रायपुर. दो महीने पहले थोक बाजार में 40-50 रुपए किलो में बिकने वाले टमाटर को अब कोई एक रुपए किलो में भी नहीं खरीद रहा है। आलम ये है कि परेशान किसान अब मवेशियों से फसल चट करवा रहे हैं। इतनी बंपर पैदावार हो गई है कि थोक में भाव बहुत गिर गए हैं। यहां तक कि टमाटर तोडऩे की मजदूरी भी नहीं मिल पा रही है।
धमधा, साजा, बेरला और बेमेतरा के किसानों ने टमाटर तोडऩा बंद कर दिया है। कुछ किसानों ने फसल में ही घर के मवेशियों को छोड़ दिया है। परसुली के किसान राधेश्याम पटेल और धरमपुरा के मोहन यादव का कहना कि टमाटर तोडऩे में 50 पैसे और इसे मंडी तक पहुंचाने में एक रुपए प्रति किलो का खर्च आता है। इस तरह डेढ़ से दो रुपए खर्च आ जाते हैं। लेकिन दो रुपए तक तो कोई खरीदार ही नहीं मिल रहा। मंडी में इसका कोई खरीदार नहीं मिल रहा। रायगढ़ के आढ़तिया कमलेश साहू ने बताया कि बिगड़े मौसम ने टमाटर के दाम गिरा दिए हैं। पत्थलगांव और लुड़ेगा में टमाटर थोक में डेढ़ रुपए किलो बिक रहा है।
पहले दूसरे राज्यों से डिमांड थी, अब नहीं है। इसलिए दाम गिर गए हैं। प्रदेश में दुर्ग, बेमेतरा जिले और रायगढ़-जशपुर जिले में टमाटर की बड़े पैमाने पर खेती होती है। दोनों जिलों में लगभग पांच-पांच हजार हेक्टेयर में टमाटर की फसल है। इस साल बारिश अधिक हुई, इसलिए शुरू में दोनों जिलों की फसल खराब हो गई। यही वजह है कि नवंबर-दिसंबर में थोक बाजार में टमाटर 40 से 50 रुपए किलो तक और चिल्हर बाजार में 80 रुपए किलो तक बिका। इसमें कुछ किसानों को अच्छे दाम मिले। बारिश के बाद किसानों ने फिर से टमाटर लगाए तो बंपर पैदावार से किसान नुकसान में आ गए हैं। चिल्हर बाजार में टमाटर के दाम भले ही पांच से सात रुपए किलो हैं, लेकिन थोक में इसकी कीमत एक रुपए किलो भी नहीं मिल पा रही है।
एक वक्त तो मुफ्त में बांट दिए थे
राज्य बनने के समय भी एक बार ऐसी स्थिति आई थी कि किसानों ने टमाटर मुफ्त में बांट दिए थे। उस वक्त बड़ी चर्चा चली थी कि राज्य में फूड पार्क और प्रोसेसिंग यूनिट शुरू की जाएगी, लेकिन तब से लेकर आज तक केवल राजनीति हुई। प्रदेश में टमाटर की बंपर पैदावार से हर साल किसानों को घाटा होता है। दुर्ग जिले में एक प्राइवेट कंपनी ने टोमेटो सॉस की फैक्ट्री लगाई है, लेकिन उसकी क्षमता काफी कम है। राजनांदगांव के टेड़ेसरा में एक फूड पार्क का निर्माण शुरू हुआ, पर वह घोटालों की भेंट चढ़ गया।
60 हजार रुपए प्रति एकड़ खर्च
टमाटर की हाईटेक खेती में 60 हजार रुपए प्रति एकड़ तक खर्च आता है। दुर्ग जिले में किसान हाईटेक तरीके से खेती करते हैं। उनसे औसत 12 से 15 टन प्रति एकड़ उत्पादन आता है। रायगढ़ जिले में किसान परंपरागत तरीके से खेती करते हैं। उन्हें 15 से 20 हजार रुपए खर्च आता है। इस तकनीक से छह से आठ टन टमाटर का उत्पादन होता है। जनवरी-फरवरी में टमाटर की ज्यादा पैदावार होती है, इस दौरान किसानों को सब्जी बेकार फेंकना पड़ता है या फिर जानवरों को खिलाना पड़ता है।