नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए बुधवार 4 दिसंबर को मतदान हो रहा है, जिसमें तकरीबन 1.2 करोड़ मतदाता नई सरकार चुनने के लिए मतदान कर सकेंगे।
खास बात यह है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के इतिहास में पहली बार त्रिकोणीय मुकाबला होने जा रहा है। इस त्रिकोणीय मुकाबले में कांग्रेस, भाजपा और आप शामिल हैं। तीनों दल अपनी-अपनी सरकार बनाने के दावे कर रहे हैं लेकिन विशेषज्ञ त्रिशंकु विधानसभा की भविष्यवाणी कर रहे हैं।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि 75 वर्षीय शीला दीक्षित को क्या मतदाता चौथी बार भी दिल्ली के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन कराएंगे या उनके प्रमुख प्रतिद्वंद्वी भाजपा के डॉ. हर्षवर्धन को नया मुख्यमंत्री चुनेंगे। इसके साथ ही इंजीनियर से आयकर अधिकारी और आयकर अधिकारी से नेता बने अरविंद केजरीवाल क्या कोई करिश्मा दिखा पाएंगे, यह सवाल भी राजनीतिक पंडितों के दिमाग में है।
दिल्ली में 1.12 करोड़ मतदाता हैं और वे 810 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। सबसे अधिक 23 उम्मीदवार बुराड़ी में हैं और सबसे कम चार उम्मीदवार पटेल नगर में हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 40.31 प्रतिशत वोट और 43 सीटें हासिल हुईं थीं। भाजपा को 23 सीटें और 36.41 प्रतिशत वोट मिले थे। बसपा को दो सीटें और 14.05 प्रतिशत वोट मिले।
मुख्य मुकाबले में उतरी कांग्रेस, भाजपा और आप के बीच चुनावी प्रचार का कड़ा मुकाबला हुआ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मायावती और जनता दल (युनाइटेड) के नीतीश कुमार ने भी राजधानी में रैलियों को संबोधित किया।
कांग्रेस एक ओर जहां दोहरे फ्लाइओवरों, ट्राम और अधिक रोजगारों का वादा कर रही है, वहीं भाजपा ने बिजली की दरों में 30 प्रतिशत कटौती करने को कहा है। भाजपा ने रियायती दर के सिलेंडरों की संख्या नौ से बढ़ाकर 12 करने का वादा किया। आप ने बिजली की दरों में 50 प्रतिशत की कमी का वादा किया है। उसने हर घर को रोजाना 700 लीटर मुफ्त पानी देने का वादा किया है। सभी पार्टियां दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए काम करने का वादा कर रही हैं।