रायपुर, 02 मार्च 2014
मुख्य सचिव श्री विवेक ढांड ने आज शाम यहां नया रायपुर स्थित मंत्रालय (महानदी भवन) में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रदेश के संभागीय कमिश्नरों और जिला कलेक्टरों की बैठक लेकर राज्य में बेमौसम की बारिश से हुई रबी फसल की क्षति का सर्वेक्षण युद्ध स्तर पर करने के निर्देश दिए।श्री ढांड ने कहा कि अगले तीन-चार दिनों में सभी कलेक्टर सर्वेक्षण की संक्षिप्त रिपोर्ट ई-मेल, फैक्स और डाक द्वारा राज्य सरकार को भेजें। उन्होंने कलेक्टरों से कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने किसानों के व्यापक हित में इसे सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं। श्री ढांड ने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में जहां सिंचाई की उचित व्यवस्था है, वहां सर्वेक्षण में प्रभावित पाए जाने वाले किसानों को प्रति एकड़ के हिसाब से दलहन के निःशुल्क मिनीकिट भी दिए जाएं। सहकारी समितियों के उपार्जन केन्द्रों और संग्रहण केन्द्रों में धान के सुरक्षित संग्रहण, रख-रखाव और मिलिंग के लिए तत्परता से उसके उठाव की जरूरत पर भी बल दिया। श्री ढांड ने धान उपार्जन केन्द्रों में केन्द्रवार नोडल अधिकारी तैनात करने, सीमेंट और ईट के चबूतरे बनवाने, प्रत्येक उपार्जन केन्द्र की फोटोग्राफी करने और मिलिंग के लिए धान का उठाव तत्परता से सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए।
मुआवजे के साथ फसल बीमा की भी राशि मिलेगी किसानों को
उन्होंने कलेक्टरों से कहा कि जिन जिलों में पिछले महीने के अंतिम सप्ताह में बारिश और ओला वृष्टि हुई है, वहां संबंधित गांवों में पटवारियों और ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों की संयुक्त टीम बनाकर सर्वेक्षण करवाया जाए। मुख्य सचिव ने सबसे पहले बेमौसम की बारिश वाले बालोद, बेमेतरा, कबीरधाम, राजनांदगांव, दुर्ग, धमतरी, महासमुन्द, गरियाबंद और मंुगेली के जिला कलेक्टरों से जानकारी ली। सर्वेक्षण में जिन किसानों की फसलों को नुकसान होना पाया जाएगा, उन्हें राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 के प्रावधानों के अनुरूप उचित मुआवजा तत्काल दिलाया जाएगा। इसके अलावा जिन 13 जिलों में मौसम आधारित फसल बीमा योजना रबी मौसम 2013-14 के लिए लागू की गयी है वहां उन्हें राजस्व विभाग के मुआवजे के साथ-साथ फसल बीमा योजना में भी क्षतिपूर्ति राशि मिलेगी। मौसम आधारित फसल बीमा योजना रायपुर, बलौदाबाजार-भाटापारा, गरियाबंद, राजनांदगांव, सरगुजा, सूरजपुर, बलरामपुर-रामानुजगंज, दुर्ग, बेमेतरा, बालोद, कबीरधाम, बिलासपुर और मंुगेली जिलों के समस्त तहसीलों में चना और गेहूं की फसल के लिए लागू की गयी है। योजना के तहत इन जिलों में 336 करोड़ रूपए का फसल बीमा किया गया है। इसमें एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कम्पनी ऑफ इंडिया, आई.सी.आई.सी.आई. लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस और एच.डी.एफ.सी. इरगो जनरल इंश्योरंेस द्वारा फसल बीमा दावों का भुगतान किया जाएगा। यह योजना अधिसूचित फसलों और क्षेत्र के ऋणी कृषकों के लिए अनिवार्य रूप से तथा गैर ऋणी किसानों के लिए ऐच्छिक रूप से लागू की गयी है। राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 में प्रत्येक किसान की व्यक्तिगत क्षति का आंकलन कर उन्हें पात्रता के अनुसार मुआवजे की राशि दी जाएगी। मौसम आधारित फसल बीमा योजना में अब तक 18 करोड़ रूपए के क्षतिपूर्ति दावे बीमा कम्पनियों को प्राप्त हो चुके हैं। ये दावे 15 फरवरी तक हैं। इसके बाद हुई बेमौसम की बारिश से प्रभावित किसानों के बीमा दावे भी जल्द संकलित कर बीमा कम्पनियों को भेजे जाएंगे। मुख्य सचिव ने कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव के मददेनजर आदर्श आचरण संहिता लागू होने के बाद भी किसानों को इस प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान के लिए क्षतिपूर्ति राशि का वितरण किया जा सकेगा। केवल इसकी सूचना चुनाव आयोग को देनी होगी।
कलेक्टरों ने दी मुख्य सचिव को जानकारी
