छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी
- 2100 रू. धान का दाम देने का घोशणा पत्र का वादा पूरा करने का पैसा नहीं,
- किसानों की गाढ़े पसीने की कमाई और जनता के खजाने की बर्बादी
रायपुर 16 फरवरी 2014
22 लाख टन धान के भीगने पर प्रदेष कांग्रेस अध्यक्ष भूपेष बघेल तथा नेता प्रतिपक्ष टी.एस. सिंहदेव ने कहा कि घपले घोटालों और अनियमितताओं पर पर्दा डालने के लिए धान को खुले में छोड़कर भीगने दिया गया। एक ओर राज्य सरकार कहती है कि 2100 रूपये घोशणा पत्र का वादा पूरा करने का पैसा नहीं है और दूसरी ओर किसानों की गाढ़े पसीने की कमाई और जनता के खजाने की बर्बादी भारतीय जनता पार्टी सरकार की लापरवाही के चलते किसानों के समर्थन मूल्य पर खरीदे गये 22 लाख टन धान बारिश मे भीगकर खराब हो गया। इस पूरे खरीदी किये गये धान का अधिसंख्यक भाग खुले में भंडारित था, पर्याप्त सुरक्षा के आभाव में तथा खरीदी केन्द्रों में पानी भर जाने के कारण इसमें से अधिकतर धान पानी में भीग गया। यह एक दुखद संयोग है कि भाजपा सरकार को किसानों के धान के बोनस का 3880 करोड़ रूपये देना बकाया है और 4000 करोड़ रूपये का धान बारिष में भीगकर बर्बाद हो गया। यह भाजपा सरकार का निकम्मापन ही है कि एक ओर किसानों को उनके हक का बोनस का बकाया राषि नहीं दिया जा रहा है और दूसरी ओर बकाया बोनस की राषि 3880 करोड़ से अधिक 4000 करोड़ का धान बारिष में भीगकर बर्बाद हो गया और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। पूरे प्रदेष के धान खरीदी केन्द्रों में 22 लाख टन धान भाजपा सरकार की लापरवाही के चलते भीग कर खराब हो गया इस धान की कुल कीमत 4000 करोड़ रू. होती। राज्य सरकार ने खरीदी केन्द्रों पर धान खरीदी के पूर्व सारी व्यवस्थाएं चाक चैबंद कर लेने का दावा किया था। धान की सुरक्षा के नाम पर करोड़ों रूपये के तिरपाल एवं पालीथीन की खरीदी की गयी है। इन सारी व्यवस्थाओं के दावे बावजूद इतने बड़े पैमाने पर धान की बर्बादी साबित करती है कि धान के सुरक्षा में कोताही बरती गयी है तथा सुरक्षा उपायों में भ्रश्टाचार किया गया है। जब हर वर्श धान खरीदी के समय में बारिष होती है तो बारिष की स्थिति में धान के बचाव और सुरक्षित संग्रहण की समुचित कार्ययोजना नही बनाने के लिए राज्य की भाजपा सरकार जिम्मेदार है, न तो कोई कार्ययोजना बनाई गयी और न ही इस बार तो भारत सरकार के मौसम विभाग की चेतावनी समय पहले ही मिल जाने के बावजूद धान को बचाने की सरकार ने कोई कोषिष की। यह भाजपा सरकार की अपराधिक लापरवाही है। सरकार राज्य की जनता के टैक्स के पैसे से धान खरीदी करती है। धान किसान के द्वारा महिनों मेहनत करने के बाद उपार्जित होता है उसकी इस प्रकार बर्बादी अक्षम्य अपराध है।
भीगे धान का हिसाब
- जिला समिति खुले में धान
- रायपुर 123 32 लाख क्विंटल
- जांजगीर 206 15 लाख क्विंटल
- महासमुंद 122 27 लाख क्विंटल
- राजनांदगांव 113 12 लाख क्विंटल
- बस्तर 58 06 लाख क्विंटल
- धमतरी 84 09 लाख क्विंटल
- कवर्धा 79 20 लाख क्विंटल
- कांकेर 111 14 लाख क्विंटल
- सरगुजा 30 02 लाख क्विंटल
- रायगढ़ 121 31 लाख क्विंटल
- बिलासपुर 130 18 लाख क्विंटल
अनेक धान खरीदी केन्द्रों में तिरपाल की कमी आरंभ से ही थी। कुछ स्थानों में निम्नस्तरीय तिरपाल खरीदे गये थे जिसे लेकर काफी विवाद भी हुआ था। अंचल के दूरस्थ धान संग्रहण केन्द्रों में तिरपाल की भारी कमी बनी हुई है। कहीं-कहीं तो खुले में ही धान बिखरे पड़े हैं। तिरपाल और बारदाने की कमी पूरी धान खरीदी के दौरान बनी रही।
भारतीय जनता पार्टी सरकार की लापरवाही के चलते किसानों के समर्थन मूल्य पर खरीदे गये 4000 करोड रू. के धान बारिष मे भीग कर खराब हो गया। मौसम विभाग ने बारिष की पहले ही चेतावनी दे दी थी इस चेतावनी के बावजूद राज्य सरकार ने कोई कदम नही उठाया और धान खरीदी में किए गए घपले घोटालों और अनियमितताओं पर पर्दा डालने के लिए धान को खुले में छोड़कर भीगने दिया गया। बारिष से धान को हुए नुकसान से आम जनता के गाढ़े पसीने की कमाई बर्बाद हो गई है। जब हर वर्ष धान खरीदी के समय बारिष होती है और संग्रहित धान को इस बारिष से नुकसान होता है तो धान के बचाव और सुरक्षित संग्रहण की समुचित कार्ययोजना राज्य की भाजपा सरकार नें क्यों नही बनाई ? समुचित कार्ययोजना नही बनाने के लिए राज्य की भाजपा सरकार जिम्मेदार है। कोई कार्ययोजना बनाई ही नहीं गयी।