अम्बिकापुर 4 जून 2014
- ग्रामीणों को वृक्ष कटाई के प्रति जनजागरूकता लाने सार्थक पहल
- सही मायने में पश्चाताप करने पंचायत को हरा-भरा करें-कलेक्टर
- पेट की कटाई के बाद शोकसभा और पश्चाताप के लिए हुई पूजा अर्चना
- सजा के हकदार ग्रामीण सजा देने वाले के साथ रहे मौजूद
सरगुजा जिला मुख्यालय अम्बिकापुर से लगे चिखलाडीह गांव मे आज एक ऐसी शोक सभा का आयोजन किया , जिसमे शोक के कारण बने सभी आरोपी , सजा देने वाले मुलाजिमो के साथ शामिल हुए। मामला चिखलाडीह गांव मे अवैध रुप से सैकडो पेड की कटाई का है । दरअसल इस मामले मे ग्रामीणो ने सामूहिक रुप से तकरबीन सवा दो सौ ऐसे पेडो को काट दिया, जिनको फिर से उगाना और इतना बडा करना जिला प्रशासन क्या वन विभाग के लिए भी किसी चुनौती से कम नही। लेकिन अब जब पेड कट गए, कटे पेडो का बंटवारा हो गया, और खाली जमीन के कब्जे के लिए ग्रामीणो ने अपना अपना सीमांकन खुद कर लिया , तो जिला प्रशासन के लिए पूरे गांव के ग्रामीणो पर कारवाही करना किसी चुनौती से कम नही था। लिहाजा जिला प्रशासन ने ग्रामीणो को सजा देने का एक नायाब तरीका खोज लिया। जिसके तहत सभी आरोपी ग्रामीण सजा देने वाले मुलाजिमो के सामने उपस्थित भी हुए, और शोकसभा मे उपस्थित ग्रामीणो ने दोबारा पेड ना काटने की शपथ भी ली ।
बेजुबानो का बेजान करने वाले इस अपराध की कहानी सरगुजा जिले के चिखलाडीह गांव से जुडी है। जंहा तकरीबन 5 दिन पूर्व ग्रामीणो ने आपसी रजामंदी कर महज कुछ ही घंटो मे 200 से अधिक साल और सरई के पेडो को काट दिया। और कटे
हुए पेडो को ग्रामीणो ने यथाशक्ति अपने घरो मे रख लिया। अब तैयारी थी, अपने उद्देश्य को पूरा करने की , यानी पेड विहीन हुई धरती पर कब्जा करने की। लेकिन इनकी ये मंशा पूरी नही हो पाएगी, क्योकि पेडो को काट कर जमीन पर काबिज होने की होड, शायद ग्रामीणो की अज्ञानता और किसी की भटकावे से पननी थी।
संभाग आयुक्त कार्यालय से 6 किलोमीटर दूर ,कलेक्ट्रर और एसपी कार्यालय से तकरीबन 7 किलोमीटर दूर और वन विभाग कार्यालय से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चिखलाडीह गांव मे ग्रामीणो ने बेजुबान पेडो को पर्दा लगाकर नही काटा था।, बल्कि ये पूरा घटनाक्रम खुले आम खुले आसमान के नीचे का है। लेकिन लगता है कि दूरी के लिहाज से वातानुकूलित कमरो मे बेजुबानो की चीख सुनाई नही दी।
हांलाकि एक दिन बाद खुलेआम पेडो की कटाई मुख्य मार्ग से ही जिले के आलाअधिकारियो के पास पंहुची, चूंकि जिस भूमि से पेडो को बेदखल किया गया है, वो राजस्व विभाग की भूमि है। लिहाजा पहले एसडीएम और तहसीलदार ने मामले को संज्ञान मे लेते हुए, पेडो कटाई के मामले की जमीनी जायजा लिया, तो बाद मे आई जांच रिपोर्ट के आधार पर एक साथ इतने ग्रामीणो पर कारवाही करना चुनौती साबित होने लगा। जिसके बाद जिला प्रशासन की मुखिया कलेक्टर ऋतु सेन ने एक नायाब तरीका
खोजा। और पेड कटाई के मामले मे गांव मे एक शोकसभा आयोजित की गई। और पूजा पाठ कर पेड नही काटने और कटे पेडो के एवज मे नए पेड लगाने का संकल्प किया गया।
और क्या हुआ आगे पढिए