वीडियों कॉफ्रेसिंग में जिला कलेक्टरों ने मुख्य सचिव को अपने-अपने जिलों में हाल में ही बेमौसम बारिश के बारे में बताया कि कलेक्टर गरियाबंद श्री हेमन्त पहारे ने बताया कि कल एक मार्च की रात आठ बजे से 12 बजे के बीच पांच गांवों में ओला वृष्टि की वजह से 219 मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। इनमें रहने वाले परिवारों को राजस्व पुस्तक परिपत्र के प्रावधानों के तहत मुआवजा दिया जा रहा है। इस ओला वृष्टि और तेज हवाओं के कारण बिजली के 41 खंभे गिर गए थे। दूसरे सर्किट से बिजली की आपूर्ति बहाल की गयी। मुंगेली जिले के कलेक्टर श्री टी.सी. महावर ने जानकारी दी कि वहां कल शाम 49 मिलीमीटर बारिश हुई हालांकि प्रारंभिक आंकलन के अनुसार गेहंू तथा ग्रीष्मकालीन धान को इसमें कोई नुकसान नहीं पहुँचाने, लेकिन तिवरा और चने की फसल को आंशिक नुकसान पहुंचने की सूचना मिली है। बालोद कलेक्टर श्री नरेन्द्र शुक्ला ने जानकारी दी कि उनके जिले में गुरूर में 13 प्रतिशत, बालोद में 18 प्रतिशत और डौड़ी लोहारा में 11 प्रतिशत रबी फसलों विशेष रूप से दलहन को नुकसान पहुंचा है। इन तीनों विकासखंडों के 57 गांवों में बेमौसम की बारिश का आंशिक प्रभाव हुआ है। इसी कड़ी में बेमेतरा कलेक्टर ने मुख्य सचिव को बताया कि उनके जिले में एक हफ्ते में 84 मिलीमीटर बारिश हुई है। कुछ गांवों को ओला वृष्टि भी हुई है। सर्वेक्षण शुरू हो गया है। चना, मसूर और सब्जियों की फसल को नुकसान पहुंचने की जानकारी मिली है। धमतरी, महासमुन्द और कुछ अन्य जिलों के कलेक्टरों ने मुख्य सचिव को बताया कि बेमौसम की बारिश का उनके जिलों में कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा है। धमतरी कलेक्टर श्री एन.एस. मण्डावी ने मात्र एक प्रतिशत रबि फसल के नुकसान की जानकारी दी। बस्तर संभाग के कमिश्नर श्री आर.जी. जैन ने बताया कि कांकेर और चारामा क्षेत्र को छोड़कर संभाग के अन्य जिलों में बेमौसम की बारिश नहीं हुई है। इन दोनों इलाकों में औसतन 25 मिलीमीटर बारिश हुई है। कलेक्टर राजनांदगांव श्री अशोक अग्रवाल ने बताया कि प्रारंभिक आंकलन के अनुसार इस बारिश में जिले में केवल आठ प्रतिशत रबी फसल प्रभावित हुई है। खैरागढ़, छुईखदान और डोंगरगढ़ के इलाकों में कुछ रबी फसलों पर असर हुआ है। सर्वेक्षण करवाया जा रहा है।
लापरवाह समिति प्रबंधक बर्खास्त होंगे
प्रत्येक समिति के लिए नोडल अधिकारी तैनात करने के निर्देश
मुख्य सचिव ने धान के संग्रहण और उठाव की भी समीक्षा की। उन्होंने कहा कि प्रदेश के सभी 1971 धान उपार्जन केन्द्रों में किसानों से खरीदे गए धान की सुरक्षा और मिलरों के माध्यम से उनका उठाव सुनिश्चित करने के लिए कलेक्टर अपने स्तर पर उपार्जन केन्द्रवार नोडल अधिकारी तैनात करें। प्रत्येक उपार्जन केन्द्र की फोटोग्राफी भी की जाए। इसके अलावा जिन सहकारी समितियों के प्रबंधकों की लापरवाही के कारण धान बारिश में भीगकर खराब हुआ है, ऐसे प्रबंधकों को बर्खास्त करने की कार्रवाई सहकारिता विभाग के उप पंजीयक के माध्यम से की जाए। श्री ढांड ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा उपार्जन केन्द्रों में खरीदे जाने वाले धान के रख-रखाव के लिए सीमेंट और ईंट के चबूतरे बनाने के निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं। धान को बारिश से बचाने के लिए तिरपाल (तालपत्री) खरीदने के लिए राशि भी जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों को दी जा चुकी है। इसका उपयोग गंभीरता से सुनिश्चित करने की जरूरत है। इसमें किसी भी प्रकार की ढिलाई अथवा लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। श्री ढांड ने यह भी कहा कि प्रदेश में मार्कफेड के 75 धान संग्रहण केन्द्रों में इस वक्त लगभग साढ़े तीन हजार करोड़ रूपए का 26 लाख 17 हजार क्विंटल धान संग्रहित है। इसके रख-रखाव और समय पर मिलिंग की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक संग्रहण केन्द्र में एक खाद्य निरीक्षक को नामांकित कर उसकी ड्यूटी अनिवार्य रूप से लगायी जाए। श्री ढांड ने कहा कि संग्रहण केन्द्रों तक पहुंच मार्ग की उचित व्यवस्था हो। उन्होंने समितियों के उपार्जन केन्द्रों से कस्टम मिलिंग के लिए धान का उठाव और मिलरों द्वारा समय पर परिवहन सुनिश्चित करने के लिए कलेक्टरों को प्रत्येक उपार्जन केन्द्र के निरीक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए। वीडियों कांफ्रेसिंग में मुख्य सचिव के साथ सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव श्री मनोज कुमार पिंगुआ, राजस्व सचिव श्री के.आर. पिसदा, कृषि विभाग के सचिव श्री देवेन्द्र सिंह, राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड) के प्रबंध संचालक श्री एस.के. जायसवाल, खाद्य विभाग के संचालक श्री उमेश अग्रवाल और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। मुख्य सचिव ने वीडियों कांफ्रेसिंग में प्रदेश के रायपुर संभाग के कमिश्नर डॉ. बी.एल. तिवारी, बिलासपुर संभाग के कमिश्नर श्री के.डी.पी.राव, बस्तर संभाग के कमिश्नर श्री आर.पी.जैन और सरगुजा संभाग के कमिश्नर डॉ. बी.एस. अनंत से भी उनके संभागों में मौसम और धान के उठाव आदि के बारे में जानकारी ली।