सतना: जिले में एक बार फिर कुपोषण के चलते एक बच्चे की मौत होगयी है, पिडरा आदिवासी बस्ती निवासी आनंद भूख से तड़प तड़प कर दम तोड़ दिया, जिले का मझिगवां जनपद कुपोषण के मामले में अब्बल है, प्रशासन और सरकार की सभी योजनाए यहां दम तोड़ रही, मृतक का परिवार भी भुखमरी के कगार पर खड़ा है, और खाने की कमी के जिंदगी की जंग लड़ रहा, बीपीएल कार्ड ना होने से सासन की किसी योजना का लाभ नही मिल पाया, और नाही किसी प्रसासनिक अमले ने इसकी सुध ली।
जाने क्या है पूरा मामला:-
दो दसक से भी अधिक समय से सतना जिले में कुपोषण एक भीषण समस्या बनी है,, चित्रकूट के मझगवाँ अंचल से कुपोषण का कलंक मिटने का नाम नही ले रहा,, ताजा मामला पिडरा आदिवासी बस्ती का है, जहां एक मासूम की मौत हो गई, ये तस्वीर उसी 14 माह के आनंद की है, जो जिन्दगी की जंग लड़ रहा था और 16 सितंबर को सतना एनआरसी में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया, बताया जा रहा कि मृतक के परिबार में पिछले 20 दिनों से खाने को अन्य का दाना नही था, आंगनवाड़ी से जो आहार बच्चे के लिए दिया जारहा था, वोभी दो हफ्तों से नही मिला था, लिहाजा बच्चे पहले से ही अति कुपोषित बच्चे को जब अहार नही मिला तो हालत दयनीय हो गयी, आंगनवाड़ी द्वारा उसे सतना एनआरसी में दाखिल किया गया, लेकिन उसे बचाया नही जासका, आनंद के पिता लाल कोल की भी हालत बद से बदतर है, वो भी भुखमरी की कगार में है, मजदूरी करके किसी तरह घर चलता था, लेकिन कई दिनों से बीमार होने से कम करने में असमर्थ था, परिवार का बीपीएल कार्ड भी नही बना लिहाजा सरकार कि किसी भी योजना का इस परिबार को लाभ नही मिला, गांव वालों से कुछ रासन मांग कर ये परिवार एक वक्त का खाना खाता है, यही वजह की पूरा परिबार भुखमरी की कगार में खड़ा है, मृतक आनंद के पिता लाल कोल और माँ बूटी की हालत नाजुक है, इस परिवार को न प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला और न अन्य किसी योजना का।
आंगनवाड़ी का कहना:-
आंगन वाड़ी कार्यकर्ता का कहना है कि इस परिवार की हालत बहोत खराब है घर मे खाने को अन्य का दान तक नही, तो बच्चे को क्या खिलाया जाता, किसी तरह एक बार बच्चे को इलाज के लिए लाया गया, लेकिन अगले ही दिन माँ अपने बच्चे को लेकर वापस चली गयी कई बार बुलाया गया नही आई, जब हालत बहोत बिगड़ गयी तो उसे मझगवाँ अस्पताल लाया गया जहां से सतना जिला अस्पताल के एनआरसी में एडमिट कराया गया था, जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गयी।