआ तो क्या होगा यह निर्देश में लिखा है अलबत्ता यह जरूर लिखा है कि छात्र-छात्राओं को सीधे तौर पर कुलपति,समकुलपति और कुलसचिव के पास न भेजें।

यूनिवर्सिटी ने पिछले साल भी यह निर्देश लागू किया था तब भी इस निर्देश का विरोध हुआ था। निर्देश जारी होने के बाद छात्र-छात्राओं के सीधे तौर पर मिलने का विकल्प समाप्त हो गया। कई बार देखने में आया है कि एचओडी और अन्य स्तरों पर समस्या बताने पर भी मामला अटका रहता है और उस समस्या का निदान लंबे समय तक नहीं हो पाता है । इसके उलट कुलपति,उपकुलपति या रजिस्ट्रार के पास जाने से तत्काल कार्रवाई से उन समस्याओं का निपटारा हो जाता है। यूनिवर्सिटी ने पिछले साल के समान इस निर्देश को इस साल भी लागू कर अपनी मंशा साफ जाहिर की है। छात्रों को समस्याएं स्टेप बाय स्टेप ही निपटानी होगी और उन्हें समस्याओं के लिए कुलपति,उपकुलपति या कुलसचिव से नहीं मिलने दिया जाएगा।

छीना जा रहा स्टूडेंट्स का अधिकार

यूनिवर्सिटी के इस निर्णय को छात्रनेताओं ने तीव्र विरोध किया है। उनका कहना है कि सीधे तौर पर मुलाकात नहीं करने देने से स्टूडेंट्स का अधिकार छीना जा रहा है। एनएसयूआई के प्रदेश महासचिव बसंत प्रताप सिंह ने कहा कि समझ में नहीं आता कि इस प्रक्रिया को लंबा क्यों किया जा रहा है। इसमें गलत क्या है। अपनी समस्याओं के लिए यूनिवर्सिटी के कुलपति, उपकुलपति या कुलसचिव से मिलना हर स्टूडेंट्स का अधिकार है। यूनिवर्सिटी के हर डिपार्टमेंट में सीसीटीवी कैमरा लगा देते हैं, जिससे कभी भी कोई गलती करने पर छात्र तुरंत पकड़ा जाए, फिर उनकी समस्याओं के लिए तत्काल क्यों नहीं मिल सकते। इसी प्रकार एनएसयूआई के पूर्व उपाध्यक्ष गौरव दुबे ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालय का दायरा अब सीमित हो गया है।

कालेज हट गए हैं, सेंट्रल यूनिवर्सिटी का दायरा कैंपस के अंदर तक हो गया है। इसके बाद भी अपने ही छात्रों से रू-ब-रू मिलने को नजरअंदाज करने के लिए इस तरह के निर्देश निकालना छात्रों का अधिकार छीनना है। कई बार समस्या गंभीर होती है और गलती एचओडी या फिर अधिष्ठाता स्तर तक भी होती है। ऐसे में स्टूडेंट्स क्या करें। इस तरह की समस्या होने पर स्टूडेंट्स को उसके निपटारे की उम्मींद ही छोड़ देनी चाहिए। इसी तरह एनएसयूआई के राष्ट्रीय प्रतिनिधि वीरेंद्र लैहर्षण ने कहा कि कम से कम समस्याओं के निपटारे को प्रक्रियाओं और नियमों में उलझाना सहीं नहीं है। यूनिवर्सिटी के कुलपति यदि यह कहते हैं कि कोई भी उन्हें फोन कर सकता है और वे हर कॉल रिसीव भी करते हैं तो उन्हें या अन्य अधिकारियों को समस्याओं के निपटारे के लिए आए स्टूडेंट्स से मिलने में गुरेज क्यों।

क्या कहते हैं अधिकारी

॥इस निर्देश का ऐसा कोई आशय नहीं है कि कोई छात्र या छात्रा सीधे तौर पर कुलपति,कुलसचिव या उपकुलपति से नहीं मिल सकते। कुलपति जी एक्टिव नहीं होते तो यह आदेश क्यों निकलता। इस आदेश का आशय समस्या उत्पन्न होने पर वहीं का वहीं उसका निदान हो जाए।यह व्यवस्था पिछले साल से ही लागू की गई है। प्रत्येक दस या पंद्रह के ग्रुप में एक टीचर छात्रों की मॉनिटरिंग व उनकी समस्याओं के निपटारे के लिए रखे जाएं। इसके बाद भी समस्या हल नहीं हुई तो हेड स्तर पर उन्हें देखा जाएगा।
डा. इंद्र देव तिवारी, प्रभारी रजिस्ट्रार, गुरु घासीदास यूनिवर्सिटी