नई दिल्ली
उच्चतम न्यायालय ने राजीव गांधी हत्याकांड के तीन मुजरिमों की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार से इंकार करते हुए मंगलवार को केन्द्र सरकार की याचिका खारिज कर दी।
प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति शिव कीर्ति सिंह की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, ‘‘हमने पुनर्विचार याचिका और संलग्न दस्तावेजों का सावधानी से अवलोकन किया है। हमें पुनर्विचार याचिका में कोई गुणवत्ता नहीं मिली और तद्नुसार इसे खारिज किया जाता है।’’
शीर्ष अदालत ने 18 फरवरी को अपने निर्णय में सरकार द्वारा दया याचिकाओं के निबटारे में अत्यधिक विलंब के आधार पर संतन, मुरूगन और पेरारिवलन की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया था। केन्द्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका में तर्क दिया था कि तीन न्यायाधीशों की पीठ ने इस मामले के गुण दोष पर विचार नहीं किया और वे इस मामले में मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने के सरकार के अधिकार क्षेत्र में चले गये।
सरकार ने यह भी दलील दी थी कि इस मामले में कानून और संविधान के प्रावधानों की व्याख्या का मसला जुड़ा था। लेकिन इसके बावजूद पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा इस पर विचार करने की बजाय तीन न्यायाधीशों की पीठ ने अधिकार क्षेत्र के बगैर ही इस मामले में 18 फरवरी को निर्णय सुनाया।
पुनर्विचार याचिका में कहा गया था कि यह निर्णय स्पष्ट रूप से गैरकानूनी है और यह शीर्ष अदालत द्वारा प्रतिपादित सिद्धांतों तथा संविधान और दूसरे कानूनों में प्रदत्त प्रावधानों के आलोक में त्रुटिपूर्ण लगता है।
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