चिरमिरी से रवि कुमार सावरे की रिपोर्ट
चिरमिरी
जल ही जीवन है और जीवन चलता है शुद्ध जल से, लेकिन जब यही जल काला हो जाये तो जीवन क्या जिदा रहने के लिएं निस्तार कर पाना भी नरक के समान है और यही से शुरू होती है महामारी की कथा जो भोले भाले ग्रामीणों को शिकार बनाती है। यह गांव दूरस्थ कोरिया जिले का अंग है जहां काले हीरे की नगरी से निकलता काला पानी जीवन के लिएं कालिख बन गया है । यहां एक दो नही लगभग 4500 ग्रामीण है जो काले पानी के चपेट में है।
जिला मुख्यालय से लगभग 55 किमी दूर मनेन्द्रगढ़ हसदेव क्षेत्र के हल्दीबाड़ी कोयले की खान से निकलता काला पानी पूर्व से बह रही मीठे पानी के नदी में आकर मिल रही है,, जिसके बाद नदी के समीप रहने वाले 4500 ग्रामीण निस्तार के रूप में काले पानी की चपेट में है लिहाजा त्वचा रोग और महामारी जैसी बीमारी की चपेट में आना स्वाभाविक है ,
इसके साथ ही ग्रामीणों के पशु भी इन नदियों के पानी का उपयोग पीने के लिए करते है जो हमेशा पशुओं के लिए घातक रहा है। पंचायत के मुखियां ने कालरी प्रबंधन पर आरोप लगाया कि काला पानी से होने वाले नुकसान के संबंध में कई बार निवेदन किया गया पर प्रवंधन ने उचित कार्यवाही करना मुनासिब नही समझा । और आज स्थिति यह है कि 4500 ग्रामीण सिर्फ इसलिएं काले पानी की चपेट में है कि उनका सुनने वाला कोई नही है।
डाक्टर भी प्रदूषित पानी से कई बीमारिया होने की बात कहते है पर जिस पानी की हम बात कह रहे है वह कोयले खदान से आ रही है और इस पानी का उपयोग निश्चित ही बीमारी को निमंत्रण देने जैसा है ।
एस0एल0 चावला जिला चिकित्सा अधिकारी कोरिया – दूषित पानी से निष्चित ही चर्म रोग के बीमारी की संभावना बढ़ती है, जबकि उक्त पानी खदान के अंदर से निकल रहा है तो एैसी स्थिति में मानव को रोग ग्रसित होना कोई आश्चर्य की बात नही हो सकती है।