CHIRMIRI से रवि कुमार सावरे की खास रिपोर्ट
खबर : बसो में असुरक्षित सफर
- जर्जर बसो मे ओवदलोडिग कर जान जोखिम में डाल रहे संचालक
- कमाई के चक्कर में टूट रहें नियम कायदे
- शासन के सख्त नियम और सुप्रीम कोर्ट की गाईडलाइन के बाद भी बसों में यात्रियो को सफर सुरक्षित और आरामदायक नही है।
- विडबना हैं कि नियम कागजो पर सक्ष्त दिखते है लेकिन हकीकत में असर देखने को नही मिलता।
- बस संचालक बेखोफ होकर जर्जर व ओवरलोंउिग बसे दौडा रहे हैं।
चिरमिरी में बसों के बदहाली के चलते नागरीको को पैसे देने के बाद भी खटारा बसो में सफर करना पड़ रहा हैं। बस संचालक न तो शासन के नियमो का और न ही सुप्रीम कोट की गाइडलाइन का पालन करने को तैयार हैं। विभाग इन पर कोई कारवाई नही कर रहा हैं। कारवाही के अभाव में बस संचालकों को हौसले बुलंद है। पत्रिका ने मंगलवार को शहर के हल्दीबाड़ी चैक व बड़ाबाजार तथा डोमनहील बस स्टैंड़, सोनामनी नाका का जायजा लिया
खटारा व और सफाई का अभाव
जिले में बस रुट की बात करे तो सबसे अधिक अम्बिकापुर रुट में बसे चल रही है। इसके बाद इलाहाबाद, बनारस, बिलासपुर, के लिए बस हैं। सबसे कम मध्यप्रदेष की ओर जाने के लिए बस हैं। इसी का फासदा उठाते हुुए बस संचालन कर रहे हैं। कई बसो की हालत यह हैं कि सीटें भी खराब हैं। इनमें मनेन्द्रगढ़,बचरापोड़ी इलाको तक जाने वाली बसे खासतौर पर शामिल हैं।एक यात्रि ने बताया कि बसों में सीटें इतनी गंदी रहती हैं कि बेठाना मुष्किल हो जाता हैं । दो सीटो के बिच जगह भी बेहद कम हैं।
दुसरा दरवाजा ही नही
बस स्टैंड़ में खडी अधिकतर मिनी बस 22 सीटर बसों में अधिक से अधिक यात्रियो को बेठाने के लिए दुसरे दरवाजे ही नही लगाया है। एक दरवाजे से भारी भीड़ का की स्थिति में यात्रियो को चढने उतरे में असुविधाएं उठानी पड़ रही है
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कांच पर लगी काली फिल्म
दिसंबर 2012 में दिल्ली निभया काड़ के बाद बसो मेें काली फिल्म को लेकर प्रदेष के सभी जिलो में मुहिम चलाकर कारवाई की गई थी और जिन बसो के कांच ही काले हे उनको हीदायत दी गई थी की जल्द से जल्द काली काचो को बदली करे डेढ साल का समय बीतने के बाद फिर से अब सब कुछ पुराने ढर्रे में आ चुका हैं। बस स्टैंड़ में खड़ी दजनो बसो में काली फिल्म व काली कांच वाली बस असानी से देखी जा सकती है।
लगेज की भरमार
बसो पर लगेज लेजाने पर सुप्रीम कोट की रोक हैं। इसके बाद भी बिलासपुर से चिरमिरी व इलाहाबाद एव बनारस से आने वाली बसे मे लगेज लाद कर आसानी से लाया जा रहा है। लगेज की उचाई अधिक होने की स्थिति में कई बार हाईटेषन तार की चपेट से दुर्धटना का सामने आ चुकी हैं।
बस संचालको की लापरवाही का परिणाम बेगुनाह यात्रियो को भुगतना पडता रहा हैं।
- चिरमिरी हल्दी बाड़ी निवासी अषिष जैन ने बताया कि उनका माह में चार से पाच बार बिलासपुर जाना होता हैं। बस में सवरियां और लगेज इतना भर दिया जाता हैं कि बस अनियंत्रित होने के का खतरा बना रहता हैं।
- इसी तरह बचरा पोडी से अनिता ने बताया कि बस वाले सवारीयो को इंसान तो समझते ही नही कमाई के चक्कर मेें वे इस कदर सवारी बैठाते हैं कि लोगो को ठीक से पैर रखने खडे तक नही हो पाते
- बिलासपुर निवासी निता पटेल का कहना है कि खटारा बसों में यात्रा करने से डर बना रहता हैं। एक तो रोड़ खराब उपर से खटारा बसों में यात्रा करना जान हथेली में रखकर यात्रा करना पड़ता हैं।