नई दिल्ली। जस्टिस ए के गांगुली पर इस्तीफे का दबाव बढ़ता जा रहा है। कई राजनैतिक दलों ने यौन उत्पीड़न के आरोपों से घिरे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की इस्तीफे की मांग की है राजनैतिक दलो ने जस्टिस गांगुली को पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की मांग की है। इस बीच, जस्टिस गांगुली ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा है कि अभी इस मसले पर विचार का वक्त नहीं आया है।
सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की कमेटी ने लॉ इंटर्न यौन शोषण मामले में रिटायर्ड जस्टिस ए के गांगुली से पूछताछ की थी। जस्टिस गांगुली फिलहाल पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष हैं। आरोप लगने के बाद उन पर पद छोड़ने का दबाव है। तृणमूल कांग्रेस के बाद बीजेपी ने भी जस्टिस गांगुली से इस्तीफे की मांग की है। पार्टी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज ने सोमवार शाम को ट्विटर पर लिखा कि जस्टिस गांगुली को मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए।
उधर बीजेपी नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी ने ट्विटर पर अलग राय जाहिर की। उन्होंने लिखा कि केवल आरोप लगने भर से इस्तीफा देना ठीक नहीं है। पार्टी की इस बंटी हुई राय पर हंगामा भी हुआ, लेकिन मंगलवार को बीजेपी ने साफ कर दिया कि सुषमा स्वराज की राय ही पार्टी की राय है। पार्टी प्रवक्ता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि कोई मतभेद नहीं है। जो सुषमा ने कहा वो सही है। स्वामी भी वही कह रहे हैं, शब्द अलग हो सकते हैं पर बात वही है।
उधर, कई दूसरे राजनीतिक दलों ने भी कहा है कि जस्टिस गांगुली को इस्तीफा दे देना चाहिए। एनसीपी नेता तारिक अनवर ने कहा कि सुषमा ने सही कहा है। जब वो आरोपित हो गए हैं तो उनको इस्तीफा दे देना चाहिए। अगर उनको निर्दोष पाया जाए तो वो दोबारा पद संभाल लें। जो जांच कमेटी बनाई गई थी उसने भी उन्हें आरोपी ठहराया है। इस्तीफा दे देना चाहिए और जांच चलती रहनी चाहिए।
जेडीयू नेता शिवानंद तिवारी ने कहा कि कानून के सामने सब लोग बराबर हैं। किसी के लिए एक कानून, किसी के लिए दूसरा ये तो गलत है। हाई कोर्ट के जुड़े हों या संपादक, उम्र में बड़े हैं इसलिए ऐसा काम नहीं कर सकते, ये सोच गलत है। जो कार्रवाई होती है, वो होनी चाहिए। वहीं जस्टिस गांगुली ने आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए इस्तीफे से इनकार किया है। उन्होंने कहा है कि मैंने इस्तीफे के बारे में अभी कोई फैसला नहीं किया है। इस पर विचार करने का वक्त अभी नहीं आया है।
कानून के जानकारों में भी जस्टिस गांगुली के इस्तीफे के मुद्दे पर राय बंटी हुई नजर आ रही है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस सोढ़ी ने कहा है कि इस मामले में तुरंत एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। आम आदमी के लिए जो प्रक्रिया होती है, वही होनी चाहिए। अगर कोई आम आदमी होता तब भी क्या पुलिस हाथ पर हाथ धर कर बैठे रहती? जस्टिस गांगुली ने जो फैसले किए थे वो जज की तरह किए थे। मैं समझता हूं कि वो पॉलिटिकल फैसले नहीं थे।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अल्तमस कबीर ने कहा है कि कोई सिर्फ आरोप लगने पर इस्तीफा नहीं देता। वे जस्टिस गांगुली पर लगे इस आरोप पर कभी भरोसा नहीं कर पाएंगे। जाने-माने न्यायविद सोली सोराबजी ने भी कहा है कि महज आरोप लगने पर इस्तीफा मांगना ठीक नहीं है।