चिरमिरी से रवि कुमार सावरे
- हथालन नियम 2000 में ठोस अपषिष्ट से बनानी थी खाद,
- नगर के बहारी इलाको में खुले में पड़ा रहता है कचरा
शहर सेे प्रतिदिन निकलने वाला दो टन कचरा आस-पास शहर से लगी खाली जमीन में पहाड़ का रुप ले रहा हैं। हर साल केवल ठोस अपषिष्ट के प्रबंधन में लाखों रुपये खर्च करने वाली नगर निगम ने दषको बाद भी इस समस्या से निपटने का कोई कारगर उपाय नही निकाला।
जबकी केन्द्र ने एक दषक पहले ही हथालन नियम के तहत अपषिष्ट प्रबंधन की गाइड लाइन तय कर दी थी।
लेकिन हाल ऐसे हैं कि जगह बदल बदल कर नगर निगम के सफाई कर्मी शहर से लागे इलाको में कचरा को खुले मैदान में फेंक रहे है।
शहर की सफाई व्यवस्था को दुरस्त और डस्टबिन-फ्रि शहर बनाने के उददेष्य से आधुनिक तकनीकी के माध्यम से ठोस अपषिष्ट प्रबंधन की योजना नगर मे फिसड्डी साबित हो रही हैं। केन्द्र शासन का कचरा से खाद बनाने का प्रोजेक्ट मुख्यालय के निकाय में सफल साबित नही हो पाया है।
सालो से नगर निगम के पास केवल ठोस अपषिष्ट के उचित प्रबंधन के लिए लाखों रुपए का बजट तो पहुंच रहा है। लेकिन नगरीय क्षेत्र में इसका उपयोग केवल संग्रहणव परिवहन तक सीमित है। ऐसा इसलिए है कि प्लांट तो लगा पर जिमेदार अधिकारी व जनप्रतिनिधियो ने कभी इस चालु नही करा पया है।
विभाग के पास ठोस अपषिष्ट प्रबंधन की योजना के लिए प्रतिवर्ष 50 लाख रुपए से अधिक का बजट दिया जाता है। इसके बाद विभाग आज तक प्लांट को चालु नही कर पाई है।
नतीजा यह है कि अस्थायी जगहो पर को चिन्हित कर नगर निगम प्रषासन वहा कचरे के विषालकाय पहाड़ तैयार कर रहा है।
केन्द्र सरकार ने हथालन नियम के अंतर्गत नगर स्वच्छता व ठोस अपषिष्ट के उचित प्रबंधन के निर्देष जारी किए थे। इसके अंतर्गत केंद्र सरकार ने भारी भरकम बजट के साथ प्रत्येक निकायों को नगर से निगलने वाले ठोस अपषिष्ट से खाद बनाने कोे कहा, जिससे ़क्षेत्रीय किसानों को भी इसका लाभ मिल सके।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देष के बाद भी प्लांट चालु नही हो सका
सुप्रीम कोर्ट के निर्देष के बाद भारत सरकार ने सभी राज्यों के नगरीय क्षेत्रों मेें हथालन नियम 2000 लागू किया था।
जिसके तहत साईटिफिक लैण्डफिल साइट पर ठोस अपषिष्ट पदार्थो को एकत्रित करके खाद बनाया जाना था जिस पर राज्य शहारी विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डाॅ. रोहित यादव ने स्थानीय नगर निगम के कमिष्नर सहित प्रदेष के शेष सातों नगर निगमों को ठोस अपषिष्ट प्रबंधन की योजना अनिवार्य रुप से लागू करने को कहा था पर अलग अगल कारणो से प्रदेष लगातर पिछड़ता चला गया।
कचरे से बनाना था उच्च गुणवŸाा की खाद
नगर से प्रतिदिन निकलने वाले सैकड़ों क्विंटन ठोस अपषिष्ट के जरिए खेती में उपयोग लाई जाने वाली उच्च गुणवत्ता युक्त खाद का निर्माण किया जा सकता है। इसके लिए एक विषेष टैंक निर्माण की जरुरत होती है, जिससे शहर से निकलने वाले कचरे का विषेषतः उपयोग होता है।
नहीं मिला श्रमिकों को रोजगार
बताया गया कि प्लांट में बनी कंपोस्टिग प्रक्रिया के द्वारा संग्रहित अपषिष्ट पदार्थो से खाद का निर्माण किया जाना था जिसमें लगभग 100 श्रमिकों को रोजगार मिलने के अवसर थे लेकिन प्लांट में बनी कंपोस्ंिटग प्रक्रिया शुरु न होने के कारण एक भी मजदुरों को रोजगार उपल्बध नही कराया जा सका।
शहर में सफाई के हाल
घर की संख्या लगभग – 45 हजार
आबादी – 90 हजार के आस-पास
प्रतिदिन निकलता अपषिष्ट- 2.5 टन
प्रबंधन की व्यवस्था – कुछ नही
संग्रहण में खर्च – 50 लाख
कहा होता है भंडारण – गोदरी पारा, डोमनहील, हल्दीबाड़ी पोड़ी
सफाई कर्मी नियमित – 39
संविदा सफाई कर्मी – 88
डोर-टू-डोर कलेक्षन – ठेका श्रमिक के द्वारा
चिरमिरी नगर निगम के आयुक्त ऐ0के द्विवेदी
हथालन नियम 2000 में ठोस अपषिष्ट का कार्य करीब चार पांच इकाईयो मेें पूर्ण होगा इस के लिए पहली प्रतिक्रिया निगम द्वारा कुछ ही दिनो में पूर्ण कर ली जायेगी और डोर-टू-डोर कलेक्षन के लिए टाटा एक्स निगम के जो चार जोन बने है वह भेजा जायेगा। ताकी घरो से कचरा उठाया जा सके और प्लांट के एरिया में भेजा जा सके।