भोपाल: बसपा ने कांग्रेस का हाथ झटक कर जहां भाजपा को चौथी बार सरकार बनाने का मौका परोस दिया है,, वहीं सत्ता मे वापसी की उम्मीदें संजोयें बैठी कांग्रेस को बीच अधर मे जूझने के लिये अकेला छोड़ दिया है,, हालांकि अभी भी कांग्रेस कुछ सीटों पर गठबंधन की उम्मीद लगाये हुये है,, कहा जा रहा है कि मध्यप्रदेश की सौ सीटों पर बसपा अपने प्रत्याशियों को नही उतारेगी यद्यपि अभी उसने सूबे की सभी 230 विधानसभा की सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही है,, लेकिन कयास लगाया जा रहा है कि ऐन केन मायावती जी को कम से कम उन सौ सीटो पर प्रत्याशी ना खड़ा करने के लिये मना लिया जायेगा जहां बीजेपी काफी मजबूत है।
क्या है माया का माया जाल:-
कांग्रेस से गठबंधन को ठुकरा कर कहीं ना कहीं मायावती कांग्रेस पर दबाव डालने की कोशिश में है,, वहीं सूत्रों की माने तो साझा चुनाव लड़ने की रणनीति के विफल हो जाने के बाद अब बीजेपी को घेरने के लिये एक नई रणनीति के तहत मायावती को इस बात के लिये मनाया जा रहा है,, कि वे अपने उम्मीदवारों को वहां ना उतारें जहां भाजपा के लोग लगातार जीतते चले आ रहें हैं,, इसके बदले मे कुछ सीटों पर कांग्रेस अपने कमजोर प्रत्याशियों को खड़ा कर सकती है,, फिलहाल सियासी गलिहारे मे शुरु हुई इस नई चर्चा का क्या हश्र होता है यह देखने वाली बात होगी और यदि इस बात पर सहमति बनी तो बीजेपी के लिये विंध्य की रीवा व सतना विधानसभा की सीट पर चौथी बार जीत दर्ज करा पाना आसान नही अभी यहां से लगातार वीजेपी जीतती चली आ रही है…..आगे मायावती जी जाने।
एक नजर विंध्य पर क्या पड़ा असर:-
बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने मध्य प्रदेश की 22 प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है,, बीएसपी सुप्रीमो के एलान से विन्ध्य के उन कांग्रेस नेताओं के चेहरे में मुस्कान लौट आई जिनको डर था कि गठबंधन से उनका कैरियर ही खत्म हो जाएगा,, भाजपा नेताओं ने भी राहत की सांस ली है,, क्योंकि बिन्ध में बसपा का एक बड़ा वोट बैंक है जो बसपा सुप्रीमो के इशारे पर इधर उधर हो सकता था,, और भाजपा की गणित को फेल कर सकता था,, बीएसपी ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर कांग्रेस के गठबंधन की कोशिश को झटका दे दिया है,, सतना जिले की रैगांव,, रामपुर बघेलान रीवा जिले की मनगवां,, त्यौथर और देवतालाब,, वहीं सिंगरौली की धौहनी सीट बसपा के खाते में जा सकती थी,, यहां टिकट की आश लगाए जद्दोजहद कर रहे कांग्रेस नेता हाथ मलते रहते और उनका राजनैतिक कैरियर खत्म हो सकता था।