बलरामपुर.. (कृष्णमोहन कुमार)…जिला मुख्यालय के किनारे जंगलो में हरे भरे पेड़ो की इतनी अंधाधुंध कटाई हो रही है कि..जिस पर लगाम लगाने वाला कोई नही है..ग्रामीण पेड़ो की कटाई कर सुबह -शाम शहर के प्रमुख मार्गों से लेकर कलेक्टर कार्यालय के सामने से लकड़ियां ढोते दिख जाया करते है..
वही अब आप सहज ही अनुमान लगा सकते है की जिस मुख्यालय में वन महकमे से लेकर जिले के जिम्मेदार बड़े अफसर रहते हो वहाँ के हालात यह है तो..सुदूरवर्ती वनांचल गाँवो के वन कितने महफूज हो सकते है?.और इन सबसे परे एक अहम सवाल यह भी है कि जब प्रधानमंत्री उज्वला योजना के तहत ग्रामीणों को घरेलू गैस कनेक्शन दिए गए है तो इन हरे भरे पेड़ो की आखिर बलि क्यो?..
दरअसल बलरामपुर जिला मुख्यालय से अधौरा, भनौरा, सेमली,सतिसेमर जैसे आधा दर्जन गांव है..जहाँ बहुत ही कम रकबे में जंगल का फैलाव है..बावजूद इसके इन गांवों में हरे भरे पेड़ो की रोजाना धड़ल्ले से कटाई हो रही है..जिसका प्रमाण यह तस्वीरे है जिसमे ग्रामीण परिवेश की महिलाएं हरे भरे पेड़ो की लकड़ियां काटकर शहर से होकर गुजर रही है..यह नजारा अब शहर में आम हो चला है..कलेक्टर कार्यालय से लेकर जिला चिकित्सालय मार्ग पर ये महिलाएं लकड़ी काटकर ले जाते हुए सुबह /शाम देखी जा सकती है..और इन लकड़ियों का उपयोग इनके लिए महज जलाऊ ही है..
बता दे कि जिन रास्तो से हरे भरे पेड़ो को काटकर ले जाया जाता है..उन रास्तो पर वन महकमे समेत जिले के दर्जनभर जिम्मेदार अधिकारियों का आशियाना है..बावजूद इसके अब तक हरे भरे पेड़ो की कटाई का मसला थमने का नाम ही नही ले रहा है..या यूं कहें तो वह महकमें को इतनी फुर्सत ही नही है..
इसके अलावा अब कुछ सवाल प्रधानमंत्री मंत्री उज्वला योजना को लेकर भी है .जब हर घर मे सरकार ने गैस कनेक्शन दे दिए है तो..ग्रामीण आखिर हरे भरे पेड़ो को क्यो अपना निशाना बना रहे है..क्या प्रधानमंत्री की इस योजना का बेहतर क्रियान्वयन नही हो सका है?.खैर जिन्हें कार्यवाही करनी है वे तो कार्यवाहियां करने से रहे और जो पेड़ कर रहे है उनकी सोच और जज्बे को सलाम!..