अम्बिकापुर
जिला प्रशासन की हस्ताक्षेप पर कुछ महीने पहले शहर मे ट्राफिक नियंत्रण और पार्किंग की उचित व्यवस्था के लिए ठिकाने खोज लिए गए थे, और उन ठिकानो पर वाहनो को पार्क करने के लिए मार्किंग कर एक व्यवस्था बनाई गई थी। लेकिन दुकान के सामने गाडी से उतरने मे अपनी शान समझने वाले लोगो और यातायात व्यवस्था के नियंत्रण मे लगे लोगो की मिलनसार छवि ने व्यवस्था मे ग्रहण लगा दिया है। अब वाहन पार्किग की जगह या तो सूनी पडी है या उस पर बेजा कब्जा है।
शहर के देव होटल, सरस्वती शिशु मंदिर के बगल मे सत्तीपारा जाने वाले मार्ग और तकरीबन आधा दर्जन जगहो पर प्रशासन ,पुलिस और नगर निगम
के प्रयास से पार्किंग स्थल चयनित कर उसमे मार्किंग तो कर दी गई है, लेकिन पार्किंग के चिन्हाकिंत स्थान विरान पडे रहते है। मतलब जिन स्थानो पर पार्किंग करके शापिंग करने की व्यवस्था बनाई गई है, वंहा वाहन नही है, और जंहा वाहन खडा करने से यातायात व्यवस्था मे दखल पड रही है वंहा वाहन की कतारे लगी है।
आमल ये है कि शहर के व्यस्तम देवीगंज मार्ग , संगम चौक , महामाया चौक, सदर रोड ,स्कूल रोड और ब्रह्मरोड जैसे स्थानो पर यातायात विभाग ने सुबह 9 से रात 9 तक वने वे ट्राफिक की व्यवस्था की है, लेकिन ना ही उसका पालन कराने वाले सख्त है, और ना ही तथाकथित खास लोग इसके पालन मे कोई रुचि रखते है,, लिहाजा ये वाहन वन-वे ट्राफिक नियमो को तोडकर व्यस्तम मार्गो मे ही अपने वाहन पार्क कर देते है। जिससे एक तरफ तो शहर के पार्किंग स्थल औचित्यहीन होते जा रहे है,, तो दूसरी तरफ यातायात व्यवस्था दिन प्रतिदिन बदतर होती जा रही है।
शहर के कई पार्किग स्थलो मे नगर निगम के उडनदस्ता दल का दबदबा है, जो जिसे चाहते है उसका ठेला वंहा लगता है, और बदले मे उनकी जेबे भी गर्म होती है। साथ ही कुछ पार्किंग स्थलो मे वाहन नही है तो क्या हुई ,, उनकी शोभा तो ठेकेदार की मशीने बढा रही है। बहरहाल बढते विकासशील अम्बिकापुर शहर मे बदहाल होती ट्राफिक व्यवस्था के लिए कुछ हद तक पार्किंग की उचित व्यवस्था का ना होना है तो बहुत हद तक इस बदहाली के जिम्मेदार सरकारी मुलाजिक भी है।