जांजगीर चांपा। भाजपा ने प्रत्याशी चयन के लिए फार्मूला तैयार कर लिया है। सामाजिक और जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर ऐसे नेता-कार्यकर्ता को प्रत्याशी बनाएगी, जिसका खुद का वोट बैंक है। वह अपने बूते पर दस फीसदी वोट पाने की क्षमता रखता है। इस फार्मूले को लेकर पार्टी के 3-3 पर्यवेक्षक 10 सितंबर से सभी 90 विस क्षेत्रों में भेजे जाएंगे। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने दिल्ली में पार्टी के सांसदों के साथ मेल-मुलाकात की थी। इसमें प्रत्याशी चयन को लेकर भी चर्चा हुई। पार्टी बड़े पैमाने पर बदलाव करने की तैयारी कर रही है। खुद मुख्यमंत्री कह चुके हैं कि 30 फीसदी युवाओं को टिकट दी जाएगी। प्रत्याशी की घोषणा अक्टूबर के मध्य में ही हो सकती है। बताते हैं कि सभी 90 सीटों की डिटेल रिपोर्ट राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के पास है। पार्टी ऐसे व्यक्ति को टिकट देगी, जिसका खुद का जनाधार है और वह अपने बूते पर ही दस फीसदी वोट जुटाने की क्षमता रखता है। इसमें स्थानीय सामाजिक और जातीय समीकरणों को भी ध्यान में रखा जाएगा। पार्टी सभी जिलों में पर्यवेक्षक भेजकर दावेदारों का पैनल तैयार करेगी। यह औपचारिकता ही है। कुछ समय से निजी सर्वे एजेंसियां इस दिशा में काम कर रही है। इसके अलावा एलआईबी भी सब कुछ देख रही है। शाह ने मिशन-65 का लक्ष्य रखा है, लेकिन पार्टी के रणनीतिकार मानते हैं कि यह लक्ष्य मुश्किल है। 15 साल के शासन के बाद एक तरह से एंटी इनकंबेंसी का माहौल है। सरकार की कुछ योजनाओं से स्थिति बदल सकती है। इनमें गरीबों को पट्टा वितरण प्रमुख है। इससे गांवों में पार्टी के पक्ष में अनुकूल माहौल बनने की संभावना है। बस्तर और सरगुजा में पिछले प्रदर्शन को लेकर भाजपा पसोपेश में है। पिछले विधानसभा चुनाव में बस्तर में पार्टी को बुरी हार का सामाना करना पड़ा था। पार्टी 12 में से 4 सीटें ही जीत पायी थी। सरगुजा संभाग में बराबर सीटें थीं। इस बार पत्थरगड़ी आंदोलन के चलते सरगुजा में अच्छी स्थिति नहीं है। गृहमंत्री रामसेवक पैकरा खुद मुश्किल में घिरे हैं। सर्वे एजेंसियों के मुताबिक ज्यादातर विधायकों की स्थिति अच्छी नहीं है।