भोले भाले आदिवासियों को आखिरकार अपनी जमीन बचाने निकालनी ही पडी पदयात्रा . पहले भी सैकड़ो परिवार का हो चुका है शोषण…

अम्बिकापुर (क्रांति रावत) परसा कोल ब्लॉक और परसा ईस्ट एवं केते बासन कोल परियोजना के खिलाफ ग्रामीणों का विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. इससे दो तीन दिन पहले कोल प्रभावित इलाकों के ग्रामीणों ने एसडीएम को लिखित मे ये सूचना दी थी कि वो 5 तारिख को फत्तेपुर से उदयपुर तक 30 किलोमीटर की यात्रा कर कोल ब्लॉक के विस्तार का विरोध करेंगे. दरअसल शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणो की ये मांग है कि वो अपना जंगल और जमीन अब किसी प्रकार के खनन और उद्योग के लिए नहीं देंगे

दरअसल राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड और अडानी प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संचालित खदान के विस्तार के लिए प्रक्रिया इन दिनों काफी तेज है जंगलों की कटाई के साथ ही भूमि के अधिग्रहण को लेकर ग्रामीणों पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है. लेकिन पहले आस पास के गांव मे इसी कंपनी द्वारा भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास की परिस्थिती को देखकर अब घाटबर्रा और फत्तेपुर के स्थानीय निवासी अपनी जमीन कि किसी हालत मे देना नहीं चाहते हैं. लिहाजा आज निर्धारित उकार्यक्रम के तहत ग्रामीण उदयपुर विकास खण्ड के कोल प्रभावित ग्राम फत्तेपुर से उदयपुर अनुविभागीय कार्यालय तक 30 किलोमीटर की पद यात्रा शुरूकर चुके हैं..

कुछ की चार गुना मांग…

दूसरी तरफ इन गांव के जो 15-20 प्रतिशत लोग अपनी जमीन देने को राजी भी हैंं तो उनका कहना है कि वो 2008 के तय 6-8-10 लाख प्रति एकड़ मुआवजे के चार गुना मुआवजा लेकर ही अपनी जमीन देंगे. लेकिन जिस तानाशाह कंपनी द्वारा इलाके मे कोल उत्खनन कर रही है. उसके पुराने रिकार्ड को अगर देख लिया जाए. तो साफ हो जाएगा. कि जो 15-20 प्रतिशत लोग अपनी शर्तो मे जमीन देने को तैयार भी हैं. वो शायद आंदोलनकारी ग्रामीणों के साथ आ जाए..