जन्म देने वाली “माँ” से ज्यादा ,,पालने वाली “माँ” होती है महान

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Maa ki Mamta
  • मां की ममता का अद्भुत नजारा
  • जन्म नही दिया लेकिन पालने की ललक
  • लावारिश बच्चो को पाने अपने हौसले से सबको पछाडा
  • प्रशासन और पुलिस ने मानी हार

सतना से पी मनीष की रिपोर्ट

जिला अस्पताल में एक माँ कि ममता का अनोखा नजारा उस वक्त देखने को मिला जब अस्पताल में आशा कार्यकर्ता ने एक नवजात के लिए हँगामा खड़ा कर दिया ,, दरअसल आशा कार्यकर्ता को नवजात शिशु लावारिश हालत में मिला था ,,जिसे वो अपने घर ले आई थी। लेकिन  इसकी सूचना प्रशासन को मिलने के बाद ,,प्रशासनिक अधिकारियो ने नियम कानून की दलील देते हुए उस बच्चे को अस्पताल में भर्ती करा दिया । फिर क्या बच्चे को अपना मान चुकी महिला उसके दूर होने पर अपना आपा खो बैठी और उसने अस्पताल में हंगामा खड़ा कर दिया।

 

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MAA KE MAMTA

महिला के हंगामे से अस्पताल प्रबंधन और पुलिस प्रशासन के अधिकारी दोनों मौके पर पंहुच गए लेकिन उनके पास मां की ममता को देखकर हैरान होने के अलावा कोई और विकल्प नही था।

हैरानी की बात है कि एक तरफ जहाँ लावारिस बच्चे को जन्म देने वाली माँ उसे झाड़ियों में फेक कर ना जाने कंहा चली गई थी, तो वही झाड़ियों से उठा कर उसका पालन पोषण करने वाली माँ बच्चे को पाने के खातिर पूरे प्रशासन से लड़ने को तैयार थी,, लिहाजा इस मसले को इंसानियत की आंखो से देखने वाले प्रसासनिक अधिकारियो का दिल भी उसकी ममता देख कर पिघल गया !

कहते है की मारने वाले से बचने बाला बड़ा होता है ,आशा कार्यकर्ता हेमा शुक्ला सचमुच बड़ी तब बन गयी जब उसने कड़कड़ाती ठण्ड में लावारिस हालत में पड़े बच्चे की जान बचा ली,, और उसके बाद हेमा की ममता अस्पताल में हुए हंगामे में दिखायी दी।  जिसमे वो चीख चीख कर नवजात से अपने जन्म जन्म के माँ बेटे का रिश्ता होने का दावा कर रही थी,,  नवजात ने भले ही इस माँ की कोक से जन्म ना लिया हो लेकिन एक माँ की चीख बेटे के लिए कुछ ऎसी सुनायी दे रही थी की मनो यह नवजात उसका ही बेटा है ,,

सतना जिला अस्पताल मे लावारिश बेटे को अपनाने के लिए मौजूद लोगो से गुहार लगाती महिला के नज़ारे को हर कोई हैरानी से देखता रहा। पांच फरवरी को देर रात अपने पति के साथ मैहर से सगमनिया अपने घर आ रही थी,तभी कुदरत का अनोखा करिश्मा हुआ सोनवारी गाँव के पास रोड के किनारे बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी और हिम्मत बांधकर रुके देखा कि कागज मे लिपटा एक लावारिश बच्चा था दोनों को समझने देर नहीं लगी कि क्या हुआ है,,  हेमा बच्चे को घर ले आयी और खूब सेवा की गाँव वालों के कहने पर एसडीएम॰ मैहर कोर्ट ले गयी जहां से उसे अस्पताल भेज दिया गया।  हेमा बच्चे को लेकर सतना अस्पताल आयी ।

 

MA KE MAMTA
DISTRICT HOSPITAL SATNA

लावारिश बच्चे के मिलने को अपना मृत बेटा के वापस आने की बात मान चुकी थी ,हेमा के सामने जब सतना अस्पताल प्रबंधन ने बच्चे उसे बच्चा ना देकर अनाथ आश्रम भेजने की बात कही तो हेमा का ममतत्व जग गया और वह दुर्गा का रूप धारण कर बच्चे को पाने के खातिर अस्पताल मे जमकर हँगामा करने लगी थी,,  हंगामे से तमाशबीनों की भीड़ लगी और पुलिस भी पहुँच गयी । बाद मे प्रशासनिक अधिकारियो को हार मानना पडा और बच्चे को हेमा को ही सौंपने के आश्वासन के बाद उसे अस्पताल मे भर्ती कराया गया।

लेकिन इस मसले से बाद जब अस्पताल मे बच्चे को भर्ती कराया गया तो डाक्टरो ने उसे पूर्ण स्वस्थ्य बताया और बच्चे को हेमा को सौंपने के बजाय अनाथ आश्रम भेजने की नसीहत दी। हांलाकि इस नाजुक मामले मे हुए हंगामे को शांत कराने मौके पर पंहुची पुलिस ने बच्चो को कानूनी प्रकिया के मुताबिक गोद लेने की समझाईस दी।

कहते है की नौ माह तक बच्चे को अपनी कोख में पालने बाली माँ उसकी सलामती के लिए हर मुसीबत से टकरा सकती है लेकिन यहाँ ये

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Happy to have her Baby

मामला उसके विपरीत ही नज़र आ रहा है। क्योकि अपनी कोख से जन्म देने वाली माँ ने नवजात को तो मौत के मुहाने फेक दिया था,,लेकिन एक आसा कार्यकर्ता ने उसकी जिंदगी में जान फूक दिया और अब वह आसा कार्यकर्ता उस नवजात की माँ बन गयी है और हर मुसीबत से टकराने को तैयार है ! बहारहाल माँ के इस प्यार को देख प्रशासन भी नतमस्तक हो गया और बाद में आशा कार्यकर्ता को बच्चा सुपुर्द कर दिया गया है !