मानव एवं पशु-पक्षियों के अलावा पेड़-पौधों में भी जीव होता है, इस बात का एहसास होने पर ग्राम चिखलाडीह के ग्रामीणजनों ने आज जिला प्रशासन एवं मीडिया के समक्ष अपने किए पर पछतावा करते हुए कहा कि हम समस्त ग्रामवासी आज से संकल्प करते हैं कि अज्ञानतावश भूल हुई है, उसका प्रायश्चित करते हैं। इस अवसर पर कलेक्टर
श्रीमती ऋतु सैन ने कहा कि पश्चाताप बातों से नहीं होगा, बल्कि कामों से होगा। सही मायने में पश्चाताप तभी होगा जब चिखलाडीह के ग्रामीण पंचायत को हरा-भरा करके दिखाएंगे।
ग्राम चिखलाडीह के ग्रामीणों द्वारा गत दिवस अपने गांवों के पास शासकीय भूमि में लगे साल के हरे-भरे वृक्ष को काट लिया गया। शासकीय भूमि पर लगे हरे-भरे वृक्षों को काटे जाने के तत्काल बाद प्रशासन द्वारा कार्यवाही करते हुए बड़ी संख्या में लकडि़यों को जब्त करने की कार्यवाही की गई। कलेक्टर श्रीमती ऋतु सैन की पहल पर ग्रामीणो को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने एवं भविष्य मे इस प्रकार की घटना न हो-यह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से पेड़ों के काटे गए स्थान पर शोक सभा का आयोजन किया गया। गांव के सभी लोगो ने एक स्वर में संकल्प लिए कि हम अपने पुत्र के समान वृक्षों की रक्षा करेंगे तथा हम इसे प्रकृति प्रदत्त मानकर इसका संरक्षण करते रहेंगे। जो भूल हुई है वह अब नहीं होगी।
पढिए कलेक्ट और एसपी ने ग्रामीणो को क्या दी नसीहत…….
जमीन पर खड़े हर पेड़ बेहद जरूरी है और यह इंसान की तरह ही हैं। पेड़ को यदि एक-एक करके काटते गए तो भविष्य मे हमे अपनी जरूरतों के लिए पेड़-पौधे नहीं मिलेंगे। इनकी रक्षा जरूरी है। जो पेड़ काटे गए हैं, उनका पश्चाताप करने मात्र से कुछ नहीं होगा, बल्कि इसके लिए हमें हरे-भरे पेड़ लगाने होंगे, उनकी सुरक्षा भी करनी होगी।
उन्होने ग्रामीणों को भविष्य में इस तरह की गलती न दुहराने की समझाईश देते हुए पर्यावरण को संरक्षित और सुरक्षित रखने की बात दुहराई।
इस तरह अधिक पेड़ों का एक साथ काटा जाना, एक असाधारण घटना है। जंगल की कमी के कारण वातावरण का तापमान बढ़ने लगा है। हरे-भरे पेड़ों को बचाना हमारी संस्कृति से जुड़ा है, इनको बचाना कानूनन भी बेहद जरूरी है। वनमण्डलाधिकारी श्री मोहम्मद शाहिद ने कहा कि साल के कटे हुए ठूंठ से शाखा निकालने का प्रयास वन विभाग द्वारा किया जाएगा। वृक्ष मित्र पुरस्कार से सम्मानित श्री ओपी अग्रवाल ने कहा कि ग्रामीणों से गलती हुई है, सुधारा जाए साल के कटे हुए ठूंठ से शाखा (काॅपिक्स) निकालने और फिर से हरे-भरे पेड़ तैयार करने पर बल दिया। उन्होंने ग्रामीणों को पांच-पांच पौधे लगाये जाने का उपयोगी सुझाव दिया। इस अवसर पर श्री अमलेन्दू मिश्रा, श्री कार्तिकेय जायसवाल, एवं बीडीसी श्री संतोष राजवाड़े ने भी सभा को संबोधित किया।स्थानीय ग्रामीण दुलेर बाई एवं मुन्नी बाई ने बहुत अधिक संख्या मे काटे गए पेड़ों पर दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि भविष्य में हम न तो पेड़ काटेंगे और न किसी और को काटने देंगे। इन लोगों ने कहा कि बरसात के आते ही हम पर्याप्त मात्रा में पौधरोपण करेंगे और दूसरों को भी पौधे लगाने के लिए प्रेरित करेंगे।